एससीओ बयान में पहलगाम का जिक्र न होने पर भारत सख्त
भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया, क्योंकि पाकिस्तान ने जाफर एक्सप्रेस पर हुए आतंकी हमले को शामिल करने की कोशिश की जबकि पहलगाम के हमले को नकारा।...

- पाकिस्तान ने जाफर एक्सप्रेस का मुद्दा शामिल करने की कोशिश की लेकिन पहलगाम का विरोध किया नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर चीन और पाकिस्तान के दोहरे मापदंडों का विरोध करते हुए शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में जारी होने वाले संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। भारत ने जोरदार तरीके से इस बैठक में पहलगाम हमले और सीमापार से जारी आतंकवाद का मुद्दा उठाया था। पर, पाकिस्तान ने चीन की मदद से संयुक्त बयान में जाफर एक्सप्रेस ट्रेन पर हुए आतंकी हमले को शामिल करने की कोशिश की जबकि पहलगाम आतंकी हमले को अलग रखा।
चीन के बंदरगाह शहर किंदाओ में 25-26 जून को हुए एससीओ रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया। बैठक गुरुवार को खत्म हो गई लेकिन आतंकवाद पर एससीओ के कुछ सदस्य देशों के दोहरे मापदंडों एवं उस पर भारत के सख्त रुख के चलते बैठक में संयुक्त बयान जारी नहीं हो सका। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जैसवाल ने गुरुवार को कहा कि एससीओ बैठक के दौरान प्रस्तावित संयुक्त वक्तव्य में आतंकवाद को लेकर भारत की चिंताओं को शामिल नहीं किया जा रहा था क्योंकि इस पर एक देश को आपत्ति थी, इसलिए भारत ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किया। इसके चलते एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक बिना कोई संयुक्त बयान जारी किए ही खत्म हो गई। लेकिन बैठक में भारत ने आतंकवाद को लेकर मजबूती से अपना पक्ष रखा और इस बात पर जोर दिया कि पूरी दुनिया को इसके खिलाफ मिलकर लड़ना चाहिए। मालूम हो कि एससीओ सम्मेलन को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीमा पार आतंकवाद को लगातार समर्थन देने के लिए पाकिस्तान की आलोचना की। साथ ही आतंकवाद के अपराधियों, आयोजकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को नीति के एक साधन के तौर पर इस्तेमाल करते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं। ऐसे दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए। रक्षा मंत्री ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति में बदलाव की व्यापक रूपरेखा रखी। उन्होंने एससीओ सदस्य देशों से आतंकवाद से लड़ने के लिए एकजुट होने तथा दोहरे मानदंडों को त्यागने का आग्रह किया। इसके बाद जब संयुक्त बयान का मसौदा वक्तव्य सामने आया तो उसमें न तो पहलगाम आतंकवादी हमले का उल्लेख किया गया और न ही सीमा पार आतंकवाद को लेकर भारत के रुख का। ऐसे में भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए उस पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। एससीओ के सदस्य देशों में भारत के अलावा चीन, पाकिस्तान, बेलारुस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान तथा ईरान शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर देशों के रक्षा मंत्री बैठक में मौजूद थे।
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