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सीमापार आतंकवाद को नीति के रूप में बर्दाश्त नहीं करेगा भारत: राजनाथ

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में कहा कि कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीति बनाकर आतंकवादियों को पनाह देते हैं। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ भारत की शून्य-सहिष्णुता की...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 26 June 2025 07:55 PM
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सीमापार आतंकवाद को नीति के रूप में बर्दाश्त नहीं करेगा भारत: राजनाथ

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कुछ देश सीमापार आतंकवाद को अपनी नीति के रूप में इस्तेमाल करते हैं और आतंकियों को पनाह देते हैं। ऐसे दोहरे मापदंडों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना से संकोच नहीं करना चाहिए। राजनाथ सिंह ने गुरुवार को चीन के किंगदाओ में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में यह बात कही। उन्होंने कहा कि भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए जघन्य आतंकी हमले के जवाब में आतंकवाद से बचाव और सीमा पार से होने वाले हमलों को रोकने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया।

पहलगाम आतंकी हमले के दौरान, पीड़ितों को उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर गोली मारी गई थी। संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) से जुड़े ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट ने हमले की जिम्मेदारी ली थी। पहलगाम हमले का तरीका भारत में एलईटी के पिछले आतंकी हमलों से मेल खाता है। आतंकवाद के प्रति भारत की शून्य-सहिष्णुता उसके कार्यों के माध्यम से प्रदर्शित हुई है। इसमें आतंकवाद के खिलाफ खुद का बचाव करने का हमारा अधिकार भी शामिल है। हमने दिखाया है कि आतंकवाद के केंद्र अब सुरक्षित नहीं हैं और हम उन्हें निशाना बनाने में संकोच नहीं करेंगे। इस दौरान राजनाथ सिंह ने आतंकवाद के विरुद्ध भारत की नीति में बदलाव की व्यापक रूपरेखा प्रस्तुत की तथा सदस्य देशों से सामूहिक सुरक्षा और रक्षा के लिए इस खतरे को जड़ से खत्म करने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के सामने सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से संबंधित हैं। बढ़ती कट्टरता, उग्रवाद और आतंकवाद इन समस्याओं का मूल कारण हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि शांति और समृद्धि, आतंकवाद और गैर-राजकीय तत्वों या आतंकी समूहों के पास सामूहिक विनाश के हथियारों (डब्ल्यूएमडी) के साथ सह-अस्तित्व नहीं रख सकती। इन चुनौतियों से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जो लोग आतंकवाद को प्रायोजित, पोषित और अपने संकीर्ण व स्वार्थी उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करते हैं, उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे। रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीति के रूप में इस्तेमाल करते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं। ऐसे दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए और एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शांति-समृद्धि और आतंकवाद साथ नहीं चल सकते। सिंह ने सीमा पार आतंकवाद सहित आतंकवाद के निंदनीय कृत्यों के दोषियों, आयोजकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें न्याय के कठघरे में लाने की आवश्यकता दोहराई। उन्होंने आतंकवाद के हर कृत्य को आपराधिक और अनुचित करार दिया। उन्होंने कहा कि एससीओ सदस्यों को इस बुराई की स्पष्ट रूप से निंदा करनी चाहिए। उन्होंने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों से लड़ने की भारत की प्रतिवद्धता भी व्यक्त की। रक्षा मंत्री ने युवाओं में कट्टरपंथ के प्रसार को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारत की अध्यक्षता के दौरान जारी किए गए ‘आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद को बढ़ावा देने वाले कट्टरपंथ का मुकाबला पर एससीओ के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद का संयुक्त वक्तव्य हमारी साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है। -- रूस के रक्षा मंत्री के साथ रणनीतिक संबंधों पर की वार्ता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को अपने रूसी समकक्ष आंद्रे बेलौसोव के साथ बातचीत की, जिसमें क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य और द्विपक्षीय रक्षा तथा रणनीतिक संबंधों पर ध्यान केंद्रित किया गया। यह बैठक एससीओ के रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन से इतर हुई। राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया पोस्ट में इस बातचीत को ज्ञानवर्धक बताया। उन्होंने कहा, किंगदाओ में एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक से इतर रूस के रक्षा मंत्री आंद्रे बेलौसोव से मिलकर खुशी हुई। हमने भारत-रूस रक्षा संबंधों को बढ़ावा देने पर ज्ञानवर्धक विचार-विमर्श किया। ऐसा समझा जा रहा है कि सिंह ने पाकिस्तान से उत्पन्न सीमा पार आतंकवाद से भारत को चुनौती पर बात की। माना जा रहा है कि दोनों मंत्रियों ने एक जुलाई को रूस के तटीय शहर कलिनिनग्राद में भारतीय नौसेना की रूस निर्मित गाइडेड मिसाइल पनडुब्बी आईएनएस तमाल के आगामी जलावतरण पर भी चर्चा की। इसके अलावा, राजनाथ ने गुरुवार को बेलारूस के अपने समकक्ष विक्टर ख्रेनिन के साथ भी वार्ता की। इसमें द्विपक्षीय रक्षा और सुरक्षा सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हुई।

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