दुष्कर्म पीड़ित किशोरी ने गर्भपात से इनकार किया
उच्च न्यायालय ने अधिकारियों को गर्भावस्था के शेष समय के दौरान उसकी उचित देखभाल सुनिश्चित करने का आदेश दिया

नई दिल्ली, प्रमुख संवाददात। दुष्कर्म पीड़ित किशोरी ने दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि उसने अपने माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध जाकर 29 सप्ताह की गर्भावस्था को पूरा करने का निर्णय लिया है। इसलिए वह याचिका वापस ले रही है। इस याचिका में गर्भावस्था के चिकित्सीय समापन की अनुमति मांगी गई थी। वैकल्पिक आवास के लिए उसकी याचिका को स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया है कि लड़की को दिल्ली के आश्रय गृह निर्मल छाया में रखा जाए। उच्च न्यायालय ने अधिकारियों को गर्भावस्था के शेष समय के दौरान उसकी उचित देखभाल सुनिश्चित करने का आदेश भी दिया है।
न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान नाबालिग ने कहा कि उसके माता-पिता उसके निर्णय का विरोध कर रहे हैं। इसलिए वह अपने पैतृक घर में रहने में असमर्थ है। वह बच्चे को जन्म देना चाहती है। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को हरि नगर स्थित निर्मल छाया रखा जा सकता है। न्यायालय ने संबंधित अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया कि वे सुनिश्चित करें कि याचिकाकर्ता की गर्भावस्था बिना किसी कठिनाई के पूरी हो और आवश्यकतानुसार सभी सहायता प्रदान की जाए। नाबालिग की इच्छा को देखते हुए याचिका को वापस ले लिया गया है।
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