दिल्ली हाईकोर्ट ने सरना और जीके की याचिका खारिज की, डीएसजीएमसी के सदस्यों को वोटिंग अधिकार बरकरार
नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी

नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी ) के चुने हुए दो सदस्यों, कश्मीर सिंह और मलकियत सिंह के वोटिंग अधिकार बरकरार रखने का फैसला सुनाया है। यह फैसला परमजीत सिंह सरना और मंजीत सिंह जीके की उस याचिका के खिलाफ आया, जिसमें उन्होंने 25 जून को होने वाले कमेटी के चुनावों में इन सदस्यों के वोटिंग अधिकार छीनने की मांग की थी। अकाल तख्त से शिकायत : डीएसजीएमसी मेंबर रणजीत कौर, सुखविंदर सिंह और अन्य सदस्यों ने अकाल तख्त साहिब को पत्र लिखकर पूर्व प्रधान परमजीत सिंह सरना के खिलाफ शिकायत दी है।
शिकायत में दावा है कि सरना ने 22 जून को गुरुद्वारा बंगला साहिब में मीडिया के सामने स्वीकार किया कि 2022 के डीएसजीएमसी चुनावों में उन्होंने सदस्यों को 25-30 लाख रुपये देने का वादा किया था, ताकि वे उनके पक्ष में वोट दें। डीएसजीएमसी ने पंथ से तुरंत निष्कासित करने और उनके खिलाफ विस्तृत जांच कमेटी गठित करने की मांग की है। साथ ही आरोप लगाया गया कि सरना ने गुरुद्वारा बंगला साहिब में अरदास के दौरान मर्यादा का उल्लंघन किया। सरना और जीके का इस्तीफा : डीएसजीएमसी में सरकारी दखल के गंभीर आरोपों के बीच शिरोमणी अकाली दल (बादल) के वरिष्ठ नेता परमजीत सिंह सरना और मनजीत सिंह जीके ने अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। सरना और जीके ने दिल्ली सरकार पर सिख धार्मिक स्वायत्तता को कमजोर करने का आरोप लगाया। हाई कोर्ट के फैसले पर मंजीत सिंह जीके ने निराशा जाहिर की। रणजीत कौर के आरोपों को मंजीत सिंह जीके ने निराधार बताया है।
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