सौ करोड़ की धोखाधड़ी मामले में ईडी की गुजरात और महाराष्ट्र में छापेमारी
नोट--इस फाइल में ईडी से संबंधित दो खबरें हैं वर्ष 2024 में गुजरात पुलिस

अहमदाबाद, एजेंसी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने साइबर अपराध से जुड़े 100 करोड़ रुपये से अधिक के धन शोधन मामले में बुधवार को गुजरात और महाराष्ट्र में छापेमारी की। साइबर अपराधियों पर ‘डिजिटल अरेस्ट जैसे अपराध करने और विदेश में 100 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि स्थानांतरित करने का आरोप है। सूत्रों ने बताया कि धन शोधन का यह मामला 2024 में मकबूल डॉक्टर, काशिफ डॉक्टर, बासम डॉक्टर, महेश मफतलाल देसाई, माज अब्दुल रहीम नाडा और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ गुजरात पुलिस ने दर्ज किया था। आरोप है कि आरोपियों ने नकली यूएसडीटी ट्रेडिंग (क्रिप्टो मुद्रा), डिजिटल अरेस्ट, कानून प्रवर्तन एजेंसियों आदि के नकली नोटिस भेजकर लोगों के साथ धोखाधड़ी की है।
सूत्रों के अनुसार, ईडी को संदेह है कि साइबर धोखाधड़ी के माध्यम से प्राप्त धन को या तो डमी व्यक्तियों के केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) का उपयोग करके या फर्जी केवाईसी दस्तावेजों के आधार पर खोले गए बैंक खातों में जमा किया गया था। साथ ही हवाला ऑपरेटर के माध्यम से इस अवैध धन को क्रिप्टो करेंसी में बदला जाता था। बैंक ऋण धोखाधड़ी मामला:::: दिल्ली-एनसीआर में नौ ठिकानों पर छापेमारी --बैंक से 989 करोड़ रुपये का ऋण लेकर धोखाधड़ी का है आरोप --पंजाब के जालंधर में भी ईडी की छापेमारी नई दिल्ली, एजेंसी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 989 करोड़ रुपये के बैंक ऋण धोखाधड़ी से जुड़े धन शोधन मामले में दिल्ली-एनसीआर के नौ और पंजाब के एक परिसर में छापेमारी की। सूत्रों ने बताया कि ऑटोमोबाइल और टेलीकॉम क्षेत्र के लिए बिजली के तार और केबल का डिजाइन एवं निर्माण करने वाली दिल्ली स्थित शिल्पी केबल्स टेक्नोलॉजीज लिमिटेड (एसीटीएल) के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। कंपनी के खिलाफ 2017 में दिवालिया की कार्रवाई शुरू की गई थी। सूत्रों ने कहा कि धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दिल्ली-एनसीआर में नौ परिसरों और जालंधर में एक परिसर में छापेमारी की गई। उन्होंने कहा कि धन शोधन का मामला 2021 में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक प्राथमिकी से सामने आया है। इसमें कंपनी के प्रवर्तकों और अन्य सहयोगियों पर आईडीबीआई बैंक के नेतृत्व वाले बैंकों के एक संघ से 998 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप है। सूत्रों ने बताया कि आरोपियों ने बैंक से ऋण लेकर मनमाने ढंग से रुपये का इस्तेमाल किया। इसके बाद ऋण भी वापस नहीं किया। विदेश में धन भेजने का संदेह ईडी को संदेह है कि एलएससी (लेटर ऑफ क्रेडिट) का उपयोग करके बैंकों से लिए गए ऋण का एक बड़ा हिस्सा फर्जी लेनदेन के माध्यम से विदेश में स्थानांतरित किया गया था। सूत्रों के अनुसार, पूर्व प्रबंध निदेशक मनीष गोयल की भूमिका एजेंसी की जांच के दायरे में है।
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