दिल्ली के पेट्रोल पंप डीलर्स स्टाफ की सुरक्षा को लेकर चिंतित, CAQM के ELV वाले आदेश पर उठाए सवाल
दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन (डीपीडीए) ने राजधानी में 1 जुलाई से अपनी उम्र पूरी कर चुके वाहनों (ईएलवी) को पेट्रोल-डीजल नहीं देने के वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के आदेश पर चिंता जताई है।

दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन (डीपीडीए) ने राजधानी में 1 जुलाई से अपनी उम्र पूरी कर चुके वाहनों (ईएलवी) को पेट्रोल-डीजल नहीं देने के वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के आदेश पर चिंता जताई है। डीपीडीए ने इस संबंध में परिवहन मंत्रालय को पत्र लिखकर प्रवर्तन पर स्पष्टता, कर्मचारियों की सुरक्षा तथा पेट्रोल डीलरों पर दंडात्मक प्रावधानों को वापस लेने की मांग की है। सीएक्यूएम के अनुसार, 10 साल से अधिक पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियों को ईएलवी माना जाता है।
सीएक्यूएम की तरफ से मार्च में जारी निर्देश के तहत 1 जुलाई से दिल्ली में पेट्रोल पंपों पर उम्र पूरी कर चुके वाहनों को पेट्रोल-डीजल देने पर रोक लगा दी गई है। यह नियम 1 नवंबर से एनसीआर में आने वाले पांच जिलों - गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर और सोनीपत में लागू होगा। वहीं एनसीआर के बाकी हिस्सों में 1 अप्रैल 2026 से लागू किया जाएगा।
एसोसिएशन ने कहा कि यह निर्देश आवश्यक वस्तु अधिनियम के विपरीत है, जिसके तहत ग्राहकों को ईंधन देने से मना नहीं किया जा सकता।
पत्र में कहा गया है, "पेट्रोल पंप कर्मचारी प्रवर्तन अधिकारी के रूप में कार्य करने के लिए सुसज्जित नहीं हैं। ऐसा करने से टकराव हो सकता है।" इसमें गाजियाबाद में 2014 की एक घटना का हवाला दिया गया है, जिसमें हेलमेट अनिवार्य होने के बावजूद पेट्रोल देने से मना करने पर पेट्रोल पंप कर्मचारी को गोली मार दी गई थी।
डीपीडीए ने निर्देश को सुरक्षित रूप से लागू करने के लिए पेट्रोल पंपों पर पुलिस या सिविल डिफेंस कर्मियों को तैनात करने का अनुरोध किया है।
पत्र में कहा गया है, "अनुपालन न करने पर डीलरों या पेट्रोल पंप कर्मियों को गिरफ्तार करने सहित दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान न तो व्यावहारिक है और ना ही स्वीकार्य है। इस तरह के उपायों से न केवल आवश्यक सेवाएं बाधित होंगी, बल्कि यह योजना भी बेकार हो जाएगी।"
एसोसिएशन ने मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) नहीं होने का भी जिक्र किया और इसे चरणबद्ध तरीके से लागू करने की आलोचना की। उन्होंने कहा कि एनसीआर में कार्यान्वयन में देरी से ईएलवी को सड़कों से हटाने के बजाय बिक्री आसपास के शहरों में शिफ्ट हो जाएगी। एसोसिएशन ने एनसीआर में एक समान नीति के लागू करने की मांग की।
डीपीडीए ने इस बात पर जोर दिया कि मोटर वाहन अधिनियम को लागू करने का काम दिल्ली पुलिस और परिवहन विभाग का है, पेट्रोल पंप कर्मचारियों का नहीं। उन्होंने अपनी मांगों पर चर्चा करने के लिए 1 जुलाई से पहले मंत्रालय के साथ एक बैठक बुलाने का अनुरोध किया है। एचटी ने इस पर प्रतिक्रिया के लिए सीएक्यूएम से संपर्क किया, लेकिन खबर छपने तक कोई जवाब नहीं मिला।