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रिपोर्ट: संघर्ष और अस्थिर देशों में तेजी से बढ़ रही गरीबी

विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के 39 देशों में संघर्ष और अस्थिरता के कारण अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है। यहां गरीबी तेजी से बढ़ रही है और भूखमरी का दायरा भी बढ़ रहा है। अफ्रीकी देशों...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 28 June 2025 12:33 AM
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रिपोर्ट: संघर्ष और अस्थिर देशों में तेजी से बढ़ रही गरीबी

जिनेवा, एजेंसी। दुनिया के अलग-अलग देशों में संघर्ष के हालात और अस्थिरता से उनकी अर्थव्यवस्था चोटिल हो रही। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 39 अर्थव्यवस्थाओं पर इसका बुरा असर देखने को मिल रहा है। कोराना महामारी के बाद तैयार हुई रिपोर्ट में कहा गया है कि विवाद और अस्थिरता के कारण अन्य जगहों की तुलना में 39 देशों में गरीबी तेजी से बढ़ रही। भूखमरी का दायरा बड़ा हो रहा और विकास कार्य ठप हो गए हैं। पिछले साल की तुलना में प्रति व्यक्ति जीडीपी हर साल 1.8 फीसदी घट रही है। वहीं विकासशील देशों में ये 2.9 फीसदी है।

इस साल संघर्षरत और अस्थिर देशों में रहने वाले 42.1 करोड़ लोग 252 रुपये से कम में प्रतिदिन गुजारा करने को मजबूर हैं। अनुमान है कि 2030 तक ये आंकड़ा 43.5 करोड़ हो जाएगा जो दुनिया की 60 फीसदी अत्यंत गरीब लोग होंगे। अफ्रीकी सबसे अधिक प्रभावित विश्व बैंक समूह के मुख्य अर्थशास्त्री इंदरमीत गिल का कहना है कि बीते तीन साल से यूक्रेन और मध्यपूर्व में तनातनी के हालात हैं। संघर्ष और अस्थिरता के शिकार 70 फीसदी लोग अफ्रीकी हैं। समस्या का समाधान नहीं निकलने के कारण हालात तेजी से खराब हो रहे हैं। कई देश ऐसे हैं जहां 15 साल से हालात खराब हैं और समय के साथ यहां की स्थिति तेजी से खराब हो रही है। 39 देशों में से 21 में अभी भी संघर्ष जारी है। विकासशील देशों में बेरोजगार रिपोर्ट के अनुसार विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में गरीबी का दायरा छह फीसदी है। वहीं जिन देशों में संघर्ष और अस्थिरता के हालात हैं वहां ये दर 40 फीसदी है। यहां प्रति व्यक्ति जीडीपी स्तर 1.26 लाख रुपये है। ये स्थिति तब है जब प्रति व्यक्ति जीडीपी 5.80 लाख के औसत की तुलना में दोगुना हो गई है। चिंता की बात ये है कि इन देशों में 27 करोड़ लोगों की उम्र कामगारों की है लेकिन आधे से अधिक बेरोजगार हैं। समस्या का समाधान जरूरी रिपोर्ट में कहा है कि समस्या का समाधान पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। आर्थिक स्तर पर जरूरी सुधारों के साथ लोगों को रोजगारपरक बनाने पर जोर देना होगा। निजी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर नौकरियों का सृजन समय की जरूरत है। शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवहन क्षेत्र को बेहतर करना होगा। इसी से हालात बदलेंगे। लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए भी जिम्मेदारों को सतर्क रहना होगा।

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