दिल्ली में विमानों का फ्यूल चुराने वाला गैंग दबोचा, रोज 5000 लीटर एटीएफ कर रहे थे चोरी
दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) की तस्करी करने वाले बड़े गैंग का भंडाफोड़ किया है। यह गैंग पिछले तीन वर्षों से रोजाना करीब 5 हजार लीटर एटीएफ चोरी कर रहा था। पुलिस ने इस मामले में छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) की तस्करी करने वाले बड़े गैंग का भंडाफोड़ किया है। यह गैंग पिछले तीन वर्षों से रोजाना करीब 5 हजार लीटर एटीएफ चोरी कर रहा था। पुलिस ने इस मामले में छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें गोदाम मालिक, ट्रांसपोर्टर, टैंकर चालक और अवैध ईंधन खरीदने वाले शामिल हैं।
पुलिस ने दो अन्य आरोपियों को हिरासत में लिया है। पुलिस ने मुंडका इलाके में स्थित एक गोदाम में छापेमारी कर 72 हजार लीटर एटीएफ, तीन तेल टैंकर, दो पिकअप ट्रक, छह जाली डिप रॉड, डुप्लीकेट चाबियां और करीब 1.05 लाख रुपये नकद बरामद किए हैं।
स्याही और पेंट उद्योग में होता है इस्तेमाल : यह गैंग पिछले तीन वर्षों से रोजाना करीब 5 हजार लीटर एटीएफ चोरी कर रहा था, जिससे हर महीने करीब 1.5 लाख लीटर ईंधन की चोरी हो रही थी। पुलिस के मुताबिक, इस अवैध धंधे से हर महीने करीब 1.62 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा था। चोरी का एटीएफ खुले बाजार में मिनरल टर्पेन्टाइन ऑयल (एमटीओ) के नाम पर बेचा जाता था, जिसका इस्तेमाल आमतौर पर स्याही और पेंट उद्योग में होता है।
30 में खरीदकर 50 रुपये प्रति लीटर में बेचते थे : गिरफ्तार आरोपियों में मास्टरमाइंड गया प्रसाद यादव शामिल है, जो पूर्व टैंकर चालक है। वह एटीएफ 30 रुपये प्रति लीटर की दर से खरीदता और 50 रुपये लीटर में बेचता था। अन्य आरोपी राजकुमार चौधरी 40 रुपये लीटर में खरीदकर 43-50 रुपये लीटर में बेचता था। अशपाल सिंह भुल्लर ट्रक मालिक है, जबकि राम भरोसे यादव, अंजय रॉय और सुबोध कुमार यादव ट्रक चालक हैं, जिन्हें प्रति ट्रिप 1500 रुपये मिलते थे। पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर आगे की जांच शुरू कर दी है।
एयरपोर्ट जा रहे टैंकरों से चोरी करते थे
पुलिस जांच में सामने आया कि इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (आईजीआई) पर डिलीवरी के लिए एटीएफ को बहादुरगढ़ स्थित एचपीसीएल असौदा डिपो से लोड किया जाता था। आरोपी ड्राइवर, ट्रांसपोर्टर और गोदाम मालिक की मिलीभगत से जीपीएस सिस्टम में छेड़छाड़ कर टैंकरों को मुंडका गोदाम ले जाते थे। डुप्लीकेट चाबियों से टैंकर के ताले खोले जाते और जाली डिप रॉड का इस्तेमाल कर वैध डिलीवरी का फर्जी रिकॉर्ड दिखाया जाता।