क्यूआर कोड वाले ऐप से घर बैठे आधार में बदलाव कर सकेंगे
आधार कार्ड में बदलाव के लिए अब बार-बार आधार सेंटर जाने की जरूरत नहीं होगी। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण एक नया क्यूआर कोड आधारित मोबाइल ऐप लाने जा रहा है, जिससे घर बैठे ही आधार कार्ड की जानकारी...

नई दिल्ली, एजेंसी। आधार कार्ड में बदलाव कराने के लिए अब बार-बार आधार सेंटर जाने की जरूरत नहीं होगी। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण एक नया क्यूआर कोड आधारित मोबाइल ऐप लाने की तैयारी में है, जिसके जरिए घर बैठे ही आधार कार्ड अपडेट किया जा सकेगा। ऐप के जरिए पता, मोबाइल नंबर, नाम और जन्म तिथि में बदलाव किया जा सकेगा। बताया जा रहा है कि प्राधिकरण ने क्यूआर कोड आधारित नया ऐप विकसित किया है। इसके अलावा एक लाख आधार मशीनों में से करीब 2,000 को नए ऐप और टूल से जोड़ा गया है। अब जल्द ही घर बैठे फिंगरप्रिंट और आइरिस देने के अलावा बाकी सारे काम ऐप से कर सकेंगे।
नवंबर 2025 तक यह सुविधा शुरू हो सकती है। अन्य दस्तावेज भी सिस्टम से जुड़ेंगे नई तकनीक जरिए यह सिस्टम जन्म प्रमाण पत्र, मैट्रिक सर्टिफिकेट, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, पैन, पीडीएस और मनरेगा जैसे डाटाबेस से पता और दूसरी जानकारी हासिल करेगा। इससे न केवल दस्तावेजों की जांच आसान होगी, बल्कि जाली दस्तावेजों के इस्तेमाल पर भी रोक लगाने में मदद मिलेगी। बताया जा रहा है कि बिजली बिल को भी इस सिस्टम से जोड़ने की तैयारी चल रही है। फोटोकॉपी देने की जरूरत नहीं होगी इसके साथ ही, क्यूआर कोड आधारित नया ऐप मोबाइल-से-मोबाइल या ऐप-से-ऐप पर आधार की पूरी या संक्षेप जानकारी भेजने की सुविधा देगा। इसका उपयोग कई उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। जैसे- होटलों में रुकने, मोबाइल सिम लेने या ट्रेन यात्रा के दौरान सत्यापन के लिए इस ऐप का इस्तेमाल हो सकेगा। लोगों को इसके लिए आधार की फोटोकॉपी देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। बिना अनुमति विवरण साझा नहीं होगा नए ऐप को आधार के दुरुपयोग को रोकने के लिए अहम माना जा रहा है। यह ऐप आधार धारक को अपने डाटा पर अधिकतम नियंत्रण की अनुमति देगा और केवल उसकी सहमति से ही उसका आधार विवरण साझा किया जा सकेगा। इसका इस्तेमाल सब-रजिस्ट्रार और रजिस्ट्रार की ओर से संपत्ति के रजिस्ट्रेशन के समय भी कर सकते हैं। बच्चों का ब्योरा भी होगा अपडेट इसके अलावा प्राधिकरण बच्चों के बायोमेट्रिक अपडेट के लिए सीबीएसई और अन्य शिक्षा बोर्ड के साथ बातचीत कर रहा है। पांच से सात साल और फिर 15 से 17 साल की उम्र में बच्चों का बायोमेट्रिक डाटा अपडेट करना जरूरी होता है। इसके लिए प्राधिकरण ने एक विशेष योजना तैयार की है, ताकि करीब 18 करोड़ बच्चों का अपडेट पूरा कराया जा सके।
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