Hindi NewsNcr NewsDelhi NewsIndia s EAM Jaishankar Supports Defence Minister Rajnath Singh s Stance on SCO Terrorism Statement

एक देश नहीं चाहता आतंकवाद पर हो बात: जयशंकर

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर न करने के निर्णय का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के संदर्भ का उल्लेख न करने वाले...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 27 June 2025 06:23 PM
share Share
Follow Us on
एक देश नहीं चाहता आतंकवाद पर हो बात: जयशंकर

नई दिल्ली, एजेंसी। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में संयुक्त दस्तावेज पर हस्ताक्षर न करके सही किया। उन्होंने कहा, क्योंकि, 10 सदस्यीय समूह का एक सदस्य देश संयुक्त बयान में आतंकवाद का कोई उल्लेख नहीं करना चाहता था, जबकि संगठन का गठन ही आतंकवाद से लड़ने के उद्देश्य से किया गया था। राजनाथ सिंह ने गुरुवार को पहलगाम आतंकवादी हमले का उल्लेख नहीं करने और पाकिस्तान समर्थित सीमा पार आतंकवाद पर भारत की चिंताओं पर स्पष्ट रूप से ध्यान न देने पर एससीओ के संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था।

शीर्ष सूत्रों ने बताया कि सिंह ने रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में आतंकवादी हमले को बयान में शामिल करने की मांग की जबकि पाकिस्तानी पक्ष ने बलूचिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों पर एक पैराग्राफ रखने पर जोर दिया, जो नई दिल्ली को जिम्मेदार ठहराने का स्पष्ट प्रयास था। सर्वसम्मति से चलता है एससीओ जयशंकर ने सिंह के रुख के बारे में पूछे जाने पर संवाददाताओं से कहा कि आम सहमति से चलने वाले एससीओ का उद्देश्य आतंकवाद से लड़ना है। उन्होंने कहा, रक्षा मंत्रियों की बैठक के घोषणापत्र पर चर्चा में एक देश ने कहा कि नहीं, हम इसका संदर्भ नहीं चाहते हैं। उन्होंने उस देश का नाम नहीं बताया जो परिणाम वक्तव्य में आतंकवाद का उल्लेख नहीं चाहता था। लेकिन उन्होंने पाकिस्तान पर परोक्ष कटाक्ष करते हुए कहा कि आप अनुमान लगा सकते हैं कि कौन सा देश ऐसा है। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि एससीओ सर्वसम्मति से चलता है। इसलिए राजनाथ सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर बयान में आतंकवाद का उल्लेख नहीं है, तो हम इस पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे। --- आपातकाल को लेकर कांग्रेस को घेरा जयशंकर ने आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि दुनिया में सबसे पुराने और सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत की छवि को तब धक्का लगा जब 25 जून 1975 को आपातकाल लगाया गया। उन्होंने जेएनयू के छात्रावासों में पुलिस छापों के अपने अनुभवों और जॉर्ज फर्नांडिस जैसे नेताओं के साथ अपने परिवार के संबंधों को भी याद किया। गांधी परिवार पर निशाना साधते हुए जयशंकर ने कहा कि जब देश से पहले ‘परिवार को रखा जाता है तो आपातकाल की स्थिति पैदा हो जाती है। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए कहा, कुछ लोग संविधान की प्रति अपनी जेब में रखते हैं, लेकिन उनके दिल में कुछ और ही होता है। उन्होंने कहा कि लोगों को भविष्य में ऐसी किसी भी स्थिति से बचने के लिए सशक्त बनाया जाना चाहिए, क्योंकि सशक्त जनता ऐसा कभी नहीं होने देगी। - श्रीलंका द्वारा भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार करने का मुद्दा समझौते से उपजा जयशंकर ने हमला बोलते हुए कहा कि श्रीलंका द्वारा भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार करने का मुद्दा आपातकाल के दौरान हुए एक समझौते से उपजा है। जिसके तहत कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में मछली पकड़ने के अधिकार भारत ने छोड़ दिए थे। जयशंकर ने आपातकाल की 50वीं बरसी पर भाजपा युवा मोर्चा द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि यदि उस समय वास्तविक संसद काम कर रही होती तो श्रीलंका के साथ यह समझौता नहीं होता। उन्होंने कहा कि अगर उस समय वास्तविक संसद काम कर रही होती तो चर्चा होती और इस फैसले को स्वीकार नहीं किया जाता। उन्होंने कहा कि इस निर्णय के परिणाम तमिलनाडु में अब भी दिखाई देते हैं।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें