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दिल्ली HC ने MCD को नोटिस जारी कर मांगा जवाब, मस्जिद के आसपास आधी रात को तोड़फोड़ का मामला

दिल्ली हाई कोर्ट ने एमसीडी को मंगोलपुरी इलाके में एक मस्जिद के आसपास किए गए तोड़फोड़ के मामले में नोटिस जारी किया है। नगर निगम से एक हफ्ते के भीतर जवाब मांगा गया है। कोर्ट इस संबंध में दायर अवमानना ​​याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

Subodh Kumar Mishra लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 28 June 2025 07:46 PM
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दिल्ली HC ने MCD को नोटिस जारी कर मांगा जवाब, मस्जिद के आसपास आधी रात को तोड़फोड़ का मामला

दिल्ली हाई कोर्ट ने एमसीडी को मंगोलपुरी इलाके में एक मस्जिद के आसपास किए गए तोड़फोड़ के मामले में नोटिस जारी किया है। नगर निगम से एक हफ्ते के भीतर जवाब मांगा गया है। कोर्ट इस संबंध में दायर अवमानना ​​याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार (25 जून) को दिल्ली नगर निगम को मंगोलपुरी इलाके में एक मस्जिद के आसपास हाल ही में किए गए तोड़फोड़ के मद्देनजर दायर अवमानना ​​याचिका पर नोटिस जारी किया। जस्टिस रेणु भटनागर ने नगर निगम प्राधिकरण को एक सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा।

याचिकाकर्ताओं मंगोलपुरी मुहम्मदी जामा मस्जिद और मदरसा अनवारुल उलूम वेलफेयर एसोसिएशन ने आरोप लगाया था कि अदालत के नवंबर 2024 के निर्देश के अनुसार, अतिक्रमण किए गए क्षेत्र का सीमांकन किए बिना ही तोड़फोड़ की गई थी।

उस समय, जस्टिस संजीव नरूला ने एमसीडी को याचिकाकर्ताओं को यह बताने का निर्देश दिया था कि सार्वजनिक भूमि पर किस क्षेत्र का अतिक्रमण हो रहा है और उसे हटाने का क्या इरादा है। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि उन्हें कोई सीमांकन रिपोर्ट नहीं दी गई है और संपत्ति के आसपास तोड़फोड़ की गतिविधि आधी रात 12:00 बजे से शुरू हुई थी।

दूसरी ओर एमसीडी की ओर से पेश हुए वकील ने दावा किया कि याचिकाकर्ताओं की मौजूदगी में अतिक्रमित क्षेत्र का विधिवत सीमांकन किया गया था। पुलिस अधिकारियों और राजस्व अधिकारियों की मौजूदगी में भी इसका संकेत दिया गया था।

उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के सीमांकन और मांग नोटिस चिपकाए जाने के बाद ही ध्वस्तीकरण अभियान चलाया गया था। वकील ने मामले में प्रासंगिक तस्वीरों के साथ पूरी रिपोर्ट दाखिल करने का भी वादा किया।

हालांकि, याचिकाकर्ताओं ने ऐसी किसी भी गतिविधि से अवगत होने से इनकार किया और नगर निगम के खिलाफ अवमानना ​​कार्रवाई की मांग की। इस पर कोर्ट ने आदेश दिया कि नोटिस जारी करें और एक सप्ताह की अवधि के भीतर जवाब दाखिल किया जाए।

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