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ऑटोमोबाइल उद्योग के ऑर्डर पर दस फीसदी की कमी आई

इजराइल-ईरान संघर्ष: -ईरान से आने वाले क्रूड ऑयल की कीमतें बढ़ने की संभावना -गुरुग्राम में साढ़े चार हजार ऑटोमोबाइल उद्योग संचालित होते है

Newswrap हिन्दुस्तान, गुड़गांवMon, 23 June 2025 11:06 PM
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ऑटोमोबाइल उद्योग के ऑर्डर पर दस फीसदी की कमी आई

गुरुग्राम। इजराइल-ईरान के बीच चल रहे युद्ध से गुरुग्राम के उद्योगों पर असर देखने को मिल रहा है। विदेशों से मिलने वाले ऑटो पार्ट्स के ऑर्डर पर दस फीसदी की कमी आई है। इसमें न केवल ऑटो पार्टस के ऑर्डर कैंसल हों रहे है। बल्कि ईरान से आने वाला क्रूड ऑयल भी मंहगा होने की संभावना बढ़ गई है। इससे उद्यमियों की चिंता बढ़ गई है। करोड़ों रुपये के नुकसान की भी आशंका यहां के कारोबारियों को नजर आने लगी है। ऑटो पार्टस उत्पादन पर सीधा पड़ेगाः गुरुग्राम में साढ़े चार हजार ऑटोमोबाइल उद्योग संचालित होते है। इजराइल-ईरान के बीच जो युद्ध चल रहा है।

उसका असर ऑटो पार्टस उद्योग पर पड़ने लगा। इसमें कार के विभिन्न आइटम तैयार किए जाते हैं जो ऑर्डर पर तैयार होते है। उनकी कंपनी में 12 प्रकार के पार्टस तैयार होते हैं। विदेशों से भी करोड़ों रुपये के ऑर्डर मिलते हैं, जो समुद्री जहाज द्वारा इजराइल, ईरान समेत कई देशों में भेजे जाते हैं। इस वक्त इन दो देशों के बीच जो स्थिति है, उसका असर गुरुग्राम के ऑटो पार्टस उत्पादन पर सीधा पड़ेगा। उद्यमियों ने कहा कि समुद्री जहाज से सामानों को भेजे है। जो ऑर्डर में दस प्रतिशत कमी हो गई है। आने वाले दिनों में युद्ध से नुकसान होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। दोनों देशो के युद्ध से संभावित असर: उद्यमियों की माने तो भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का लगभग 85 प्रतिशत हिस्सा आयात से पूरा करता है। भारत के लिए होर्मुज जलडमरूमध्य का विशेष महत्व है, क्योंकि यहां से उसके कच्चे तेल के आयात का बड़ा हिस्सा आता है। भारत प्रतिदिन लगभग 5.5 मिलियन बैरल तेल आयात करता है, जिसमें से करीब 2 मिलियन बैरल होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर आता है। भारत ने बीते वर्षों में आयात स्रोतों में विविधता लाई है। अब रूस, अमेरिका, ब्राजील और अफ्रीकी देशों से भी भारत कच्चा तेल और एलएनजी ले रहा है। विशेषकर रूस से आने वाला तेल स्वेज नहर या केप ऑफ गुड होप होकर आता है, जो होर्मुज से अलग है। भारत का प्रमुख गैस आपूर्तिकर्ता कतर होर्मुज जलडमरूमध्य पर बहुत अधिक निर्भर नहीं है, जिससे गैस आपूर्ति कुछ हद तक सुरक्षित है। इजराइल-ईरान के बीच युद्ध लंबे समय तक चला तो निर्यात-आयात के लिए हवाई तथा समुद्री मार्ग से माल ढुलाई की लागत और बीमा प्रीमियम में वृद्धि हो जाएगी। कुल मिलाकर अधिकांश कंपनियों पर तात्कालिक प्रभाव सीमित रहने की उम्मीद है। लेकिन युद्ध के हालात लंबे समय तक बने रहे तो तेल की कीमतों में वृद्धि और सप्लाई चेन में बाधा के कारण प्रभाव और बढ़ सकता है। इससे ऑटो पार्टस लेकर अन्य सामानों पर महंगाई भी बढ़ेगी। विनोद बापना अध्यक्ष सीआईआई व सीईओ कैपारो मारुति लिमिटेड दोनों देशों के बीच हो रहे युद्ध का असर है। सबसे प्रमुख चिंता महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों, विशेष रूप से होर्मुज जलडमरूमध्य और लाल सागर के संभावित व्यवधान में निहित है। जहां से कच्चे तेल के आयात और प्राकृतिक गैस आयात होता है। हमलों ने पहले ही कई जहाजों को लंबे और अधिक महंगे केप ऑफ गुड होप के रास्ते से होकर जाने के लिए मजबूर कर दिया है, जिससे ईंधन और बीमा प्रीमियम में काफी वृद्धि हुई है। जो ऑटो मोबाइल उद्योग पर असर डालना शुरू कर दिया है। इससे नुकसान होने की संभावना बढ़ गई है। विनोद कुमार उद्यमी ऑटोमोबाइल होर्मुज जलडमरूमध्य पर बढ़ते तनाव से न केवल वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति पर खतरा मंडरा रहा है, बल्कि इसका असर गुरुग्राम के उद्योग-व्यापार पर भी पड़ सकता है। यदि तेल की कीमतों में तेजी आई तो ट्रांसपोर्ट, मैन्युफैक्चरिंग और कच्चे माल की लागत बढ़ेगी, जिसका सीधा असर एमएसएमई सेक्टर और आम उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। ऐसे में हमें सतर्क रहकर दीर्घकालिक ऊर्जा नीति को और मजबूती देनी होगी। दीपक मैनी, चेयरमैन प्रोग्रेसिव फेडरेशन ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री हरियाणा

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