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सफाई में कोताही मिलने पर नौ करोड़ का जुर्माना लगा

गुरुग्राम के मानेसर नगर निगम ने सड़क सफाई के कार्य में अनियमितताओं के चलते आउटसोर्स एजेंसी पर 9.2 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। एजेंसी ने 13 करोड़ रुपये के बिलों का भुगतान मांगा था, लेकिन समिति ने...

Newswrap हिन्दुस्तान, गुड़गांवSun, 15 June 2025 11:53 PM
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सफाई में कोताही मिलने पर नौ करोड़ का जुर्माना लगा

गुरुग्राम, वरिष्ठ संवाददाता। मानेसर नगर निगम में सड़क सफाई, नाले की गाद निकालने और झाड़ी उखाड़ने का काम कर चुकी आउटसोर्स एजेंसी पर गंभीर अनियमितताओं के आरोप लगे हैं। इन अनियमितताओं के चलते निगम आयुक्त द्वारा गठित समिति ने एजेंसी के बिलों पर नौ करोड़ 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। हालांकि एजेंसी प्रबंधन का कहना है कि इनके बिलों पर लगाए गए जुर्माने की जांच मुख्यालय की तरफ से गठित समिति द्वारा की जाएगी। निगम ने अपने स्तर पर ही यह समिति गठित करके उसके कुछ ही बिलों का भुगतान किया है। एजेंसी ने 20 फरवरी से लेकर 19 मई तक किए गए कार्यों के लिए करीब 13 करोड़ रुपये बिलों के भुगतान के लिए आवेदन किया था।

इसी को लेकर निगम आयुक्त इसी माह में ही एक समिति का गठन किया था। जिसमें संयुक्त आयुक्त, डीएमसी, कार्यकारी अभियंता, एसडीओ और जेई को शामिल किया था। निगम की स्वच्छता स्थायी समिति ने एजेंसी के कार्य की समीक्षा की है, जिसमें जनशक्ति और मशीनरी की भारी कमी पाई गई है। समिति ने एजेंसी के 13.17 करोड़ रुपये के बिल में से 9.17 करोड़ रुपये से अधिक की कटौती करते हुए केवल 3.99 करोड़ रुपये का भुगतान जारी करने की सिफारिश की है। यह है पूरा मामला नगर निगम मानेसर द्वारा चार जून को बुलाई गई स्वच्छता स्थायी समिति की बैठक में आकांक्षा एंटरप्राइजेज के कार्य निष्पादन की समीक्षा की गई। यह एजेंसी मानेसर नगर निगम सीमा में सड़क सफाई, नाले की गाद निकालने और झाड़ी उखाड़ने का काम करती है। एजेंसी की समय अवधि को 19 फरवरी 2025 से 31 मई 2025 तक बढ़ाया गया था। इसी के लिए एजेंसी ने निगम में बिलों के भुगतान के लिए आवेदन किया था। जांच में यह हुआ है खुलासा सरकार द्वारा स्वीकृत अनुमान के अनुसार, एजेंसी को सड़क सफाई के लिए 1997 जनशक्ति, 96 ट्रैक्टर ट्रॉली, 468 रिक्शा रेहड़ी और 4 जेसीबी उपलब्ध कराने थे। यह अनुमान सीपीएचईईओ मानदंडों और प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) के आधार पर तैयार किया गया था। शहरी स्थानीय निकायों के निर्देशानुसार जनवरी 2025 से सभी एसडब्ल्यूएम भुगतानों को एसडब्ल्यूएम मॉनिटरिंग पोर्टल के माध्यम से संचालित किया जाना था। पोर्टल पर उपलब्ध डेटा के अनुसार, एजेंसी द्वारा वास्तविक जनशक्ति और मशीनरी की तैनाती स्वीकृत अनुमान से काफी कम पाई गई। फरवरी से मई तक, मासिक औसत उपस्थिति अनुमानित 1997 जनशक्ति के मुकाबले डिवीजन एक में 250 से 381 और डिवीजन दो में 214 से 349 के बीच रही, यानी 1300 से 1500 से अधिक जनशक्ति का अंतर पाया गया। 468 रिक्शा व रेहड़ी के मुकाबले केवल 101 लगाए थे और 94 ट्रैक्टर व ट्रॉली के मुकाबले केवल 38 ही तैनात पाए गए थे। अनुबंध का भी किया गया है उल्लंघन समिति ने स्पष्ट किया कि स्वीकृत अनुमान में उल्लिखित जनशक्ति और मशीनरी की संख्या केवल दिशानिर्देश नहीं हैं, बल्कि वह बाध्यकारी हैं। किसी भी कमी को अनुबंध का स्पष्ट उल्लंघन माना गया है। समिति ने इस बात पर जोर दिया कि जनशक्ति और मशीनरी की कमी का सीधा असर ज़मीन पर स्वच्छता की गुणवत्ता पर पड़ा है। नाले रूके पड़े हैं और सड़कें ठीक से साफ नहीं हुई हैं। यह सार्वजनिक असंतोष और शिकायतों में भी दर्शाया हुआ है। समिति ने दोहराया कि सभी भुगतान सरकारी निधियों से किए जाते हैं, और यह सुनिश्चित करना उनका कर्तव्य है कि भुगतान केवल तभी किया जाए जब कार्य ठीक ढंग से और अनुबंध के दायरे में किया गया हो। करोड़ों की कटौती, अस्थायी भुगतान विस्तृत समीक्षा और लंबी चर्चा के बाद, समिति ने भुगतान के लिए ठेकेदार द्वारा तैनात की गई वास्तविक जनशक्ति और मशीनरी और स्वीकृत अनुमानों द्वारा अनिवार्य किए गए कार्य के आधार को तय किया। इसके अनुसार, 20 फरवरी से 19 मई की अवधि के लिए शुद्ध स्वीकार्य भुगतान 3,99,69,065 रुपये आंका गया है। एजेंसी ने इस अवधि के लिए 13,17,61,332 रुपये का बिल प्रस्तुत किया था। हालांकि, विस्तृत सत्यापन और अनुबंध की शर्तों के अनुपालन में देखी गई कमियों के लिए कटौती के बाद, 9,17,92,267 रुपये का दंड लगाया गया है। इसको लेकर निगम आयुक्त आयुष सिन्हा से बात की गई तो उन्होंने इसका कोई जवाब नहीं दिया। मानेसर निगम की तरफ से जो कटौती बिलों में की गई है उसके लिए मुख्यालय स्तर पर एक समिति का गठन मुख्यालय ने किया है। इसमें अलग-अलग निगम के अधिकारियों को शामिल किया गया है। इसमें हमारी एजेंसी ने टेंडर से अलग काम किए हैं उनको इसमें नहीं जोड़ा है। समिति की जांच में हमारी तरफ से अपना पक्ष रखा जाएगा। अभी निगम ने सिर्फ कर्मचारियों के वेतन को लेकर कटौती करके बिलों का भुगतान किया है। - शीशपाल राणा, आकांक्षा इंटरप्राइजेज

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