गाजियाबाद के इस गैंग ने कराईं 700 क्रिमिनल्स की बेल, फर्जी कागजों से ऐसे चल रहा था पूरा खेल; 7 लोग दबोचे
गाजियाबाद क्राइम ब्रांच ने फर्जी दस्तावेजों से अभियुक्तों को जमानत दिलाने वाले गैंग का खुलासा कर सात आरोपियों को कविनगर थानाक्षेत्र से गिरफ्तार किया है। गिरोह छह साल में 700 से अधिक अभियुक्तों को जमानत दिला चुका है।

गाजियाबाद क्राइम ब्रांच ने फर्जी दस्तावेजों से अभियुक्तों को जमानत दिलाने वाले गैंग का खुलासा कर सात आरोपियों को कविनगर थानाक्षेत्र से गिरफ्तार किया है। गिरोह छह साल में 700 से अधिक अभियुक्तों को जमानत दिला चुका है। पुलिस इस गैंग से जुड़े अन्य 12 फरार अरोपियों की तलाश कर रही है। पुलिस फर्जी दस्तावेजों से जमानत पर छूटने वाले लोगों को भी ट्रेस कर रही है।
एडीसीपी क्राइम पीयूष सिंह ने गुरुवार को बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपियों में बागपत रोड मेरठ स्थित मुल्तान नगर में मंदिर वाली गली निवासी 57 वर्षीय अनोज यादव, डासना के मोहल्ला बाजीगरान निवासी 52 वर्षीय इसरार, भूपेंद्रपुरी मोदीनगर निवासी 41 वर्षीय बबलू, गांव फफराना निवासी 50 वर्षीय लोकेंद्र, नंदग्राम के सुभाष नगर घूकना निवासी 30 वर्षीय राहुल शर्मा, ब्रह्मपुरी मोदीनगर में रहने वाले 52 वर्षीय सुनील कुमार और राजनगर सेक्टर-पांच निवासी 21 वर्षीय विकास राजपूत शामिल हैं। सुनील कुमार मूलरूप से थाना कोतवाली बागपत के गांव बिजवाड़ा और विकास मूलरूप से लखीमपुर खीरी के मुलह पुरवा का रहने वाला है।
दंपती समेत 12 आरोपी फरार : आरोपियों से 21 फर्जी आधार कार्ड, 18 फर्जी खतौनी, पांच बिना भरे बेल बॉन्ड, पांच रसीदी टिकट, थानों, राजस्व विभाग से जुड़ीं 10 फर्जी मुहरें, एक इंक पैड और लैपटॉप बरामद हुआ है। पूछताछ में 12 अन्य आरोपियों का पता चला है। इनमें राजकुमार, वीरू, मुर्सलीन, इरफान, इरफान की पत्नी चंचल, इकराम, भूषण, राकेश, विपिन त्यागी, महीपाल, राशिद उर्फ काला तथा सोनिया शामिल हैं। इनकी तलाश में पुलिस दबिश दे रही है।
जमानत पर छूटे अभियुक्तों पर भी कार्रवाई होगी : एडीसीपी क्राइम ने बताया कि गिरोह के सदस्य हत्या को छोड़कर अन्य सभी मामलों में जेल में बंद अभियुक्तों की जमानत लेते थे। गिरोह के सदस्यों के खिलाफ गैंगस्टर ऐक्ट के तहत कार्रवाई कर संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई की जाएगी। फर्जी दस्तावेजों से जमानत पर छूटने वाले लोगों को भी ट्रेस किया जा रहा है। उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
ऐसे फर्जीवाड़ा कर रहे थे
एडीसीपी क्राइम के मुताबिक, आरोपी भू-लेख वेबसाइट से ऑनलाइन खतौनी निकालते थे। उस पर जन सेवा केंद्र की फर्जी मुहर लगाकर प्रमाणित कर लेते थे। जमानती के सत्यापन संबंधी कागजात पर थाने की फर्जी मुहर लगाते थे। फिर अदालत में फर्जी दस्तावेज दाखिल कर अभियुक्तों की जमानत करा देते थे। छह साल से संचालित गिरोह 700 से अधिक अभियुक्तों की जमानत करा चुके हैं। आरोपी फर्जी जमानत के लिए अलग-अलग बेल बॉन्ड के अनुसार, रकम वसूलते थे। 20 से 30 हजार की जमानत पर 5 से 7 हजार रुपये और 40 से 50 हजार की जमानत पर 7 से 10 हजार रुपये तय था।
आरोपियों ने इस तरह बनाया गिरोह
● आठवीं पास अनोज यादव पहले नोएडा की कंपनी में काम करता था। उसे मोदीनगर निवासी बबलू ने गाजियाबाद कचहरी में काम दिलवा दिया। उसे कुछ ऐसे लोग मिले, जिन्हें जमानती नहीं मिल रहे थे। अनोज ने उन लोगों को ऐसे जमानतियों से मिलवाया, जो फर्जी जमानत लेने को तैयार थे। फर्जी दस्तावेज विकास उर्फ सम्राट तैयार करता था।
● निरक्षर इसरार को मुर्सलीन कचहरी लेकर आया था। मुर्सलीन उसे एक जमानती पर 500 से 700 रुपये देता था। उसकी मुलाकात राशिद काला, बबलू, इकराम, चंचल, भूषण, अनोज से हुई। सभी ने गैंग बना लिया।
● दसवीं फेल बबलू 10 सालों से कचहरी में काम कर रहा है। वह गिरोह से जुड़कर फर्जी जमानत लेने लगा।
● लोकेंद्र आठ-नौ वर्षों से फर्जी जमानत ले रहा। गौतमबुद्ध नगर की सूरजपुर पुलिस 2018 में उसे जेल भेज चुकी है। जेल से छूटने पर फर्जी जमानत लेने का काम करने लगा।
● दसवीं पास राहुल की कचहरी में बबलू से मुलाकात हुई। बबलू ने उसे भी गिरोह से जोड़ लिया।
● पांचवीं पास सुनील मजदूरी करता था। तीन-चार साल पहले अनीस नाम के व्यक्ति ने जमानत लेने को कहा। इसके लिए उसे 300 रुपये मिले थे। तभी से वह फर्जी जमानत लेने लगा। अनीस के देहांत के बाद वह सुनील, अनोज के गिरोह में शामिल हो गया।
● विकास राजपूत उर्फ सम्राट एलएलबी का छात्र है। बारहवीं के बाद वह कचहरी में दीपक नाम के व्यक्ति के साथ बैठने लगा, जो फोटो बनाना, फोटो कॉपी करना, फर्जी आधार कार्ड बनाने और फर्जी तरीके से उद्धरण खतौनी निकालता था। वह गैंग के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करता था। डेढ़ साल पहले दीपक का देहांत होने के बाद वह गैंग के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करने लगा।