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पीपीएफ समेत छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दर में कटौती संभव

नई दिल्ली में, छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों की समीक्षा 30 जून 2025 को होगी। मौजूदा दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ है, लेकिन सरकार दरों में 25 से 50 आधार अंक की कमी कर सकती है। पीपीएफ की दर पहली बार 7%...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 27 June 2025 05:44 PM
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पीपीएफ समेत छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दर में कटौती संभव

किस लघु बचत योजना मौजूदा ब्याज दर (प्रतिशत में) वरिष्ठ नागरिक बचत योजना 8.2 सुकन्या समृद्धि योजना 8.2 सार्वजनिक भविष्य निधि योजना 7.1 राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र 7.7 किसान विकास पत्र 7.5 डाकघर मासिक आय योजना 7.4 1 साल से 5 साल तक के डाकघर सावधि जमा योजना 6.9 से 7.5 5 साल की डाकघर आवर्ती जमा योजना 6.7 नई दिल्ली, हिन्दुस्तान ब्यूरो। सार्वजनिक भविष्य निधि योजना, राष्ट्रीय बचत पत्र जैसी अन्य छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों की समीक्षा 30 जून 2025 को होनी हैं। नई दरें वित्त वर्ष 2025-26 की जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए प्रभावी होंगी। इस साल अब तक सुकन्या समृद्धि योजना और वरिष्ठ नागरिक बचत योजना सहित डाकघर योजनाओं की ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

संभावना जताई जा रही है कि पहली जुलाई 2025 से इसमें बदलाव हो सकता है। इस संभावना की वजह है भारतीय रिजर्व बैंक द्वरा रेपो दरों में कटौती। आरबीआई ने सबसे पहले फरवरी में रेपो रेट में 25 आधार अंक की कटौती की। फिर अप्रैल में 25 आधार अंक की कटौती की गई और जून में 50 आधार अंक की कटौती हुई। अब तक रेपो दर में एक फीसदी की कटौती हो चुकी है। रेपो रेट में कटौती के जवाब में बैंकों ने सावधि जमा पर ब्याज दर में कमी कर दी है। कुछ बैंकों ने अपनी विशेष एफडी भी बंद कर दी हैं, जो एक निश्चित अवधि के लिए सामान्य बैंक एफडी की तुलना में अधिक ब्याज दर प्रदान करती थीं। पीपीएफ की ब्याज दर जा सकती है सात फीसदी से भी नीचे वर्तमान में पीपीएफ योजना में निवेशकों को 7.10 फीसदी की दर से ब्याज मिलता है। अनुमान जताया जा रहा है कि कई दशकों में पहली बार पीपीएफ की ब्याज दर सात फीसदी से भी नीचे जा सकती है। अप्रैल-जून 2025 तिमाही की शुरुआत से 10 साल के सरकारी बॉन्ड पर औसत रिटर्न 6.30% रहा है। छोटी बचत योजनाओं के लिए गोपीनाथ कमेटी के फार्मूले में पीपीएफ की ब्याज दर पिछली तिमाही में औसत 10 साल के सरकारी बॉन्ड पर रिटर्न से 25 आधार अंक अधिक रखा गया है। अगर इस फॉर्मूले को अपनाया गया तो जुलाई-सितंबर तिमाही में पीपीएप की ब्याज दर 6.55% हो सकती है। इसका मतलब कि पीपीएफ की ब्याज दर पांच दशक में पहली बार सात फीसदी के नीचे जा सकती है। जानकारों का मानना है कि गोपीनाथ कमेटी का फॉर्मूला सिर्फ एक संकेतक मात्र है। यह फॉर्मूला सरकार को निर्णय लेने के लिए बाध्य नहीं करता। इससे पहले की भी पीपीएफ दरें इस फॉर्मूले से अलग रही हैं। वर्ष 2016 और 2017 में भी 10 साल के सरकारी बॉन्ड पर रिटर्न 6.5% के स्तर तक आ गया था, लेकिन सरकार ने पीपीएफ की ब्याज दरों को स्थिर रखा था। वहीं, वर्ष 2018 में, 10 साल के सरकारी बॉन्ड पर रिटर्न तकरीबन 8% तक बढ़ गई थी, लेकिन सरकार ने पीपीएफ की ब्याज दर को 7.6% पर ही स्थिर रखा था। क्या सरकार दरों में वाकई कटौती करेगी? हालांकि दरें तय करते वक्त सरकार सिर्फ बाजार ट्रेंड ही नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक पहलुओं को भी ध्यान में रखती है। ये योजनाएं अवकाशप्राप्त लोगों, मध्यम वर्ग और छोटे निवेशकों के लिए काफी मायने रखती हैं। इसलिए इनकी दरों में बहुत बड़ी कटौती करने से सरकार बच सकती है। लेकिन 25 से 50 आधार अंक तक की कटौती की जा सकती है। निवेशक अभी उठा सकते हैं फायदा अगर आप छोटी बचत योजनाओं में निवेश की सोच रहे हैं, तो 30 जून 2025 से पहले मौजूदा दरों का फायदा उठा सकते हैं। पीपीएफ और सुकन्या समृद्धि योजना में तो मौजूदा खातों पर भी हर तिमाही में नई दरें लागू होती हैं। इसलिए इनमें अभी निवेश करके भी ब्याज दरें तय नहीं की जा सकतीं। वहीं, एनएससी, किसान विकास पत्र, डाकघर सावधि जमा योजना, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना और डाकघर मासिक आय योजना में अभी निवेश करने पर मौजूदा ऊंची ब्याज दर तय हो जाएगी, जो निवेश की पूरी अवधि के दौरान उतनी ही बनी रहेगी।

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