पूर्व विधायक नरेश बाल्यान ने मकोका मामले में HC से मांगी जमानत, अदालत ने दिल्ली पुलिस से पूछा सवाल
नरेश बाल्यान ने जमानत के लिए निचली अदालत में याचिका दायर की थी, लेकिन 27 मई को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई। बाल्यान पर एक संगठित अपराध सिंडिकेट में सहयोगी होने का आरोप लगाया गया है।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मकोका मामले में गिरफ्तार आम आम आदमी पार्टी (AAP) के पूर्व विधायक नरेश बाल्यान की जमानत याचिका पर बुधवार को पुलिस से जवाब तलब किया। जस्टिस मनोज जैन ने बाल्यान की जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया और सुनवाई की अगली तारीख तीन जुलाई तय की। इस दौरान हाई कोर्ट ने जेल अधीक्षक को बाल्यान की कैदी सूची और उसकी चिकित्सा स्थिति पर रिपोर्ट भेजने को कहा, क्योंकि आरोपी ने स्वास्थ्य आधार पर अंतरिम जमानत भी मांगी है।
इसके साथ ही अदालत ने दिल्ली सरकार को मामले में वर्तमान स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश भी दिया। उधर बाल्यान का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सुनील दलाल ने कहा कि उनके मुवक्किल को मकोका मामले में चार दिसंबर 2024 को तब गिरफ्तार किया गया था, जब एक निचली अदालत ने कथित जबरन वसूली के एक मामले में उन्हें जमानत दे दी थी, और तब से वह हिरासत में हैं।
मामले में पुलिस के आरोपपत्र दाखिल करने के बाद बाल्यान ने उच्च न्यायालय से जमानत याचिका वापस ले ली थी। उन्होंने जमानत के लिए निचली अदालत में याचिका दायर की, लेकिन 27 मई को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई। बाल्यान पर एक संगठित अपराध सिंडिकेट में सहयोगी होने का आरोप लगाया गया है।
बाल्यान के वकील ने पहले तर्क दिया था कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है और मामला पूरी तरह से निरर्थक है, साथ ही यह भी दावा किया गया था कि FIR में बाल्यान का नाम तक नहीं है। जबकि पुलिस के विशेष वकील ने दावा किया कि बाल्यान के खिलाफ मकोका लागू करने के लिए कई आधार हैं और उन्हें कोई राहत नहीं दी जा सकती। बाल्यान पर एक संगठित अपराध सिंडिकेट में सहयोगी होने का आरोप लगाया गया था।
15 जनवरी को ट्रायल कोर्ट ने बालियान को जमानत देने से इनकार कर दिया था, जब दिल्ली पुलिस ने बालियान की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दावा किया था कि मामले की जांच एक महत्वपूर्ण चरण में है, उन्होंने आरोप लगाया कि अगर उन्हें राहत दी गई तो इससे जांच में बाधा आ सकती है। अभियोजक ने दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में कथित सिंडिकेट सदस्यों के खिलाफ दर्ज 16 एफआईआर का हवाला दिया था और दावा किया था कि आरोपी ने समाज में उथलपुथल मचाते हुए भारी मात्रा में अवैध संपत्ति अर्जित की है।
29 जनवरी को ट्रायल कोर्ट ने उनकी हिरासत पैरोल पर रिहा करने की अपील से भी इनकार कर दिया था। वह हिरासत पैरोल चाहते थे, ताकि वह फरवरी 2025 में विधानसभा चुनाव लड़ रही अपनी पत्नी का मार्गदर्शन कर सकें।