जमानत के बाद रिहाई में देरी होने पर आरोपी को मिला 5 लाख रुपये का मुआवजा
नई दिल्ली में जबरन धर्मांतरण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी आफताब को जमानत दी। रिहाई में देरी के कारण उत्तर प्रदेश सरकार ने आरोपी को 5 लाख रुपये का मुआवजा दिया। कोर्ट ने सरकार से रिहाई में देरी...

नई दिल्ली। विशेष संवाददाता जबरन धर्मांतरण के मामले में सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत के बाद भी रिहाई में देरी के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने आरोपी आफताब को 5 लाख रुपये मुआवजा का भुगतान कर दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में अनुपालन रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि ‘ आरोपी के खाते में मुआवजे की 5 लाख रुपये स्थानांतरित कर दिया गया है। शीर्ष अदालत ने बुधवार को जमानत के आदेश में खामी बताकर आरोपी को जेल से रिहा किए जाने से इनकार किए जाने की न्यायिक जांच के आदेश दिया था। साथ ही, रिहाई में देरी के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से आरोपी आफताब को 5 लाख रुपये अंतरिम मुआवजा देने का आदेश दिया था।
इस आदेश का पालन करते हुए, प्रदेश सरकार ने कहा कि आरोपी के खाते में मुआवजे की रकम स्थानांतरित कर दिया गया है। जस्टिस केवी विश्वनाथन और एन कोटिश्वर सिंह की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने आदेश का पालन किए जाने की जानकारी दी। आरोपी की ओर से पेश अधिवक्ता ने भी मुआवजे की रकम मिलने की पुष्टि की। सुप्रीम कोर्ट ने 25 जून को उत्तर प्रदेश सरकार की खिंचाई करते हुए कहा था कि ‘भगवान जाने कितने लोग तकनीकी कारणों से आपकी जेलों में सड़ रहे होंगे। दरअसल, उत्तर प्रदेश में जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए बनाए गए कानून के उल्लंघन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को 29 अप्रैल को जमानत दे दी थी। इसके बाद गाजियाबाद की जिला अदालत ने 27 मई को जेल अधीक्षक को एक रिहाई आदेश जारी करते हुए, मुचलका जमा करने पर जेल से रिहा करने का आदेश दिया था। लेकिन जेल प्रशासन ने आरोपी को रिहा करने से इनकार कर दिया। जेल प्रशासन ने यह कहते हुए रिहा करने से इनकार कर दिया था कि जमानत के आदेश में, उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 की धारा 5 के खंड (1) को जिक्र नहीं किया गया था। इसके बाद आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर 29 अप्रैल के आदेश में संशोधन की मांग की थी ताकि 2021 अधिनियम की धारा 5 के खंड (1) को विशेष रूप से शामिल किया जा सके। इसके बाद शीर्ष अदालत ने इस पूरे घटना की न्यायिक जांच के आदेश देने के साथ ही, यूपी सरकार से आरोपी को फिलहाल 5 लाख रुपये मुआवजा देने को कहा था।
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