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खपत बढ़ाने के लिए बैंकों के पास उपलब्ध होगा ढाई लाख करोड़ रुपया

- बैंकों के पास अतिरिक्त रकम उपलब्ध होने नए नए ग्राहकों के लिए और

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 6 June 2025 05:03 PM
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खपत बढ़ाने के लिए बैंकों के पास उपलब्ध होगा ढाई लाख करोड़ रुपया

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में एक प्रतिशत की भारी कटौती की है। इस फैसले से बैंकों के पास 2.5 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी उपलब्ध होगी, जिसका इस्तेमाल बैंक ज्यादा पैसा उपलब्ध होगा। नए ग्राहकों को लुभाने के लिए बैंक आवास, वाहन ऋण समेत अन्य कर्ज सस्ती दर पर उपलब्ध कराने का ऑफर दे सकेंगे। आरबीआई ने मौद्रिक समीक्षा के बाद नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को 4 से घटाकर 3 फीसदी कर दिया है। यह कटौती 0.25 प्रतिशत की चार बराबर किस्तों में लागू होगी। छह सितंबर, चार अक्टूबर, एक नवंबर और 29 नवंबर 2025 को अंतिम कटौती होगी।।

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि नकदी संतोषजनक स्तर पर होने की स्थिति में बैंक ग्राहकों को कम ब्याज दर का लाभ दे सकेंगे। इससे पहले दिसंबर 2024 में सीआरआर 0.5 प्रतिशत घटाकर चार प्रतिशत किया था, जिससे बैंकिंग प्रणाली में 1.16 लाख करोड़ रुपये उपलब्ध हुए थे। ऐसे समझें कटौती का मतलब नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) वह हिस्सा होता है, जो हर बैंक को अपनी कुल जमा राशि का एक हिस्सा नकद रूप में आरबीआई के पास रखना होता है। इससे केंद्रीय बैंक को यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि बैंकिंग प्रणाली में ज्यादा पैसा एक साथ बाहर न निकले ताकि वित्तीय स्थिरता बनी रहे। एक प्रतिशत की कटौती का मतलब है कि अब बैंक को कम पैसा आरबीआई के पास रखना होगा। इससे बैंकों के पास ऋण देने के लिए अधिक पैसा उपलब्ध होगा। अच्छे सिबिल स्कोर वाले ग्राहकों को अधिक फायदा संभव विशेषज्ञों का कहना है कि रेपो दर में बड़ी कटौती के बाद आवास ऋण की ब्याज दरें आठ फीसदी के अहम स्तर से नीचे आ जाएगी। इसका सबसे ज्यादा फायदा उन नए ग्राहकों को मिल सकता है, जिनका सिबिल या क्रेडिट स्कोर 750 से अधिक है। बैंक इन ग्राहकों को लुभाने के लिए अधिक आर्कषक ब्याज दरें पेश कर सकते हैं। गौरतलब है कि सिबिल स्कोर कम होने पर कई बैंक अधिक ब्याज दर वसूलते हैं। इन्हें ग्राहकों को तुरंत राहत मिलेगी जिन लोगों ने फ्लोटिंग दर पर ऋण लिया है, उन्हें सीधे राहत मिलेगी। खासकर जिनका ऋण बाहरी मानक आधारित ऋण दर (ईबीएलआर) से जुड़ा है। आरबीआई ने अक्टूबर 2019 के बाद से सभी फ्लोटिंग दर वाले आवास ऋण को इस बाहरी मानक से जोड़ा है। यह मानक रेपो दर से सीधे जुड़ा हुआ है। रेपो में कटौती होते ही बैंकों को ब्याज दर घटानी पड़ती है। --- इन्हें इंतजार करना होगा फ्लोटिंग दर में सीमांत निधि लागत आधारित ऋण दर (एमसीएलआर) भी शामिल है। इसे 2016 में लागू किया गया था। इससे जुड़े ऋण की ब्याज दरों में बदलाव धीमा होता है। क्योंकि बैंक अपनी परिचालन लागत और अन्य कारकों को आधार बनाकर दरों में राहत को टाल सकते हैं या पूरा लाभ नहीं देते हैं। इसका मतलब है कि जिन लोगों ने 2019 से पहले एमसीएलआर आधारित ऋण लिए हैं और जो अब तक जारी हैं, उन्हें राहत के लिए बैंकों के कदम का इंतजार करना होगा। फिक्स्ड दर वालों को विकल्प बदलना होगा फिक्स्ड ब्याज दर वालों को इसका लाभ नहीं पहुंचेगा> क्योंकि उनकी ब्याज दर पूरी अवधि के लिए पहले से तय होती है। हालांकि, ग्राहक चाहे तो बैंक को शुल्क का भुगतान कर फ्लोटिंग ब्याज दर का विकल्प ले सकते हैं। रियल एस्टेट क्षेत्र को भी उम्मीद रेपो दर में कटौती से केवल आवास ऋण लेने वालों को ही नहीं, बल्कि रियर एस्टेट क्षेत्र को भी बड़ा फायदा मिलने की संभावना है। किफायती और मध्य कीमतों वाले आवास की मांग में तेजी आ सकती है। आरबीआई के इस फैसले से गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को भी सस्ता कर्ज मिलने की राह खुलेगी, जिससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने की उम्मीद है। इस फैसले का बड़ा असर आम आदमी एवं ग्राहकों पर: 1. नए ग्राहकों को कम ब्याज दरों पर ऋण मिलेगा 2. सस्ती दरों पर शिक्षा ऋण लेना आसान होगा 3. एफडी समेत छोटी बचत योजनाओं की दरों में कटौती संभव अर्थव्यवस्था पर : 1. सस्ते ऋण से उपभोक्ता खर्च और निवेश बढ़ेगा 2. खर्च करने लायक आय में वृद्धि होगी 3. मकान, वाहन, निवेश में पूंजी प्रवाह बढ़ेगा 4. आर्थिक गतिविधियों को मजबूती मिलेगी कृषि-उद्योगों पर: 1. लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए सस्ता ऋण मिलेगा 2. व्यवसाय विस्तार के अवसर बनेंगे 3. रोजगार का सृजन बढ़ेगा 4. किसानों के लिए उधार लेने की लागत कम होगी शेयर बाजार पर: 1. ब्याज दर कम होने से पूंजी प्रवाह बढ़ेगा 2. कंपनियों का लाभ होने पर बाजार में तेजी संभव 3. रियल एस्टेट, बैंकिंग और ऑटो क्षेत्रों में तेजी के आसार --------------- बैंकों नहीं दिया उम्मीद की अनुरूप लाभ आरबीआई द्वारा इससे पहले दो बार में रेपो रेट में 0.50 फीसदी की कटौती की गई है लेकिन काफी बैंकों ने उस अनुपात में ब्याज दरों में कटौती नहीं की। बैंकों ने 0.10 से लेकर 0.30 फीसदी तक की कटौती की। कुछ ही बैंकों ने ब्याज दरों में भी 0.50 प्रतिशत की कमी की। ऐसे में अब बैंकों के रुख पर भी नजर रहेगी कि आखिरकार वह इस कटौती का लाभ किस तरह से सीधे ग्राहकों को देते हैं। खास तौर पर जो ग्राहक पहले से ऋण लिए हुए हैं।

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