नोएडा में इन 'दानवों' के मुंह लगा खून! 5 महीने में 52 हजार से ज्यादा लोगों को बनाया शिकार
गौतम बुद्ध नगर में इस साल जनवरी से मई के बीच जानवरों के काटने की कुल 74,550 घटनाएं दर्ज की गई हैं। इन घटनाओं में आवारा और पालतू दोनों तरह के जानवर शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर हमले आवारा कुत्तों की ओर से किए गए हैं।

नोएडा में आवारा जानवरों के काटने की घटनाएं अब विकराल रूप ले रही हैं। ताजा आंकड़े तो इसी ओर इशारे कर रहे हैं। बीते 5 महीनों में आवारा जानवर किसी दानव के समान हो गए हैं। कुत्ते,बिल्ली और बंदरों ने मिलकर कुल 74550 इंसानों को अपना शिकार बनाया है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इसमें अकेले कुत्तों के काटने का आंकड़ा 52714 है। इन आकंड़ों पर यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भी तंज कसा है।
गौतम बुद्ध नगर में इस साल जनवरी से मई के बीच जानवरों के काटने की कुल 74,550 घटनाएं दर्ज की गई हैं। इन घटनाओं में आवारा और पालतू दोनों तरह के जानवर शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर हमले आवारा कुत्तों की ओर से किए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार,52,714 लोगों को आवारा कुत्तों ने काटा,जबकि पालतू कुत्तों की वजह से 16,474 लोगों को कुत्ते के काटने के मामले सामने आए। शेष घटनाओं में 3,833 हमले बंदरों ने और 1,179 बिल्लियों ने किए हैं।
उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.टीकम सिंह ने जानवरों के काटने की घटनाओं में हुई बढ़ोतरी की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग,मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी और नोएडा अथॉरिटी के साथ मिलकर जिले भर में हॉटस्पॉट (ऐसे इलाके जहां ज़्यादा घटनाएं हो रही हैं) की पहचान करने में सक्रिय रूप से काम कर रहा है। डॉ.सिंह ने कहा,"हमने मुख्य सतर्कता अधिकारी और नोएडा अथॉरिटी के सहयोग से जिले में हॉटस्पॉट की पहचान करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। हॉटस्पॉट के जरिए,हम रोकथाम और नियंत्रण की दिशा में काम कर रहे हैं।"
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में आने वाले इस ज़िले में औसतन हर महीने जानवरों के काटने के लगभग 15,000 मामले सामने आ रहे हैं, जिसका मतलब है कि प्रतिदिन करीब 500 मामले हो रहे हैं। कुत्ते के काटने के कुछ मामले सीसीटीवी में भी कैद हुए हैं, जहाँ कुत्तों को बच्चों के साथ-साथ बड़ों पर भी हमला करते देखा जा सकता है। ये सभी हमले बिना किसी उकसावे के हुए लग रहे थे। अधिकारी ज़िले में जानवरों के काटने की बढ़ती घटनाओं को कम करने के लिए लक्षित हस्तक्षेप और नियंत्रण उपायों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने इसपर निशाना साधते हुए कहा कि नोएडा में ‘श्वान संकट’ का कोई हल निकालेगा क्या? कहीं ऐसा न हो कि एक दुश्चक्र शुरू हो जाए। श्वान के काटने से लोग परेशान हों और श्वानों पर हमले बढ़ जाएं और हमले बढ़ने से श्वान और आक्रामकता दिखाएं। छुट्टा पशुओं की समस्या में ये नया अध्याय जुड़ गया है। जो घातक से प्राणघातक तक साबित हो सकता है। अब क्या इसके लिए भी वैसे ही निरर्थक आईएएस लगाये जाएंगे जिन्होंने गौ-वंश के लिए कुछ भी नहीं किया।