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उपचुनाव के नतीजों ने दिखाई भावी राजनीति की तस्वीर

चार राज्यों में पांच विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे राजनीतिक तस्वीर को स्पष्ट करते हैं। आम आदमी पार्टी ने अपनी ताकत दिखाई है, जबकि भाजपा और तृणमूल कांग्रेस ने अपनी स्थिति बरकरार रखी है। केरल...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 23 June 2025 07:18 PM
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उपचुनाव के नतीजों ने दिखाई भावी राजनीति की तस्वीर

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता चार राज्यों की पांच विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे भावी राजनीतिक तस्वीर के संकेत देते है। इनमें जहां आम आदमी पार्टी (आप) ने अपनी ताकत दिखाई है, वहीं भाजपा और तृणमूल कांग्रेस ने अपनी मौजूदा स्थिति बरकरार रखी है। हालांकि, केरल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए सत्तारूढ़ वामपंथी गठबंधन को कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ से लगा झटका काफी अहम है। वैसे तो इन पांच सीटों पर उपचुनाव से बहुत ज्यादा मायने नहीं निकाले जाने चाहिए, लेकिन पिछले कुछ महीनों के बेहद अहम घटनाक्रमों और भावी परिस्थितियों के मद्देनजर इनका महत्व काफी ज्यादा है।

ऑपरेशन सिंदूर, जातीय गणना का फैसला और मौजूदा अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों का भी थोड़ा बहुत असर इन पर महसूस किया जा सकता है। इन उपचुनाव से सबसे ज्यादा सुकून आप को मिला है, जो इस साल के शुरुआत में दिल्ली विधानसभा चुनाव बुरी तरह हारी थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत उनकी सरकार के तमाम मंत्री चुनाव हार गए थे। इसके बावजूद पार्टी ने पंजाब में अपनी लुधियाना पश्चिम की सीट बरकरार रखी है। वहां जीत का महत्व इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि पार्टी ने वहां राज्यसभा सदस्य संजीव अरोड़ा को चुनावी मैदान में उतारा था। अरोड़ा के जीतने के बाद अब उनका पंजाब सरकार में मंत्री बनना तय है। साथ ही खाली होने वाली राज्यसभा सीट से केजरीवाल के संसद के उच्च सदन में पहुंचने की संभावना बढ़ गई है। हालांकि, पार्टी ने अभी इसकी घोषणा नहीं की है, लेकिन उसके नेताओं ने कहा कि जल्द केंद्रीय नेतृत्व फैसला करेगा। गुजरात में कम नहीं हुआ आप का जनाधार गुजरात में भाजपा के मंसूबों को एक बार फिर ध्वस्त करते हुए आप ने विसावदर सीट पर जीत हासिल की है। यहां पर उसके नेता गोपाल इटालिया विजयी रहे हैं। इस सीट का महत्व इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में भी यहां से आप जीती थी, लेकिन उसके विधायक ने बाद में भाजपा का दामन थाम लिया था और इस्तीफा दे दिया था। इसकी वजह से वहां उपचुनाव कराया गया। आप ने जीत हासिल कर साबित किया है कि गुजरात में उसका जनाधार कम नहीं हुआ है। वहीं, भाजपा ने गुजरात की दूसरी सीट कडी बड़े अंतर से जीत कर अपना दबदबा बनाए रखा है। सीटों की दृष्टि से देखा जाए तो भाजपा को कोई नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन जिस तेजी से उसे बढ़ना चाहिए था, वह नहीं बढ़ पाई है। केरल में कांग्रेस की मजबूत दावेदारी अगले साल केरल में विधानसभा चुनाव हैं और उसके पहले सत्तारुढ़ वाम मोर्चा को झटका लगा है। वहां की नीलांबुर सीट से यूडीएफ के कांग्रेस उम्मीदवार विजयी रहे। इस सीट पर पिछली बार एलडीएफ समर्थक निर्दलीय उम्मीदवार ने चुनाव जीता था, लेकिन बाद में उन्होंने विधानसभा से इस्तीफा देकर तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया था। इस बार वह तीसरे स्थान पर रहे। केरल को काफी उम्मीद से देख रही भाजपा को एक बार फिर निराशा का सामना करना पड़ा, क्योंकि वह इतने वोट भी हासिल नहीं कर सकी, जिससे कि अगले चुनाव में बड़ी ताकत बनने की संभावना बन सके। दूसरी तरफ कांग्रेस ने जीत हासिल कर अगले साल चुनाव के लिए अपनी मजबूत दावेदारी पेश की है। बंगाल में तृणमूल ही मजबूत पश्चिम बंगाल में कालीगंज सीट भारी अंतर से जीत कर तृणमूल ने अपनी मजबूती साबित की है। यहां पर भी अगले साल चुनाव होने हैं और यह नतीजे तृणमूल का उत्साह बढ़ाने के लिए काफी है। वहीं, उसे चुनौती दे रही भाजपा के लिए नतीजे थोड़े निराशा वाले हैं।

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