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दिल्ली और हरियाणा साहिबी नदी के 11 KM गायब हिस्से को करेंगे पुनर्जीवित

दिल्ली सरकार नजफगढ़ नाले का नाम बदलकर साहिबी नदी रखने और उसे पुनर्जीवित करने की योजना बना रही है। वहीं, हरियाणा सरकार भी इस काम में मदद के लिए नदी के लापता 11 किलोमीटर हिस्से की तलाश में जुट गई है।

Praveen Sharma लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 28 June 2025 08:52 AM
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दिल्ली और हरियाणा साहिबी नदी के 11 KM गायब हिस्से को करेंगे पुनर्जीवित

दिल्ली सरकार नजफगढ़ नाले का नाम बदलकर साहिबी नदी रखने और उसे पुनर्जीवित करने की योजना बना रही है। वहीं, हरियाणा सरकार भी इस काम में मदद के लिए नदी के लापता 11 किलोमीटर हिस्से की तलाश में जुट गई है। दिल्ली के सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग (आईएफसी) ने पिछले साल नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को नजफगढ़ नाले का नाम बदलकर साहिबी नदी रखने के प्रस्ताव से अवगत कराया था, ताकि इसके कायाकल्प के लिए लोगों का समर्थन जुटाया जा सके।

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान से निकलने वाली यह नदी गुरुग्राम सीमा से मसानी बैराज के नीचे जाकर गायब हो जाती है, जिसके बाद केवल एक सूखा नाला बचता है। इसका एक हिस्सा अब निजी जमीन मालिकों के अधिकार में है। इसमें गुरुग्राम और झज्जर के नाले भी शामिल हैं। एक बार जब यह दिल्ली में प्रवेश करती है, तो कई अन्य नाले इसमें मिल जाते हैं, जिससे नजफगढ़ नाला राजधानी के सबसे प्रदूषित जलमार्गों में से एक बन जाता है।

हरियाणा के सिंचाई अधिकारियों ने कहा कि वे मसानी बैराज के नीचे की नदी को पुनर्जीवित करने के लिए काम कर रहे हैं। दो प्रमुख नालों, औरंगपुर लिंक ड्रेन और आउटफॉल ड्रेन नंबर 8 को पहले ही साहिबी नदी के रूप में अधिसूचित किया जा चुका है।

एक अधिकारी ने कहा कि हरियाणा में नदी के लुप्त हुए 11 किलोमीटर क्षेत्र के संबंध में स्थिति लगभग समान है, जहां भूमि बड़े पैमाने पर निजी स्वामित्व में है। हालांकि, कॉन्टूर मैप (Contour Maps) के अनुसार क्षेत्रों का सीमांकन करने की प्रक्रिया चल रही है, ताकि कब्जे वाली भूमि की पहचान की जा सके और उसे फिर से अधिग्रहित किया जा सके।

1807 के नक्शे में नजफगढ़ नाले को कहा गया था साहिबी नदी

11 मई, 2024 को एनजीटी को सौंपी गई एक रिपोर्ट में आईएफसी ने 1807 के एक दस्तावेज का हवाला दिया, जिसमें नजफगढ़ नाले को साहिबी नदी कहा गया था। आईएफसी ने कहा कि नाले का नाम बदलने से लोगों में सहानुभूति पैदा हो सकती है और इसके कायाकल्प के लिए लोगों का समर्थन मिल सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है, "इस बारे में कि क्या नजफगढ़ नाले को कभी साहिबी नदी के नाम से जाना जाता था, यह कहा गया है कि इस संबंध में सबसे पुराना रिकॉर्ड 1807 के 'दिल्ली के परिवेश' के प्राचीन नक्शे से जुड़ा है, जिसमें चैनल को सबी नाला के रूप में दर्शाया गया है, जबकि वर्ष 1885 के नक्शे में इसे नजफगढ़ की नहर के रूप में दर्शाया गया है। 1907 में 'दिल्ली के परिवेश' नामक एक अन्य मानचित्र में भी इसे नजफगढ़ नहर के रूप में दर्शाया गया है। केंद्रीय जल आयोग द्वारा 2012 में गंगा बेसिन के लिए प्रकाशित भारत के नदी बेसिन एटलस में साहिबी को यमुना नदी की सहायक नदियों में से एक के रूप में दिखाया गया है। हालांकि, आईएफसी विभाग में उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार, ढांसा रेगुलेटर से लेकर दिल्ली में यमुना नदी में इसके उद्गम तक इस सहायक नदी का हिस्सा नजफगढ़ नाले के रूप में जाना जाता है।"

नजफगढ़ नाले की सीवेज डिस्चार्ज दर सबसे अधिक

दिल्ली सरकार के आकलन के अनुसार, यमुना में मिलने वाले 27 से ज्यादा नालों में से नजफगढ़ नाले की सीवेज डिस्चार्ज दर सबसे अधिक 31-35 क्यूबिक मीटर प्रति सेकेंड है, उसके बाद शाहदरा नाले की सीवेज डिस्चार्ज दर 4-6 यूनिट है। इससे पहले पिछली AAP सरकार ने भी 2022-23 के अपने बजट में नजफगढ़ नाले को साहिबी नदी के नाम से संबोधित किया था और इसके पुनरुद्धार के लिए 705 करोड़ रुपये के बजट की घोषणा की थी। हालांकि, तत्कालीन सरकार द्वारा इस संबंध में कुछ खास नहीं किया गया।

हरियाणा सिंचाई विभाग का दावा है कि साहिबी नदी जिस जमीन से होकर बहती थी और अब वह जमीन निजी मालिकों के पास है, उसका कुल क्षेत्रफल करीब 350 एकड़ है। रिपोर्ट में कहा गया है, "उस जमीन को हासिल करना बहुत मुश्किल काम है, क्योंकि निजी जमीन मालिकों ने कलेक्टर रेटों पर जमीन देने से मौखिक रूप से इनकार कर दिया है। साहिबी नदी के पुनरुद्धार के लिए निजी भूमि के अधिग्रहण के संबंध में कोई भी निर्णय पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होने के बाद ही लिया जा सकता है।"

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