ईरान-इजरायल युद्ध ने नोएडा कारोबारियों के ऑर्डर अटका दिए, लागत भी बढ़ी
ग्रेटर नोएडा से यूरोप और अन्य देशों में हस्त शिल्प का एक्सपोर्ट करने वाले लियो इंटरनेशनल के संचालक परविन्द्र सिंह ने कहा कि इस युद्ध के कारण करीब तीस प्रतिशत एक्सपोर्ट के ऑर्डर कम हुए हैं। यूरोप के लिए समुद्री मार्ग ईरान के पास से जाता है।

ईरान-इजरायल के बीच चल रहे युद्ध ने कारोबारियों की बेचैनी को बढ़ा दिया है। इस युद्ध के कारण जहां यूरोप में माल भेजना महंगा हो गया है। वहीं, ऑर्डर भी करीब तीस प्रतिशत तक कम हुए हैं और कारोबारियों ने फिलहाल ऑर्डर को रोक दिया है। वहीं,भाड़े की बढ़ी लागत को लेकर एक्सपोर्टर चितिंत हैं। इसके अलावा अमेरिका के टैरिफ वार को लेकर भी उनकी चिंता बढ़ी हुई है। इस युद्ध ने एक्सपोर्टर को भी झटका दिया है।
ग्रेटर नोएडा से यूरोप और अन्य देशों में हस्त शिल्प का एक्सपोर्ट करने वाले लियो इंटरनेशनल के संचालक परविन्द्र सिंह ने कहा कि इस युद्ध के कारण करीब तीस प्रतिशत एक्सपोर्ट के ऑर्डर कम हुए हैं। यूरोप के लिए समुद्री मार्ग ईरान के पास से जाता है। यूएस का रूट भी इसके कारण प्रभावित हुआ है। जिसके चलते यूरोप और यूएस के अधिकांश ऑर्डर फिलहाल होल्ड पर हैं। वर्तमान हालात में माल भाड़ा भी बढ़ गया है और बढ़े हुए भाड़े को देने के लिए विदेशी खरीदार तैयार नहीं हैं। इसके अलावा दूसरी बड़ी चिंता अमेरिका के द्वारा लगाए गए टैरिफ को लेकर है। फिलहाल तो अमेरिका ने छूट दी है, लेकिन 9 जुलाई के बाद इसको लेकर क्या फैसला होगा। इसको लेकर सभी एक्सपोर्टर चितिंत हैं, यदि अमेरिका टैरिफ बढ़ाता है तो हस्तशिल्प कारोबारियों के लिए चुनौतियां और अधिक बढ़ जाएंगी।
मार्बल टाइल्स कारोबार से जुड़े व्यापारी रामरतन ने बताया कि तुर्किए और ईरान से करीब 30 से 40 प्रतिशत मार्बल टाइल्स की आपूर्ति की जाती थी। भारत-पाक युद्ध के बाद से तुर्की के सामानों का बहिष्कार कर अब ईरान के मार्बल को मंगाना शुरू किया, लेकिन अब ईरान से भी मार्बल की खेप प्रभावित होने के कारण करीब एक सप्ताह में कीमतों में 20 प्रतिशत तक का इजाफा हो गया है। भंडार कम और खपत अधिक होने से बाजार में आपूर्ति का संतुलन बिगड़ने लगा है।
मार्बल कारोबार पर भी संकट
ईरान और इजरायल के बीच युद्ध ने नोएडा के मार्बल टाइल्स कारोबार पर गहरा संकट ला दिया है। जिले में हर साल करीब 2400 करोड़ रुपये से अधिक का मार्बल कारोबार होता है, जिसमें ईरानी मार्बल की मांग फ्लोरिंग और निर्माण कार्यों के लिए काफी अधिक है। युद्ध के कारण ईरान का हवाई क्षेत्र बंद होने और समुद्री मार्गों पर शिपमेंट रुकने से आपूर्ति शृंखला बुरी तरह प्रभावित हुई है। मार्बल व्यापारी पवन अग्रवाल ने कहा कि तुर्किए और ईरान के मार्बल टाइल्स की गुणवत्ता अच्छी और दाम भी कम होते हैं। इस वजह से इसकी मांग बाजार में काफी है।
हस्तशिल्प कारोबारियों को नुकसान
हस्तशिल्प कारोबारी मयंक अग्रवाल ने भी कहा कि इस युद्ध के कारण एक्सपोर्ट फिलहाल रुक गया है और अभी उनके साथ कारोबार करने वाले विदेशी कारोबारियों ने कुछ समय के लिए अपने ऑर्डर रोक दिए हैं, जिन पर वह आगे हालात देखकर फैसला लेंगे। इस युद्ध के कारण माल भाड़ा बढ़ जाने से एक्सपोर्टर की चुनौती बढ़ी है। ईरान-इजरायल युद्ध के बाद धीरे-धीरे हवाई और जलमार्ग के रास्ते बदल गए हैं। अब 2000 किमी घूमकर जाने वाले रास्तों से माल वाहक जहाज जा रहे हैं, जिसका किराया बढ़ा है।