क्लासरूम्स घोटाला : सिसोदिया ने अफसरों पर डाली जिम्मेदारी, ACB ने पूछे करीब 35 सवाल
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से एसीबी ने शुक्रवार को करीब तीन घंटे 40 मिनट तक पूछताछ की। यह पूछताछ दिल्ली सरकार के स्कूलों में क्लासरूम्स निर्माण में कथित 2000 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितताओं को लेकर की गई।

दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने शुक्रवार को करीब तीन घंटे 40 मिनट तक पूछताछ की। यह पूछताछ दिल्ली सरकार के स्कूलों में क्लासरूम्स निर्माण में कथित 2000 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितताओं को लेकर की गई। सिसोदिया सुबह 11 बजे एसीबी दफ्तर पहुंचे थे और दोपहर 2:40 बजे रवाना हुए।
पूछताछ के दौरान एसीबी की टीम ने स्वतंत्र गवाह की मौजूदगी में सिसोदिया से करीब 35 सवाल पूछे। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने कई सवालों पर जानकारी नहीं होने की बात कही और जिम्मेदारी संबंधित विभागीय अधिकारियों पर डाली।
बैंक खातों और निजी जानकारी से जुड़े सवालों के जवाब उन्होंने दिए, लेकिन सत्येंद्र जैन से जुड़े सवालों पर चुप्पी साध ली। इस मामले में एसीबी ने 30 अप्रैल को सिसोदिया पर केस दर्ज किया था। उन पर आरोप है कि स्कूलों में क्लासरूम्स निर्माण में ठेकेदारों को ऊंची दरों पर ठेके दिए गए। मामला भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1) और आईपीसी की धारा 409, 120बी के तहत दर्ज है। पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने कहा कि मनीष सिसोदिया पर लगाया गया क्लासरूम घोटाले का आरोप पूरी तरह से झूठा एवं फर्जी है।
इधर, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने आरोप लगाया कि जैसे-जैसे क्लासरूम घोटाले की जांच आगे बढ़ रही है, आम आदमी पार्टी नेताओं की बेचैनी भी बढ़ रही है। उन्होंने दावा किया कि केजरीवाल सरकार के दौरान शौचालयों को क्लासरूम बताकर भुगतान किए गए। यह अब जांच से स्पष्ट हो चुका है और मामला न्यायालय में जाएगा। सचदेवा ने कहा कि ‘आप’ नेताओं ने जांच एजेंसियों को जरूरी जानकारी नहीं दी, जिससे जांच धीमी रही। उन्होंने कहा कि अब भाजपा सरकार एजेंसियों को पूरा सहयोग दे रही है और जल्द ही कई ‘आप’ नेता जेल जाएंगे।
एसीबी का दावा: क्लासरूम निर्माण में अनियमितताएं बरतीं
● दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 12,748 क्लासरूम या सेमी-परमानेंट स्ट्रक्चर (एसपीएस) बनाने में गंभीर गड़बड़ियां सामने आई हैं।
● निर्माण कार्य के ठेके मनमाने रेट पर दिए गए, जिससे लागत जरूरत से कहीं ज्यादा बढ़ गई।
● जांच में पाया गया कि कुल 34 ठेकेदारों को काम सौंपा गया, जिनमें से कई के संबंध आम आदमी पार्टी से जुड़े हुए बताए जा रहे हैं।
● बिना नया टेंडर जारी किए, परियोजना की कुल लागत में 326 करोड़ रुपये अतिरिक्त जोड़े गए।