Hindi Newsदेश न्यूज़Woman does not lose her individuality after marriage have right to apply for passport says Madras High court

शादी के बाद खत्म नहीं होती महिला की पर्सनल लाइफ, हाई कोर्ट ने किस मामले में खींची लकीर

मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा है कि पासपोर्ट के लिए आवेदन करने के लिए पत्नी को पति से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होनी चाहिए। इस दौरान कोर्ट ने कुछ अहम टिप्पणियां भी की हैं।

Jagriti Kumari लाइव हिन्दुस्तानTue, 24 June 2025 09:56 AM
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शादी के बाद खत्म नहीं होती महिला की पर्सनल लाइफ, हाई कोर्ट ने किस मामले में खींची लकीर

मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा है कि शादी के बाद महिलाओं की पर्सनल लाइफ खत्म नहीं होती है और उन्हें पासपोर्ट बनवाने जैसे कामों के लिए पति की इजाजत लेने की जरूरत नहीं होनी चाहिए। हाईकोर्ट ने कहा है कि महिला के पास अपने पति की इजाजत या साइन के बिना पासपोर्ट के लिए आवेदन करने का पूरा अधिकार है।

जस्टिस एन आनंद वेंकटेश ने सुनवाई के दौरान कहा कि पासपोर्ट के लिए आवेदन करने के लिए भी पति की इजाजत लेने की जरूरत महिलाओं की आजादी में बाधा है और यह पितृसत्तात्मक समाज की निशानी है। कोर्ट जे रेवती नाम की एक महिला की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। चेन्नई स्थित क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय (आरपीओ) ने महिला का पासपोर्ट आवेदन इस आधार पर स्थगित कर दिया गया था कि उसके पति ने आवेदन पत्र (फॉर्म-जे) पर हस्ताक्षर नहीं किए थे।

क्या है मामला?

जानकारी के मुताबिक रेवती ने 2023 में मोहनकृष्णन नाम में एक शख्स से शादी की थी। दोनों के बीच हुए विवाद के बाद पति ने तलाक के लिए आवेदन किया था, जिस पर फैसला लंबित है। इस बीच रेवती ने अप्रैल में पासपोर्ट के लिए आवेदन किया, लेकिन पासपोर्ट कार्यालय ने पति के हस्ताक्षर के बिना उसके आवेदन को मंजूर करने से इनकार कर दिया। इसके बाद महिला ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

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शादी के बाद भी होती है महिला की पहचान- कोर्ट

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, "शादी के बाद भी याचिकाकर्ता की अपनी पहचान है और पत्नी किसी भी रूप में पति की इजाजत या हस्ताक्षर के बिना पासपोर्ट के लिए आवेदन कर सकती है। पासपोर्ट के लिए आवेदन करने के लिए पति से इजाजत लेने की प्रथा ऐसे समाज के लिए अच्छे संकेत नहीं है, जो महिला सशक्तिकरण की ओर बढ़ रहा है। यह नियम पुरुष वर्चस्ववाद से कम नहीं है।" कोर्ट ने पासपोर्ट अधिकारियों को महिला के आवेदन पर संज्ञान लेने और चार सप्ताह के भीतर पासपोर्ट जारी करने का निर्देश दिया है।

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