यमुना सफाई के लिए दिल्ली सरकार ने तैयार किया 45 सूत्रीय एक्शन प्लान, जानिए क्या है इसमें खास
दिल्ली में यमुना का अधिकतम 52 किलोमीटर हिस्सा बहता है, जिसमें से वजीराबाद से ओखला तक का 22 किलोमीटर का महत्वपूर्ण हिस्सा अत्यधिक प्रदूषित है और यही विभिन्न योजनाओं और नीतिगत कोशिशों का केन्द्र बिन्दु बन गया है।

दिल्ली की भाजपा सरकार ने यमुना सफाई के अपने चुनावी वादे को पूरा करने के लिए 45 सूत्रीय व्यापक कार्ययोजना (एक्शन प्लान) लॉन्च कर दिया है, जिसका मकसद अगले दो सालों में यमुना नदी की सफाई करते हुए उसका कायाकल्प करना है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता द्वारा स्वीकृति प्राप्त इस योजना को मुख्य रूप से दिल्ली जल बोर्ड (DJB), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC), दिल्ली नगर निगम (MCD), सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग तथा दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) द्वारा पूरा किया जाएगा। इस दौरान ये सभी एजेंसियों एक-दूसरे के साथ भागीदारी से काम करते हुए सीवरेज ट्रीटमेंट और नदी में बहने वाले नालों को रोकने जैसी चुनौतियों से निपटेंगी।
इस बारे में जानकारी देते हुए शुक्रवार को अधिकारियों ने बताया कि यमुना की सफाई और कायाकल्प के लिए चल रही परियोजनाओं, नई योजनाओं और अन्य प्रोजेक्ट को 10 वर्किंग हेड्स के अंतर्गत विशिष्ट समयसीमाओं में एक साथ रखा गया है। इस महत्वाकांक्षी कार्ययोजना को इस महीने की शुरुआत में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में डीजेबी की बैठक में मंजूरी दी गई थी। अधिकारियों ने बताया कि इस योजना में मुख्य रूप से सीवेज प्रबंधन, नाला ट्रैपिंग, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, वर्षा जल प्रबंधन और यमुना नदी में प्रवाह को जोड़ने के लिए बनाई जाने वाली परियोजनाएं शामिल हैं।
हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, यमुना में हो रहे कुल प्रदूषण में दिल्ली का योगदान 76 प्रतिशत है, जबकि नदी की कुल लंबाई में से इसका मात्र दो प्रतिशत हिस्सा ही शहर से होकर बहता है। दिल्ली में यमुना का अधिकतम 52 किलोमीटर हिस्सा बहता है, जिसमें से वजीराबाद से ओखला तक का 22 किलोमीटर का महत्वपूर्ण हिस्सा अत्यधिक प्रदूषित है और यही विभिन्न योजनाओं और नीतिगत कोशिशों का केन्द्र बिन्दु बन गया है।
सरकारी दस्तावेज के अनुसार I&FC यमुना नदी और नजफ़गढ़ नाले पर फ्लोटिंग स्कीमर लगाएगा। इन उपकरणों का उपयोग पानी के किसी हिस्से में तैरते मलबे को इकट्ठा करने के लिए किया जाता है। नदी में गिरने वाले प्रत्येक प्रमुख नाले पर फ्लोटिंग पोंटून इस महीने के अंत तक लगा दिए जाएंगे। एमसीडी को नालों और उप-नालों में ठोस कचरे के गिरने की निगरानी करने और उसे रोकने का निर्देश दिया गया है।
अधिकारी ने बताया कि नदी में पानी का प्रवाह बढ़ाने के लिए डीजेबी को तीनों एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) कोरोनेशन पिलर, यमुना विहार और ओखला के बीच एक कन्वेयंस सिस्टम बनाना होगा। प्रवाह बनाए रखने के लिए उपचारित पानी को वापस नदी में डालना अनिवार्य करना होगा। इस काम की समय सीमा सितंबर 2026 है। अधिकारियों ने दावा किया कि ओखला एसटीपी एशिया में अपनी तरह का सबसे बड़ा एसटीपी है।
इसके अलावा, डीडीए को यमुना के डूब क्षेत्र में किसी भी तरह के कचरे को हटाने के लिए कहा गया है। एक्शन प्लान में इस साल नवंबर तक बाढ़ के मैदानों और नालों से अतिक्रमण हटाने के लिए कहा गया है।
यमुना की सफाई के लिए ISP (इंटरसेप्टर सीवेज प्रोजेक्ट) भी एक महत्वपूर्ण परियोजना है, जिस पर पिछले कुछ सालों से डीजेबी काम कर रहा है। जिसमें सभी नालों को बंद करके उनमें बहने वाले गंदे पानी को पास के एसटीपी में ले जाना शामिल है।
एक्शन प्लान के दस्तावेज में बताया गया है कि, 'डीजेबी को आईएसपी के सभी पैकेजों का काम सितंबर 2025 तक पूरा करने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा सोनिया विहार, बारापुला, महारानी बाग और शहादरा नालों की टैपिंग मार्च 2026 तक की जानी है।'
बता दें कि यमुना की सफाई भाजपा सरकार के सबसे प्रमुख वादों में से एक है और नई सरकार के पहले बजट में जल एवं सीवरेज क्षेत्र को 9,000 करोड़ रुपए का सबसे बड़ा आवंटन दिया गया है।