भारत को परेशानी में डाल देगा ईरान का एक फैसला, तेल की कीमत में आएगा बंपर उछाल
फारस की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ने वाला पतला जलमार्ग होर्मुज जलडमरूमध्य बंद हुआ तो इसका भारत की ऊर्जा सुरक्षा सहित वैश्विक और क्षेत्रीय स्तर पर काफी प्रभाव होगा।

ईरान के होर्मुज स्ट्रेट को बंद करने की खबरों के बीच अमेरिका अलर्ट मोड पर है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने इसे आर्थिक आत्महत्या करार दिया है। हालांकि, अब तक ईरान का रुख स्पष्ट नहीं है। जानकारों का मानना है कि अगर ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करता है, तो इसका असर भारत पर भी पड़ेगा। यह रास्ता पूरी दुनिया की तेल आपूर्ति के लिहाज से बेहद अहम है।
फॉक्स न्यूज से बातचीत में अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने कहा, 'मैं बीजिंग में चीन सरकार को इस बारे में बात करने के लिए प्रोत्साहित करता हूं, क्योंकि वो स्ट्रेट्स ऑफ होर्मुज पर तेल के लिए काफी निर्भर हैं।'
उन्होंने ईरान को लेकर कहा, 'अगर वह ऐसा करते हैं, तो एक और बड़ी भयंकर गलती होगी। यह उनके लिए आर्थिक आत्महत्या जैसा होगा। और हमारे पास इससे निपटने के लिए विकल्प हैं, लेकिन अन्य देशों को भी यह देखना चाहिए। यह हमारे देश से ज्यादा अन्य मुल्कों की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाएगा।'
उन्होंने इस बात की भी चेतावनी दी है कि स्ट्रेट के बंद करने से स्थिति और गंभीर हो जाएगी। इसपर अमेरिका और अन्य देश भी प्रतिक्रिया दे सकते हैं।
भारत पर क्या होगा असर
फारस की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ने वाला पतला जलमार्ग होर्मुज जलडमरूमध्य बंद हुआ तो इसका भारत की ऊर्जा सुरक्षा सहित वैश्विक और क्षेत्रीय स्तर पर काफी प्रभाव होगा। रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञों ने रविवार को यह बात कही। ईरान के तीन मुख्य परमाणु केंद्रों पर अमेरिकी हमलों के बाद तेहरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने के संकेत दिए हैं।
भारत के कुल तेल आयात का बड़ा हिस्सा इसी जलडमरूमध्य से होकर आता है। भारत अपनी 90 प्रतिशत कच्चे तेल की जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है और अपनी प्राकृतिक गैस का लगभग आधा हिस्सा विदेश से खरीदता है।
पीटीआई भाषा के अनुसार, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सुरक्षा अध्ययन के विशेष केंद्र के एसोसिएट प्रोफेसर लक्ष्मण कुमार बेहरा ने कहा कि इस रास्ते के बंद होने से ऊर्जा बाजारों में वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा और इसका असर भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर भी होगा।
बेहरा ने कहा कि महत्वपूर्ण जल मार्ग में कोई भी व्यवधान इराक से भारत के कच्चे तेल के आयात और कुछ हद तक सऊदी अरब पर बड़ा असर डालेगा।
एजेंसी के मुताबिक, भारतीय नौसेना के पूर्व प्रवक्ता कैप्टन डी के शर्मा (सेवानिवृत्त), जो खाड़ी क्षेत्र में घटनाक्रमों पर करीबी नजर रखते हैं, ने भी कहा कि होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की ईरान की धमकी वैश्विक तेल व्यापार में महत्वपूर्ण व्यवधान पैदा कर सकती है। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यवधान बीमा प्रीमियम को प्रभावित कर सकता है, और तेल आवाजाही का मार्ग बदलना महंगा हो सकता है।
उन्होंने कहा, 'क्षेत्र में बढ़ते तनाव के कारण तेल की कीमतों में उछाल आने की उम्मीद है, कुछ विश्लेषकों का अनुमान है कि ईरान की जवाबी कार्रवाई करने पर कीमतें 80-90 डॉलर प्रति बैरल या 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं।' शर्मा ने यह भी कहा कि क्षेत्र के देशों की मुद्राओं में बड़ी अस्थिरता हो सकती है और निवेशक अन्य स्थिर बाजारों की तलाश कर सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के एक हालिया विश्लेषण के अनुसार होर्मुज जलडमरूमध्य से गुजरने वाले मार्ग में एक संक्षिप्त व्यवधान भी तेल बाजारों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा।
भारत की क्या तैयारी
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने रविवार को कहा कि तीसरे सबसे बड़े तेल आयातक और चौथे सबसे बड़े गैस खरीदार भारत के पास कई हफ्तों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त ऊर्जा आपूर्ति है और उसे कई मार्गों से आपूर्ति प्राप्त हो रही है।
मंत्री ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, 'सरकार पिछले दो सप्ताह से पश्चिम एशिया में बदलती भू-राजनीतिक स्थिति पर बारीकी से नजर रख रही है।' उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में, हम पिछले कुछ वर्षों में अपनी आपूर्ति में विविधता लेकर आए हैं और अब हमारी आपूर्ति का एक बड़ा हिस्सा होर्मुज जलडमरूमध्य के माध्यम से नहीं आता है।'