मानेसर निगम में सफाई टेंडर में गड़बड़ी की आशंका
गुरुग्राम के मानेसर नगर निगम में सफाई टेंडर में अनियमितताओं की आशंका है। अधिकारियों पर नियमों में बदलाव कर एक चहेती एजेंसी को फायदा पहुंचाने का आरोप है। एंटी करप्शन ब्यूरो और सीएम उड़न दस्ते ने जांच...

गुरुग्राम, वरिष्ठ संवाददाता। गुरुग्राम से सटे मानेसर नगर निगम में सफाई टेंडर को लेकर बड़ी गड़बड़ी सामने आने की आशंका है। इस तरह से पानीपत नगर निगम में सफाई टेंडर में अनियमितताओं को लेकर अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज किया गया था। उसी तर्ज पर अब मानेसर निगम के अधिकारियों पर भी कार्रवाई की तलवार लटक गई है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एंटी करप्शन ब्यूरो) के साथ-साथ अब मुख्यमंत्री उड़न दस्ते (सीएम फ्लाइंग) ने भी इस पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है। आरोप है कि निगम अधिकारियों ने नियमों और शर्तों में बदलाव कर एक चहेती एजेंसी को फायदा पहुंचाया और भुगतान में भी भारी अनियमितताएं बरतीं।
सूत्रों के अनुसार, मानेसर नगर निगम में सफाई के लिए जारी किए गए टेंडर की प्रक्रिया में घोर लापरवाही और मिलीभगत का आरोप है। शुरुआती जांच में सामने आया है कि निगम अधिकारियों ने टेंडर के मूल नियमों और शर्तों में फेरबदल किया, ताकि किसी खास एजेंसी को ठेका मिल सके। यह आरोप है कि नियमों को इस तरह से बदला गया, जिससे प्रतिस्पर्धा खत्म हो गई और मनचाही एजेंसी को काम मिल गया। नियमों के अनुसार एजेंसी पर नहीं लगाया जुर्माना एजेंसी को नगर निगम ने फरवरी 2023 में मानेसर नगर निगम क्षेत्र के गांव और सेक्टरों की सड़कों व गलियों की सफाई, नालियों की सफाई के लिए टेंडर सौंपा था। फरवरी 2023 से लेकर नवंबर-अक्तूबर 2024 तक एजेंसी पर नाममात्र का जुर्माना संबधित अधिकारियों ने लगाया था। इसके बाद निगम आयुक्त रेनू सोगान ने कार्यभार संभाला और एजेंसी की मैनपावर और मशीनरी की जांच की गई। शहरी स्थानीय निकाय के आदेशों के अनुसार एजेंसी को पोर्टल पर दर्ज मशीनरी और मैनपावर के हिसाब से भुगतान करना था। दो माह की जांच में एजेंसी के पूरे संसाधन और मैनपावर नहीं मिली। जिस पर ततकलीन निगमायुक्त ने साढ़े चार करोड़ रुपये का जुर्माना लगा दिया। इसके बाद एजेंसी को दो माह का कार्य विस्तार मिल गया। इसके बाद निगम आयुक्त आयुष सिन्हा ने कार्यभार संभाला। अब दो माह के कार्य विस्तार की जांच की गई तो एजेंसी पर न तो संसाधन पूरे मिले और न ही मैनपावर। इसको लेकर निगम आयुक्त ने एजेंसी पर साढ़े नौ करोड़ रुपये का जुर्माना लगा दिया। इससे यह साफ हो गया है कि पूर्व में रहे अधिकारियों ने मिलीभगत करके एजेंसी को जुर्माना नहीं लगाकर उसे पूरा भुगतान करते रहे। मानेसर निगम को 50 करोड़ से अधिक का नुकसान सूत्रों के अनुसार दो साल में निगम को 50 करोड़ से अधिक के राजस्व का नुकसान हुआ है। जब एजेंसी काम कर रही थी, तब भी संबंधित अधिकारियों ने टेंडर की शर्तों के अनुसार उस पर जुर्माना नहीं लगाया, जबकि नियमों का उल्लंघन स्पष्ट रूप से हो रहा था। सबसे बड़ी अनियमितता भुगतान में सामने आई है। नियमों के मुताबिक, एजेंसी को केवल उपयोग की गई मैनपॉवर (कर्मचारी) और मशीनरी के आधार पर ही भुगतान किया जाना था, लेकिन आरोप है कि भुगतान अनुमान से अधिक किया गया, जिससे सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान हुआ है। पानीपत निगम में भी ऐसा हो चुका है मामला मानेसर का यह मामला पानीपत नगर निगम में हुए सफाई टेंडर घोटाले की याद दिलाता है। पानीपत नगर निगम के अधिकारियों और ठेकेदार ने मिलकर सफाई में 15.84 करोड़ से अधिक का घोटाला कर डाला। करनाल एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने दो ठेकेदारों समेत 12 अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस दर्ज तीन मई को किया है। सीएम फ्लाइंग और स्वयं की जांच के बाद एसीबी ने बड़ी कार्रवाई की है। प्राथमिक जांच में सामने आया है कि ठेकेदारों ने अधिकारियों के साथ मिलकर दो साल तक हर महीने 66 लाख रुपये से अधिक का सरकार को राजस्व नुकसान पहुंचाया है। पानीपत निगम में हाजिरी 1,259 कर्मचारियों की, जांच में 412 कम मिले तय नियमों के अनुसार एजेंसियों को सफाई के लिए कुल 1,259 कर्मचारी तैनात करने थे, लेकिन मिलीभगत से कम कर्मचारी लगाए गए। जांच के दौरान 412 कम कर्मचारी मिले, जबकि ठेकेदार निगम से हर माह 1259 कर्मचारियों के नाम का भुगतान करा रहा था। हर महीने 66 लाख रुपये अधिक सरकारी खाते से निकलते रहे। पानीपत की तरह ही, मानेसर में भी जांच एजेंसियां अब इस बात की पड़ताल कर रही हैं कि क्या अधिकारियों ने मिलकर जानबूझकर शर्तों में बदलाव किया और भुगतान में हेराफेरी की है। जांच एजेंसियों ने मानेसर निगम में बढाई सक्रियता भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और सीएम फ्लाइंग टीम ने इस मामले में अपनी जांच तेज़ कर दी है। संभावना है कि इस टेंडर प्रक्रिया में शामिल रहे कई अधिकारियों और कर्मचारियों से जल्द ही पूछताछ की जा सकती है। यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो मानेसर नगर निगम के कई अधिकारियों पर भी सोनीपत की तर्ज पर कानूनी कार्रवाई की गाज गिर सकती है।
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