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भारत-चीन सीमा के पास रक्षा संबंधी परियोजना के भूमि अधिग्रहण के बदले मुआवजे बढ़ाने के आदेश पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा के पास रक्षा परियोजना के लिए 537 एकड़ भूमि अधिग्रहण के लिए मुआवजे की राशि बढ़ाने पर रोक लगा दी। केंद्र सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए, कोर्ट ने...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 27 June 2025 08:20 PM
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भारत-चीन सीमा के पास रक्षा संबंधी परियोजना के भूमि अधिग्रहण के बदले मुआवजे बढ़ाने के आदेश पर रोक

नई दिल्ली। विशेष संवाददाता सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा के पास रक्षा संबंधी परियोजना के लिए 537 एकड़ भूमि अधिग्रहण के लिए दिए गए मुआवजे की रमक बढ़ाने संबंधी आदेश पर रोक लगा दी। शीर्ष अदालत ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय की ईटानगर पीठ द्वारा मार्च 2025 में पारित आदेश के खिलाफ केंद्र सरकार और अन्य की अपील पर विचार करते हुए यह आदेश दिया है। जस्टिस के. वी. विश्वनाथन और एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने इसके साथ ही, मामले में प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया। इससे पहले, केंद्र सरकार ने पीठ से कहा कि लाभार्थियों को मुआवजा पहले ही दिया जा चुका है और भूमि का अधिग्रहण भी कर लिया गया है।

केंद्र ने पीठ से कहा कि बाद में एक व्यक्ति ने ‘पावर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर यह मामला दाखिल किया और उस पर विचार करते हुए उच्च न्यायालय ने मुआवजे की रकम बढ़ाने का आदेश पारित किया। पीठ को बताया गया कि सभी भू स्वामियों के लिए लगभग 70 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया था, लेकिन अक्टूबर 2024 में संबंधित मामले में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा इसे बढ़ाकर 410 करोड़ रुपये से अधिक कर दिया गया। केंद्र सरकार ने कहा कि संबंधित मामला एक धोखाधड़ी पर आधारित था और व्यक्ति ने 100 से अधिक लोगों के फर्जी पॉवर आफ अटार्नी बनाया था। शीर्ष अदालत को यह भी बताया गया कि निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ सरकार ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। केंद्र की ओर से पीठ को बताया गया कि उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया था कि संबंधित मामले में पारित आदेश इस शर्त के अधीन स्थगित रहेगा कि बढ़ाई गई राशि का 50 फीसदी 3 माह के भीतर जमा किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने अपील पर सुनवाई की सहमति व्यक्ति करते हुए प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। पीठ ने इस शर्त पर उच्च न्यायालय के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी कि याचिकाकर्ता यानी केंद्र सरकार उच्च न्यायालय के समक्ष की गई अपनी पेशकश पर अमल करते हुए चार सप्ताह के भीतर उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री में बढ़ी हुई राशि का 10 फीसदी जमा करें। मामले की अगली सुनवाई के लिए 18 अगस्त को होगी।

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