महंगाई में तेज गिरावट से ब्याज दरों में एक और कटौती संभव
भारत में मई के दौरान खुदरा महंगाई 2.82% और थोक महंगाई 14 महीने के निचले स्तर पर पहुँच गई है। एसबीआई रिसर्च ने अनुमान जताया है कि भारतीय रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। सब्जियों और दालों...

नई दिल्ली, एजेंसी। मई के दौरान देश में खुदरा और थोक महंगाई में तेज गिरावट आई है। खुदरा महंगाई 75 माह और थोक महंगाई 14 महीने के सबसे निचले स्तर पर है। इन आंकड़ों को देखते हुए एसबीआई रिसर्च ने अनुमान जताया है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अगली मौद्रिक समीक्षा समिति की अगस्त में होने वाली बैठक में ब्याज दरों में एक और कटौती कर सकता है। एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, महंगाई में गिरावट की मुख्य वजह खाने-पीने की चीजों खासकर सब्जियों और दालों की कीमतों में आई भारी गिरावट है। मई में सब्जियों की कीमतों में 13.7% और दालों में 8.2% की गिरावट देखने को मिली।
मांस-मछली और मसालों के दाम में भी कमी आई है। हालांकि, कुछ चीजों जैसे फल, पर्सनल केयर और ऑयल एंड फैट्स की कीमतें अभी भी ऊंचे स्तर पर बनी हुई हैं। खासकर खाने के तेलों की महंगाई 17.9% पर है, जो 38 महीनों का सबसे ऊंचा स्तर है। तय दायरे में है खुदरा महंगाई देश की खुदरा महंगाई दर घटकर मई में 2.82% रह गई, जो अप्रैल में 3.16 प्रतिशत पर थी। यह लगातार चौथा महीना है जब खुदरा महंगाई दर आरबीआई के चार प्रतिशत के तय दायरे से नीचे रही है। वहीं, यह पिछले पांच वर्षों में यह खुदरा महंगाई में लगातार गिरावट की सबसे लंबी शृंखला है। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई के चार फीसदी के आसपास रहने का अनुमान जताया है। गौरतलब है कि आरबीआई को सरकार ने मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने लक्ष्य दिया है। आरबीआई रेपो दर पर फैसला लेते समय खुदरा महंगाई के आंकड़ों पर भी गौर करता है। क्या कहती है रिपोर्ट एसबीआई रिसर्च का मानना है कि अगर महंगाई इसी तरह नियंत्रण में रही तो जुलाई 2025 तक यह 2% या उससे भी नीचे जा सकती है। इससे रिजर्व बैंक के पास ब्याज दर में और कटौती करने का मौका बनेगा। जून 2025 में पहले ही .50 प्रतिशत की कटौती की जा चुकी है। वहीं, फरवरी से अब तक कुल एक फीसदी की राहत आरबीआई की ओर से दी गई है। क्या होगा असर रिपोर्ट के अनुसार, अगर आरबीआई ब्याज दरों में कटौती करता है तो इसका असर कर्ज की ब्याज दरों पर देखने को मिलेगा। आवास-वाहन ऋण और पर्सनल लोन समेत अन्य कर्ज की मासिक किस्त में भारी राहत मिलेगी। इससे बाजार में खर्च और निवेश दोनों बढ़ सकते हैं, जो अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में मदद करेगा। आरबीआई ने क्या दिए थे संकेत जून में हुई बैठक में आरबीआई ने रेपो दर में .50 फीसदी की बड़ी कटौती की थी, जबकि विशेषज्ञों को केवल 0.25 फीसदी की कटौती की उम्मीद थी। इसी के साथ आरबीआई ने यह भी संकेत दिया था कि साल के अंत तक महंगाई चार फीसदी से नीचे रहेगी लेकिन ब्याज दरों में और कटौती की गुंजाइश कम है। हालांकि, यह भी संकेत दिए थे कि भविष्य की मौद्रिक नीति कार्रवाई आने वाले आंकड़ों पर निर्भर करेगी। महंगाई अनुमान क्या है महंगाई अनुमान पहली तिमाही : 2.9 प्रतिशत दूसरी तिमाही : 3.4 प्रतिशत तीसरी तिमाही : 3.9 प्रतिशत चौथी तिमाही : 4.4 प्रतिशत पूरे वित्त वर्ष 2025-26 में : 3.7 फीसदी
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।