मस्जिद गिराने के मामले में एमसीडी से जवाब तलब
दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगोलपुरी में मस्जिद के गिराए जाने पर नगर निगम से जवाब मांगा है। मस्जिद कमेटी का आरोप है कि बिना सूचित किए तोड़फोड़ की गई। एमसीडी ने कहा है कि वह अगली सुनवाई तक कोई और कार्रवाई...

नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। हाई कोर्ट ने बुधवार को मंगोलपुरी इलाके में मस्जिद गिराए जाने पर अवमानना याचिका पर नगर निगम से जवाब मांगा है। आरोप है कि मस्जिद कमेटी को सीमांकन रिपोर्ट दिए बिना आधी रात को तोड़फोड़ शुरू कर दी गई। इस बीच दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने कोर्ट में कहा कि वह अगली सुनवाई तक कोई और कार्रवाई नहीं करेगा। यह अवमानना याचिका मंगोलपुरी मुहम्मदी जामा मस्जिद व मदरसा अनवर उल उलूम से संबंधित है। न्यायमूर्ति रेणु भटनागर की पीठ ने एमसीडी से जवाब मांगा है। पीठ ने अगली सुनवाई के लिए 9 जुलाई की तारीख तय की है।
मस्जिद वेलफेयर एसोसिएशन की तरफ से अधिवक्ता रेणु पेश हुईं। उन्होंने दलील दी कि एमसीडी ने कथित तौर पर अतिक्रमण किए गए इलाके का सीमांकन किए बिना आधी रात को तोड़फोड़ शुरू कर दी। यह भी कहा गया कि मस्जिद को 400 वर्ग मीटर जमीन आवंटित की गई थी। दूसरी तरफ एमसीडी ने दलील दी कि तोड़फोड़ बुधवार सुबह शुरू हुई, आधी रात को नहीं। यह अवमानना याचिका मंगोलपुरी मुहम्मदी जामा मस्जिद व मदरसा अनवारुल-उलूम वेलफेयर एसोसिएशन ने 18 नवंबर 2024 को पारित हाई कोर्ट के पहले के आदेश की अवहेलना को लेकर दायर की गई है। कोर्ट ने एमसीडी को सार्वजनिक भूमि पर किसी भी अतिक्रमण वाले हिस्से की पहचान करने व उसे चिह्नित करने और याचिकाकर्ता द्वारा नहीं हटाए जाने की स्थिति में उसे हटाने के लिए कानूनी कदम उठाने का निर्देश दिया है। यह कहा गया है कि उक्त आदेश के मद्देनजर याचिकाकर्ता ने स्वेच्छा से 19 नवंबर 2024 को मस्जिद से सटे चिह्नित हिस्से को हटा दिया था। दावा है कि 26 जून को प्रतिवादियों द्वारा मस्जिद परिसर में एक नया नोटिस चस्पा किया गया जिसमें बिना किसी पूर्व सूचना, सुनवाई के बलपूर्वक विध्वंस कार्रवाई का संकेत दिया गया था। यह भी कहा गया कि याचिकाकर्ता ने अतिक्रमण हटाने की तस्वीरों के साथ 23 जून 2025 को एमसीडी को एक विस्तृत अनुपालन रिपोर्ट दायर की, हालांकि कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद याचिकाकर्ता को मौखिक रूप से 25 जून को मस्जिद के प्रस्तावित विध्वंस के बारे में सूचित किया गया।
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