Hindi Newsएनसीआर न्यूज़Delhi government preparations to run 11 hospitals on PPP model

दिल्ली के 11 सरकारी अस्पतालों को PPP मॉडल पर चलाने की तैयारी, क्या होंगे फायदे

दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, एमआरआई जैसी जांच के साथ अब अस्पतालों का संचालन भी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर शुरू करने की तैयारी है। सरकार ने 11 निर्माणाधीन अस्पतालों को पीपीपी मॉडल पर संचालित करने का निर्णय लिया है।

Praveen Sharma लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली। बृजेश सिंहFri, 27 June 2025 07:17 AM
share Share
Follow Us on
दिल्ली के 11 सरकारी अस्पतालों को PPP मॉडल पर चलाने की तैयारी, क्या होंगे फायदे

दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में सीटी स्कैन, एमआरआई और अल्ट्रासाउंड जैसी जांच के साथ अब अस्पतालों का संचालन भी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर शुरू करने की तैयारी है। सरकार ने 11 निर्माणाधीन अस्पतालों को पीपीपी मॉडल पर संचालित करने का निर्णय लिया है। स्वास्थ्य विभाग ने राजधानी में निर्माणाधीन इन अस्पतालों के संचालन और कमीशनिंग के लिए निजी भागीदारों को आमंत्रित करने को सलाहकार नियुक्त करने के लिए टेंडर जारी कर दिया है।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इस पहल का उद्देश्य स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करना और निजी क्षेत्र की दक्षता के सहयोग से आम जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है। अस्पतालों की कमीशनिंग और संचालन में पारदर्शिता, दक्षता और समयबद्धता सुनिश्चित करने के लिए पीपीपी मॉडल को अपनाया जा रहा है। इससे सरकार का वित्तीय भार भी कम होगा और आधुनिक प्रबंधन तथा तकनीकी नवाचार स्वास्थ्य सेवाओं में शामिल हो सकेंगे।

कोविड में शुरू हुआ था निर्माण : जिन 11 अस्पतालों को पीपीपी मॉडल पर संचालित करने की योजना बनाई गई है, उनका निर्माण कोविड के दौरान दिल्ली में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को देखते हुए वर्ष 2021 में शुरू किया गया था। इन अस्पतालों के निर्माण से 9748 बेड की संख्या बढ़ेगी, जिनमें आईसीयू बेड भी शामिल हैं। इन अस्पतालों को 2-3 वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य था, लेकिन विभिन्न कारणों से अब तक निर्माण पूरा नहीं हो पाया है।

अस्पतालवार बेड्स की संख्या

ज्वालापुरी891
मादीपुर691
हस्तसाल691
सिरसपुर1164
शालीमार बाग1430
किराड़ी458
सुल्तानपुरी619
जीटीबी1912
सरिता विहार336
रघुवीर नगर 1565

अस्पतालों के विस्तार पर होगा अध्ययन

स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के अनुसार, इस निविदा का उद्देश्य केवल पीपीपी मॉडल पर संचालन ही नहीं है, बल्कि अस्पतालों की मौजूदा स्थिति, क्षमता, सुरक्षा और विभिन्न मानकों के अनुरूपता का मूल्यांकन भी किया जाएगा। इसके तहत क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट और बुनियादी ढांचे की जांच होगी।

संचालन के लिए 8 हजार करोड़ सालाना खर्च का अनुमान

अस्पतालों के निर्माण में हो रही देरी पर वित्त विभाग ने एक रिपोर्ट तैयार की थी। रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि निर्माण को पूरा करने के लिए 10,250 करोड़ रुपये की आवश्यकता है, जबकि संचालन पर सालाना लगभग 8 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा। पीपीपी की यह एक वजह है।

अगला लेखऐप पर पढ़ें