इजरायल-ईरान युद्ध का भारतीय सेना पर क्या पड़ेगा असर, रक्षा मंत्रालय के अधिकारी ने बताया
एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने कहा, “यह युद्ध अभी नया है और इसका भारतीय रक्षा उपकरणों या स्पेयर सप्लाई पर कोई स्पष्ट प्रभाव नहीं पड़ा है। अगर यह लंबा चला तो हथियारों की आपूर्ति पर असर पड़ सकता है।”

इजरायल और ईरान के बीच जारी सैन्य संघर्ष का भारतीय सैनिकों के लिए जरूरी युद्ध सामग्री और स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति पर फिलहाल कोई तत्काल प्रभाव नहीं पड़ा है, लेकिन अगर यह युद्ध लंबे समय तक खिंचता है तो इसका असर दिख सकता है। इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में यह जानकारी रविवार को भारतीय रक्षा अधिकारियों ने दी है। एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने कहा, “यह युद्ध अभी नया है और इसका भारतीय रक्षा उपकरणों या स्पेयर सप्लाई पर कोई स्पष्ट प्रभाव नहीं पड़ा है। अगर यह लंबा चला तो हथियारों की आपूर्ति पर असर पड़ सकता है।”
भारत ने पिछले एक दशक में इजरायल से बड़ी मात्रा में आधुनिक हथियार और रक्षा प्रणालियां खरीदी हैं। इनमें स्काईस्ट्राइकर लूटिंग म्यूनिशियनस, हेरॉन एंड सर्चर डायमेंशन, डर्बी एयर-टू-एयर मिसाइल, स्पाइस-2000 गाइडेड बम, स्पाइक एंटी टैंक मिसाइल, स्पाइडर एयर डिफेंस सिस्टम, बराक 8 एयर डिफेंस सिस्टम, नेगेव लाइट मशीन गन, नेटवर्क रेडियो और सेंसर सिस्टम शामिल हैं। इनमें से कई हथियार हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर में इस्तेमाल किए गए थे।
भारत में इजरायली कंपनियों के साथ कई रक्षा संयुक्त उपक्रम काम कर रहे हैं, जो स्पेयर पार्ट्स और उपकरणों का निर्माण करते हैं। अधिकारियों के अनुसार, यह साझेदारी जारी आपूर्ति सुनिश्चित करने में मदद करेगी, भले ही इजरायल युद्ध में व्यस्त हो। अधिकारी ने कहा, “देश के भीतर कई हाई-प्रिसिजन इंजीनियरिंग कंपनियां इजरायली कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रही हैं, जिससे सप्लाई चेन में रुकावट की संभावना कम है।”
रूस-यूक्रेन युद्ध से तुलना
यह स्थिति रूस-यूक्रेन युद्ध से अलग है, जिसने भारतीय सेना के कई सोवियत-निर्मित प्लेटफॉर्म की आपूर्ति को प्रभावित किया था। विशेषकर S-400 ट्रायंफ मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी में देरी, फाइटर जेट्स, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और हथियार सिस्टम साथ ही, अमेरिकी CAATSA प्रतिबंध और पश्चिमी देशों के आर्थिक प्रतिबंधों ने रूसी सप्लाई चेन को बाधित किया।