अब सरकारी सेवाएं आपके दरवाजे तक नहीं पहुंचेंगी, बीजेपी सरकार का नया प्लान जानिए
दिल्ली में सरकारी सेवाओं की डोर स्टेप डिलीवरी की सर्विस अब बंद हो जाएगी। बीजेपी सरकार दिल्ली में जन सेवा केंद्र खोलने जा रही है, जहां सभी सरकारी सेवाएं मिलेंगी।

दिल्लीवालों को घर बैठे सरकारी सेवाएं पहुंचाने के लिए पिछली सरकार में शुरू हुई डोर स्टेप डिलीवरी योजना अब पूरी तरह बंद होने जा रही है। यह योजना पिछले साल से ही निष्क्रिय पड़ी थी और अब भाजपा सरकार इसे औपचारिक रूप से बंद करने जा रही है।
खोले जाएंगे जन सेवा केंद्र
सूत्रों के मुताबिक, भाजपा सरकार डोर स्टेप डिलीवरी के बजाय घर के नजदीक मोहल्ले में जन सेवा केंद्र (सीएससी) खोलने की योजना बना रही है। विभाग ने इस योजना का कैबिनेट प्रस्ताव भी तैयार है। दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, नई सरकार राजधानी में जन सेवा केंद्र स्थापित करने की योजना बना रही है। इन सेंटर्स के माध्यम से नागरिकों को मल्टी-डिपार्टमेंटल सेवाएं एक ही छत के नीचे मिलेंगी। हालांकि, उसके लिए आवेदनकर्ता तो 50 रुपये का सुविधा शुल्क चुकाना होगा। मगर इसके साथ यह सुनिश्चित किया जाएगा कि लोगों को समयबद्ध और बिना किसी रुकावट के ऑनलाइन सेवाएं उपलब्ध हो सकें। जन सेवा केंद्र जैसी योजना भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों में पहले से चल रही है।
भाजपा सरकार के मुताबिक, डोर स्टेप डिलीवरी के बजाय जन सेवा केंद्र लोगों के लिए ज्यादा उपयोगी होंगे। लोग अपनी सुविधानुसार अपने घर के नजदीक स्थित केंद्र पर जाकर उसका लाभ उठा सकें। शहरभर के मोहल्लों और बाजारों में यह सुविधा केंद्र खोले जाएंगे, जहां प्रशिक्षित स्टाफ नागरिकों की आवेदन प्रक्रिया में मदद करेंगे। इन केंद्रों के माध्यम से आय, जाति, निवास प्रमाणपत्र, ड्राइविंग लाइसेंस और वाहन पंजीकरण, पानी-बिजली से जुड़े बिल/सेवाएं, पेंशन और वृद्धावस्था योजनाएं, राशन कार्ड और आधार संबंधित सेवाएं भी मिलेंगी।
यह है डोरस्टेप डिलीवरी योजना
पूर्व की आम आदमी पार्टी सरकार में वर्ष 2018 में डोर स्टेप डिलीवरी योजना की शुरुआत 40 सरकारी सेवाओं के साथ की गई थी। पिछले साल फरवरी से ही यह योजना जब निष्क्रिय हुई तब कुल ड्राइविंग लाइसेंस, जाति प्रमाणपत्र, पंजीकरण समेत अलग-अलग विभाग की 100 सेवाएं मिल रही थीं। इसके तहत लोगों को एक निश्चित शुल्क देकर घर बैठे आवेदन करने और सेवा पाने का सुविधा मिलती थी। कोविड के बाद से तकनीकी खामियों के चलते यह धीरे-धीरे निष्क्रिय हो गई। हालांकि, इस योजना के शुरू होने के बाद लाखों लोगों ने इसका लाभ उठाया था।