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भारत-चीन सीमा पर भूमि अधिग्रहण विवाद, सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजा बढ़ाने के आदेश पर लगाई रोक

Supreme Court: भारत-चीन सीमा पर भूमि अधिग्रहण मामले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने मुआवजा बढ़ाने वाले हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। मामले में केंद्र की तरफ से तर्क दिया गया है कि यह मामला फर्जी दस्तावेजों के आधार पर तैयार किया गया है।

Upendra Thapak लाइव हिन्दुस्तानFri, 27 June 2025 06:27 PM
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भारत-चीन सीमा पर भूमि अधिग्रहण विवाद,  सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजा बढ़ाने के आदेश पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा पर भूमि अधिग्रहण के मामले में मुआवजा बढ़ाने वाले गुवाहाटी हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। सीमा के पास 537 एकड़ की इस जमीन पर रक्षा संबंधी परियोजना लगाने की दृष्टि से इसे केंद्र द्वारा अधिग्रहित किया गया था। बाद में एक व्यक्ति द्वारा इस पर केस कर दिया गया था। इस मामले में गुवाहाटी हाईकोर्ट की ईटानगर पीठ ने मार्च 2025 में मुआवजा बढ़ाने का आदेश दिया था, जिसके बाद केंद्र सरकार और अन्य ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। पीठ को जानकारी दी गई कि इस मामले में केंद्र के वकील ने उच्च न्यायालय में दलील दी थी कि सरकार 10 प्रतिशत सुरक्षा जमा के रूप में जमा करने के लिए तैयार हैं, लेकिन अपील के निपटारे तक संवितरण को वापस लेने का कोई आदेश नहीं होना चाहिए।

इस बात को लेकर पीठ ने कहा कि प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया जाए। वादी ने जो हाईकोर्ट में तर्क दिया था उसके अनुसार अगर वह आज से चार सप्ताह के भीतर उच्च न्यायालय में रजिस्ट्री में बढ़ी हुई राशि का दस प्रतिशत जमा करते हैं तो आदेश पर रोक जारी रहेगी।

इसके अतिरिक्त पीठ ने हाईकोर्ट ने अक्तूबर 2024 के फैसले पर रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई 18 अगस्त को तय कर दी। इतना ही नहीं केंद्र की तरफ से बताया गया कि इस मामले में निर्विवाद राशि के रूप में 70 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है।

क्या है पूरा मामला

यह मामला भारत-चीन सीमा पर रक्षा संबंधी परियोजना से जुड़े भूमि अधिग्रहण को लेकर चल रहा है। केंद्र की तरफ से कोर्ट में बताया गया कि जमीन को अधिग्रहित करके नियमानुसार लाभार्थियों को मुआवजा पहले ही दिया जा चुका है इसके अतिरिक्त जमीन का अधिग्रहण भी किया जा चुका है। लेकिन बाद में एक व्यक्ति ने पॉवर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर मामला दायर कर दिया।

सभी लाभार्थियों को पहले ही इस मामले में 70 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका था। लेकिन इस व्यक्ति के मामला दर्ज करने के बाद 2024 में अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायालय ने इसे बढ़ाकर 410 करोड़ रुपये कर दिया।

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि यह पूरा मामला धोखा धड़ी पर आधारित था और संबंधित व्यक्ति ने करीब 100 से ज्यादा व्यक्तियों की पॉवर ऑफ अटार्नी तैयार की हैं। जिला न्यायालय के इस आदेश को लागू करने से रोकने के लिए सरकार ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था लेकिन वहां भी इस आदेश को लागू कर दिया गया।

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