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नाबालिग के सामने कपड़े हटाना और सेक्स करना यौन उत्पीड़न के बराबर, POCSO केस में बोला हाईकोर्ट

  • आरोप हैं कि याचिकाकर्ता और पीड़ित बच्चे की मां ने नाबालिग को सामान लाने के लिए भेजकर लॉज के कमरे में यौन संबंध बनाए। आरोप हैं कि नाबालिग लड़के ने वापस लौटने पर कमरा बंद नहीं होने के चलते याचिकाकर्ता और उसकी मां को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया था।

Nisarg Dixit लाइव हिन्दुस्तानWed, 16 Oct 2024 07:41 AM
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नाबालिग के सामने कपड़े हटाना और सेक्स करना यौन उत्पीड़न के बराबर, POCSO केस में बोला हाईकोर्ट

POCSO एक्ट के तहत किसी नाबालिग के सामने कपड़े उतारकर यौन संबंध बनाना यौन उत्पीड़न के बराबर है और दंडनीय अपराध है। हाल ही में एक याचिका पर सुनवाई के दौरान केरल हाईकोर्ट ने यह बात कही है। आरोप हैं कि याचिकाकर्ता और पीड़ित बच्चे की मां को यौन संबंध बनाते हुए बच्चे ने देख लिया था, जिसके बाद कथित तौर पर उसके साथ पीटा गया।

क्या बोला कोर्ट

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस ए बदरुद्दीन ने कहा कि शरीर के किसी भी अंग को इस मंशा से दिखाना कि उसे बच्चा देख ले, उसे यौन उत्पीड़न के बराबर माना जाएगा। कोर्ट का कहना है कि बच्चे के सामने कपड़े हटाकर यौन संबंध बनाना POCSO की धारा 11 के तहत यौन उत्पीड़न के बराबर और धारा 12 के तहत दंडनीय अपराध है।

रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने कहा, 'स्पष्ट रूप से कहें, तो जब कोई व्यक्ति बच्चे को नग्न शरीर दिखाता है, तो यह दिखाता है कि वह बच्चे का यौन उत्पीड़न करने का इरादा रखता है। ऐसे में यह POCSO एक्ट की धारा 12 के साथ धारा 11(i) रीड के तहत दंडनीय अपराध है। इस मामले में आरोप हैं कि आरोपी कमरा लॉक किए बगैर कपड़े हटाने के बाद यौन संबंध बनाने में व्यस्त थे। उन्होंने बच्चे को कमरे में आने दिया, ताकि वह यह सब देख ले।'

कोर्ट ने कहा, 'ऐसे में प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता के खिलाफ POCSO एक्ट की धारा 12 के साथ धारा 11(i) रीड के दंडनीय अपराध करने का आरोप लगाया गया है।'

क्या था मामला

दूसरे आरोपी के तौर पर पेश किए गए याचिकाकर्ता और पहली आरोपी पीड़िता की मां के बीच यौन संबंध थे। रिपोर्ट के अनुसार, आरोप हैं कि याचिकाकर्ता और पीड़ित बच्चे की मां ने नाबालिग को सामान लाने के लिए भेजकर लॉज के कमरे में यौन संबंध बनाए। आरोप हैं कि नाबालिग लड़के ने वापस लौटने पर कमरा बंद नहीं होने के चलते याचिकाकर्ता और उसकी मां को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया था। लड़के को देखकर याचिकाकर्ता ने उसे गले से पकड़ा और गाल पर मारा और लात भी मारी।

कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ने नाबालिग को पीटा, जिसके चलते उसे चोट पहुंची। कोर्ट का कहा है कि नाबालिग लड़के याचिकाकर्ता का कोई प्रभा या नियंत्रण नहीं होने के चलते जेजे की धारा 75 के तहत अपराध नहीं बनता है। अदालत ने याचिकाकर्ता के खिलाफ IPC की धारा 341 और जेजे एक्ट की धारा 75 के तहत आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया।

यौन उत्पीड़न को समझाते हुए अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता और पीड़ित की मां बगैर दरवाजा बंद किए यौन संबंध बना रहे थे। कोर्ट ने कहा कि कमरा बंद नहीं होने के कारण नाबालिग अंदर पहुंच गया, जिसके चलते उसने दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ IPC की धारा 34 के साथ धारा 323 रीड और POCSO एक्ट की धारा 12 के साथ धारा 11(i) रीड के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।

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