Hindi Newsएनसीआर न्यूज़Delhi High Court orders son and daughter-in-law who harassed elderly man will have to leave his house

बुजुर्ग को तरसाने वाले बेटे-बहू को छोड़ना होगा घर, दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक बुजुर्ग को अपनी ही इकलौती औलाद और उसके परिवार की ओर से प्रताड़ित किए जाने पर चिंता जाहिर की है। हाईकोर्ट ने कहा कि 81 वर्षीय बुजुर्ग की पीड़ा इसी बात से समझी जा सकती है कि उसे शौच के लिए भी तसरना पड़ता है।

Praveen Sharma लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली। हेमलता कौशिकFri, 27 June 2025 05:47 AM
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बुजुर्ग को तरसाने वाले बेटे-बहू को छोड़ना होगा घर, दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक बुजुर्ग को अपनी ही इकलौती औलाद और उसके परिवार की ओर से प्रताड़ित किए जाने पर चिंता जाहिर की है। हाईकोर्ट ने कहा कि 81 वर्षीय बुजुर्ग की पीड़ा इसी बात से समझी जा सकती है कि उसे शौच के लिए भी तसरना पड़ता है, क्योंकि बेटा-बहू शौचालय पर ताला लगा देते हैं।

जस्टिस सचिन दत्ता की बेंच ने इस मामले में उत्तर-पूर्वी दिल्ली जिले के डीसीपी को निर्देश दिए कि मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना देने वाले बेटे और उसके परिवार को 30 दिन के भीतर बुजुर्ग के घर से बाहर किया जाए। बेंच ने अपने आदेश में कहा कि एक व्यक्ति ताउम्र मेहनत कर एक आशियाना बनाता है और सोचता है कि जीवन के आखिरी पलों में वह सुकून से जीएगा, लेकिन जब खुद की औलाद क्रूर बन जाए तो उसके जीवन के आखिरी पलों की शांति समाप्त हो जाती है। कानून को ऐसे बुजुर्गों के साथ खड़ा होना होगा।

आठ साल से अदालत के चक्कर काट रहे : हाईकोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि बुजुर्ग ने वर्ष 2017 में पहली बार दिल्ली पुलिस को शिकायत की, लेकिन पुलिस ने पारिवारिक मामले का हवाला देते हुए कार्रवाई करने से इनकार कर दिया। इसके बाद उनको अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा। उसके बाद से लगातार वे सीनियर सिटीजन ट्रिब्यूनल, जिला अदालत और अब हाईकोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं। पहले से परिवार से क्रूरता का शिकार बुजुर्ग के लिए अदालतों का चक्कर लगाना उनकी मुश्किलों में कई गुना इजाफा करने जैसा है। इसलिए उनको तत्काल राहत दी जानी चाहिए।

‘शौच तक के लिए मोहताज होना पड़ता है’

बुजुर्ग ने बताया कि बेटा-बहू उनके कमरे से कीमती सामान निकाल लेते हैं। यहां तक की कई बार कमरे पर ताला भी लगा दिया। बाथरूम के दरवाजे पर ताला लगाना तो रोज का काम है। इतना ही नहीं मारपीट भी करते हैं। घर उनका है, लेकिन कब्जा बेटे ने किया हुआ है। उन्हें कई बार अपने ही घर में शौच तक के लिए मोहताज होना पड़ता है, जबकि इकलौता बेटा होने के नाते हुए उसकी जिम्मेदारी है कि वह उसका गुजर-बसर संभाले। उनकी देखभाल करे।

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