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BJP-RSS चाहते ही नहीं कि गरीब.. अमित शाह के अंग्रेजी से शर्म वाले बयान पर विपक्ष हमलावर

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बयान पर हमलावर होते हुए टीएमसी की तरफ से कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह भारत की विविधता में एकता नहीं समझते। देश की 22 संवैधानिक भाषाएँ और 19,500 बोलियां और भाषाएं ही हमें एक बनाती है।

Upendra Thapak लाइव हिन्दुस्तानFri, 20 June 2025 05:39 PM
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BJP-RSS चाहते ही नहीं कि गरीब.. अमित शाह के अंग्रेजी से शर्म वाले बयान पर विपक्ष हमलावर

देश भर में भाषाओं को लेकर चल रही बहस के बीच तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने भाषाओं को भारत की विविधता में एकता का मूल बताया। कल गृहमंत्री अमित शाह द्वारा अंग्रेजी भाषा को लेकर दिए गए बयान पर तंज कसते हुए टीएमसी नेता ने कहा कि भारत की 22 संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त भाषाएं हैं, हमारे देश में करीब 19,500 भाषाएं और बोलियां हैं और यही हमारे देश की विविधता में एकता का प्रतीक हैं लेकिन मोदी और शाह इस बात को कभी नहीं समझेंगे। वहीं लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी शाह पर हमला बोलते हुए कहा कि संघ और भाजपा चाहते ही नहीं की गरीब के बच्चे अंग्रेजी सीखें।

एक वीडियो के जरिए जारी किए बयान में टीएमसी नेता ने कहा, “भारत में करीब 97 फीसदी लोग ऐसे हैं जो कि संवैधानिक मान्यता प्राप्त किसी भाषा को अपनी मातृभाषा मानते हैं। हमारे देश में 19,500 बोलियों को उपयोग भी मातृभाषा के रूप में किया जाता है। लेकिन मोदी और शाह का गिरोह इस बात को कभी नहीं समझ सकते।” दरअसल, टीएमसी नेता का यह बयान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के उस बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि इस देश में जल्दी ही अंग्रेजी बोलने वाले लोग शर्म महसूस करेंगे, जो लोग भारतीय भाषाएं नहीं बोलते वह पूरी तरह से भारतीय नहीं रह जाएंगे।

संघ और भाजपा चाहती ही नहीं की बच्चे अंग्रेजी सीखें: राहुल गांधी

राहुल गांधी ने केंद्रीय गृहमंत्री पर निशाना साधते हुए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, “अंग्रेजी बांध नहीं, पुल है। अंग्रेजी शर्म नहीं, शक्ति है। अंग्रेजी जंजीर नहीं- जंजीरें तोड़ने का औजार है।” भाजपा और संघ पर हमला करते हुए राहुल ने आगे लिखा, "संघ और भाजपा नहीं चाहते कि भारत का गरीब बच्चा अंग्रेजी सीखे , क्योंकि वह नहीं चाहते कि आप सवाल पूछें, आगे बढ़ें, बराबरी करें। आज की दुनिया में अंग्रेज़ी उतनी ही ज़रूरी है जितनी आपकी मातृभाषा - क्योंकि यही रोज़गार दिलाएगी, आत्मविश्वास बढ़ाएगी। भारत की हर भाषा में आत्मा है, संस्कृति है, ज्ञान है। हमें उन्हें संजोना है - और साथ ही हर बच्चे को अंग्रेज़ी सिखानी है। यही रास्ता है एक ऐसे भारत का, जो दुनिया से मुकाबला करे, जो हर बच्चे को बराबरी का मौका दे।

सागरिका घोष ने साधा निशाना

डेरेक ओ ब्रायन के हमला करने से पहले गृहमंत्री के इस बयान पर टीएमसी से राज्यसभा सांसद सागरिका घोष ने भी उन पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "अंग्रेजी पूरे भारत में एक संपर्क भाषा है, यह आकांक्षापूर्ण है, यह हमें दुनियाभर में फायदा पहुंचाती है और लाखों लोग अंग्रेजी के ज्ञान की मांग करते हैं.. भारतीयों को किसी भी भाषा पर शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं है।"

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आपको बता दें पिछले काफी दिनों से भाषाई कट्टरता से जुड़ी घटनाओं में वृद्धि हुई है। हालांकि संविधान सभी लोगों को अपनी मातृभाषा में बात करने की अनुमति देता है लेकिन इसके बाद भी लोग अपनी मातृभाषा को लेकर कुछ ज्यादा ही कट्टर दिखाई देते हैं। इसी संदर्भ में कल केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अंग्रेजी भाषा को लेकर बयान देते हुए कहा था कि हमें भारतीय भाषाओं को बढ़ाने की जरूरत है। अंग्रेजी को विदेशी भाषा बताते हुए शाह ने कहा कि किसी आधी-अधूरी विदेशी भाषा के जरिए हम भारत को ऊंचाइयों पर नहीं पहुंचा सकते। इसके लिए हमें भारतीय भाषाओं की जरूरत होगी।

भारतीय संविधान में आठवीं अनुसूची में 22 भाषाओं का संवैधानिक भाषाओं का दर्जा प्राप्त हैं। इसमें असमी, बंगाली, बोडो, डोगरी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणीं, मैथली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, ओडिया,पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, तमिल,तेलुगु और उर्दू शामिल हैं।

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