यूं ही चला चल.... शाहरुख खान का फेमस गाना सुनकर अंतरिक्ष की सैर पर निकले शुभांशु शुक्ला
इस गौरवशाली यात्रा की शुरुआत हुई बॉलीवुड की धुनों के साथ — शुभांशु के स्पेस लिफ्ट-ऑफ के दौरान शाहरुख की फिल्म ‘स्वदेस’ का मशहूर गीत ‘यूं ही चला चल राही’ उनके प्लेलिस्ट में बज रहा था।

“नमस्कार मेरे प्यारे देशवासियों... 41 साल बाद हम अंतरिक्ष में पहुंच गए हैं।” इन शब्दों के साथ भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने भारत को एक ऐतिहासिक पल का गवाह बना दिया। Axiom Mission-4 के तहत वे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर बढ़ने वाले पहले भारतीय बन गए हैं और राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले देश के दूसरे नागरिक। इस गौरवशाली यात्रा की शुरुआत हुई बॉलीवुड की धुनों के साथ — शुभांशु के स्पेस लिफ्ट-ऑफ के दौरान शाहरुख खान की फिल्म ‘स्वदेस’ का मशहूर गीत ‘यूं ही चला चल राही’ उनके प्लेलिस्ट में बज रहा था।
लखनऊ के बेटे ने रचा इतिहास
लखनऊ में जन्मे और सिटी मोंटेसरी स्कूल (CMS) के छात्र रहे शुभांशु शुक्ला के इस सफर की शुरुआत एक एयर शो में उड़ते विमान को देखकर हुई थी। उनकी बहन शुचि शुक्ला को याद है कि बचपन में एक एयर शो देखकर वे इतने मोहित हो गए थे कि तभी तय कर लिया था – “मुझे उड़ना है।”
अब, 39 वर्षीय शुभांशु के पास सुखोई-30 MKI, मिग-29, जगुआर जैसे फाइटर जेट्स उड़ाने का 2000 घंटे से ज्यादा का अनुभव है। वे गगनयान मिशन के लिए भी चुने जा चुके हैं और रूस से लेकर इसरो तक हर ज़रूरी प्रशिक्षण ले चुके हैं।
अंतरिक्ष में 'हलवा' लेकर गए शुभांशु
भावनाओं से भरपूर इस मिशन में स्वाद का भी तड़का है। शुभांशु अंतरिक्ष में गाजर का हलवा और मूंग दाल हलवा साथ लेकर गए हैं ताकि उनके विदेशी सहयात्री भी भारतीय मिठास का स्वाद चख सकें। लखनऊ स्थित CMS स्कूल में ‘व्योमोत्सव’ नाम से पब्लिक वॉच पार्टी का आयोजन हुआ, जहां स्कूल को मिनी स्पेस सेंटर में बदल दिया गया। शुभांशु के माता-पिता, शिक्षक और सैकड़ों छात्र जैसे ही रॉकेट ने उड़ान भरी — खुशी से नाच उठे।
स्कूल की संस्थापक डॉ. भारती गांधी ने कहा, “शुभांशु की अंतरिक्ष यात्रा हर भारतीय बच्चे के लिए एक नई उम्मीद की तरह है।” CMS अध्यक्ष प्रो. गीता गांधी किंगडन ने कहा, “वह एक जिज्ञासु छात्र से अंतरिक्ष यात्री बनकर हमारे मिशन ‘विश्व एकता और शांति के लिए शिक्षा’ का प्रतीक बन गए हैं।”
पिता बोले – किस्मत से भरा सफर
उनके पिता शंभूदयाल शुक्ला ने बताया कि कैसे एक संयोगवश NDA फॉर्म ने शुभांशु की जिंदगी बदल दी। “किसी दोस्त की उम्र ज़्यादा निकली, तो शुभांशु ने फॉर्म भर दिया। वहीं से यह सब शुरू हुआ।” उन्होंने कहा, “यह सिर्फ हमारे लिए नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का पल है। मैं शब्दों से ज्यादा भावनाओं से भरा हूं।”
'मैं अकेला नहीं हूं... पूरा भारत साथ है'
लॉन्च के बाद संदेश में शुभांशु ने कहा, “हम 7.5 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं... मेरे कंधे पर तिरंगा है, जो कहता है कि मैं अकेला नहीं हूं – पूरा भारत मेरे साथ है।” इस 14 दिन की यात्रा के दौरान शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, स्कूल के छात्र और भारत के अंतरिक्ष उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों से संवाद भी होगा।