Hindi NewsNcr NewsDelhi NewsIndia s First Eight-Lane Tunnel on Delhi-Mumbai Expressway to Be Completed by December

देश की पहली आठ लेन चौड़ी सुरंग दिसंबर तक होगी तैयार

नंबर गेम 82 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा 02 अलग-अलग ट्यूब बनाए गए 05 किलोमीटर है

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 28 June 2025 08:37 PM
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देश की पहली आठ लेन चौड़ी सुरंग दिसंबर तक होगी तैयार

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे पर निर्माणाधीन देश की पहली आठ लेन चौड़ी सुरंग दिसंबर तक बनकर तैयार हो जाएगी। मुकुंदरा की पहड़ियों पर कच्चे पत्थर-मिट्टी के चलते इस सुरंग को बनाना तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण था। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अधिकारियों ने बताया कि राजस्थान में मुकुंदरा पहाड़ियों के नीचे से गुजरने वाली यह सुरंग लगभग 82 प्रतिशत पूरी हो चुकी है तथा इस वर्ष के अंत तक निर्माण पूरा होने का लक्ष्य है। सुरंग की लंबाई लगभग पांच किलोमीटर है और यह आठ लेन चौड़ी है। भारत में यह पहली चार लेन वाली डबल ट्यूब सुरंग है।

यानी इसमें दो पृथक ट्यूब है और प्रत्येक ट्यूब चार लेन का है। इस प्रकार इसकी चौड़ाई कुल 21 मीटर है, जो सड़क-सुरंग निर्माण में ऐतिहासिक और रिकॉर्ड है। राजस्थान में एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी प्रदीप अत्री ने ‘हिन्दुस्तान को बताया कि सुरंग राजस्थान के कोटा जिले के पास स्थित मुकुंदरा हिल्स नेशनल पार्क से होकर गुजरती है। इसे पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इस क्षेत्र के घने जंगल, पहाड़ी इलाके और समृद्ध वन्यजीवों ने परियोजना टीम के लिए महत्वपूर्ण पर्यावरणीय और तकनीकी बाधाएं खड़ी कीं। इन चुनौतियों के बावजूद, परियोजना ने न्यूनतम पारिस्थितिक व्यवधान सुनिश्चित करते हुए पर्याप्त प्रगति की है। अत्री ने बताया कि इस 12 किलोमीटर का हिस्सा पूरे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के सबसे चुनौतीपूर्ण खंडों में से एक था। वन्यजीवों का रखा गया ध्यान क्षेत्रीय अधिकारी प्रदीप अत्री ने कहा कि यह रणथंभौर वन्यजीव अभयारण्य के बफर जोन में आता है, जो अत्यधिक विविध वनस्पतियों और जीवों का घर है। इसलिए, निर्माण और निर्माण के बाद के संचालन के दौरान हमें यह सुनिश्चित करने के लिए बेहद सतर्क रहना पड़ा कि जानवरों का प्राकृतिक आवास राजमार्ग के साथ सह-अस्तित्व में रह सके। एनएचएआई ने भारतीय वन्यजीव संस्थान से परामर्श किया और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के मार्गदर्शन में हमने पांच समर्पित वन्यजीव ओवरपास का निर्माण किया, जिसमें जानवरों की मुक्त आवाजाही सुनिश्चित हो सके।

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