2 साल में 14 लोगों ने किया रेप, 8 महीने की गर्भवती; रुला देगी दलित लड़की की कहानी
यह मामला तब शुरू हुआ जब एक आरोपी ने स्कूल से लौटती दो दलित छात्राओं की तस्वीरें खींचीं। फोटो और वीडियो को वायरल करने की धमकी देकर आरोपियों ने किशोरी से दुष्कर्म किया और वीडियो बनाए। बाद में वीडियो वायरल कर दिया।

आंध्र प्रदेश में एक दिल दहला देने वाली घटना हुई थी। 15 साल की एक दलित लड़की का बीते दो वर्षों में 14 लोगों के द्वारा गैंगरेप किया गया। वह आठ महीने की गर्भवती है। उसका इलाज चल रहा है। इनमें गांव की प्रभावशाली जाति बोया समुदाय के अधिकतर लोग शामिल हैं। पीड़िता मडिगा समुदाय (SC) से है। जांच का नेतृत्व कर रहीं पुलिस अधीक्षक वी रत्ना ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 'उसकी उम्र, सामाजिक स्थिति और जाति ने उसे असुरक्षित बना दिया। कोई टीचर, कोई स्वास्थ्य कार्यकर्ता, कोई महिला सुरक्षा स्वयंसेविका, किसी ने नहीं देखा कि वह स्कूल छोड़ चुकी है या मानसिक और सामाजिक खतरे में है।”
यह मामला तब शुरू हुआ जब एक आरोपी ने स्कूल से लौटती दो दलित छात्राओं की तस्वीरें खींचीं। फोटो और वीडियो को वायरल करने की धमकी देकर आरोपियों ने किशोरी से दुष्कर्म किया और वीडियो बनाए। बाद में अन्य साथियों ने साझा कर उसके साथ सामूहिक शोषण किया।
17 आरोपी नामजद, सभी गिरफ्तार
कुल 17 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इनमें 14 आरोपी बलात्कार में प्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं। जबकि 3 अन्य जानकारी होते हुए चुप रहने के दोषी हैं। इनमें से तीन आरोपी नाबालिग है। बाकी की उम्र 18 से 51 वर्ष के बीच है। इनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS), POCSO एक्ट, और आईटी एक्ट की धाराओं में केस दर्ज है।
कक्षा 10 में पढ़ाई छोड़ने के बाद भी किसी शिक्षक ने इसकी सूचना नहीं दी। महिला संरक्षण कार्यकर्ता (ग्राम महिला समरक्षण कार्यदर्शी) और आशा वर्करों ने भी कभी घर जाकर जांच नहीं की। अधिकारियों के अनुसार, जब मामला उजागर हुआ तो बोया समुदाय के नेताओं ने लड़की की शादी उसके दलित सहपाठी से कराने की साजिश रची, ताकि मामला खत्म हो जाए।
डॉक्टरों ने बताया कि लड़की एनीमिक है और गहरी मानसिक अवसाद से जूझ रही है। 21 जुलाई के बाद डिलीवरी संभावित है, तब तक उसे अस्पताल में ही रखा जाएगा। अधिकारी कहते हैं, "उसे वापस गांव भेजना जोखिमपूर्ण है। भले ही आरोपी जेल में हैं, लेकिन उनके प्रभाव से पीड़िता पर दबाव डलवाया जा सकता है।" डिलीवरी के बाद लड़की और नवजात को सरकारी महिला गृह में स्थानांतरित किया जाएगा। उन्हें संरक्षण, पुनर्वास और काउंसलिंग मिलेगी।