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अब कन्फर्म टिकट की उम्मीद होगी पक्की, रेलवे ने लगाई वेटलिस्ट पर 25% की सीमा

अब रेलवे का सिस्टम ऑटोमैटिक हर ट्रेन के लिए वेटलिस्ट टिकटों की संख्या को ट्रैक करेगा और 25% की सीमा पार होने पर नई बुकिंग स्वीकार नहीं की जाएगी। इससे बुकिंग प्लेटफॉर्म पर पारदर्शिता बढ़ेगी।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 20 June 2025 06:35 AM
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अब कन्फर्म टिकट की उम्मीद होगी पक्की, रेलवे ने लगाई वेटलिस्ट पर 25% की सीमा

भारतीय रेलवे ने यात्रियों की सुविधा और ट्रेनों में भीड़भाड़ को नियंत्रित करने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। रेल मंत्रालय ने घोषणा की है कि अब किसी भी ट्रेन में वेटलिस्ट टिकटों की संख्या को ट्रेन की कुल क्षमता के 25% तक सीमित किया जाएगा। इस नए नियम का उद्देश्य यात्रियों को बेहतर यात्रा अनुभव प्रदान करना और ओवरबुकिंग की समस्या को कम करना है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अब रेलवे हर ट्रेन के एसी फर्स्ट क्लास, एसी सेकंड, एसी थर्ड, स्लीपर और चेयर कार में कुल बर्थ/सीटों का अधिकतम 25% ही वेटिंग टिकट के रूप में जारी करेगा। यह बदलाव विभिन्न कोटे- जैसे दिव्यांगजन, वरिष्ठ नागरिक, और महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों को ध्यान में रखते हुए किया गया है।

ट्रेनों में अनावश्यक भीड़ भी कम होगी

रेलवे अधिकारियों के अनुसार, आंकड़ों से यह पता चलता है कि चार्ट बनने तक लगभग 20% से 25% वेटिंग टिकट कंफर्म हो जाते हैं। इस आधार पर नई सीमा तय की गई है ताकि यात्रियों को टिकट की स्थिति को लेकर अधिक स्पष्टता मिल सके। रेलवे बोर्ड द्वारा जारी सर्कुलर के बाद, देशभर के विभिन्न जोनल रेलवे इस नई व्यवस्था को लागू करने लगे हैं।

रेलवे के अनुसार, यह नियम सभी श्रेणियों की ट्रेनों, जैसे कि राजधानी, शताब्दी, दुरंतो, मेल/एक्सप्रेस और सुपरफास्ट ट्रेनों पर लागू होगा। उदाहरण के लिए, यदि किसी ट्रेन में 1,000 सीटें उपलब्ध हैं, तो उसमें अधिकतम 250 वेटलिस्ट टिकट ही जारी किए जाएंगे। इस कदम से न केवल यात्रियों को अपनी यात्रा की पुष्टि होने की संभावना बढ़ेगी, बल्कि ट्रेनों में अनावश्यक भीड़ भी कम होगी।

अब तक कितनी थी वेटिंग की सीमा?

जनवरी 2013 के सर्कुलर के अनुसार, पहले एसी फर्स्ट क्लास में अधिकतम 30, एसी सेकंड में 100, एसी थर्ड में 300 और स्लीपर क्लास में 400 वेटिंग टिकट जारी किए जा सकते थे। इसके चलते यात्रियों को अक्सर आखिरी वक्त तक टिकट कंफर्म होने की चिंता रहती थी।

एक वरिष्ठ रेलवे अधिकारी ने बताया, “वेटिंग टिकटों की अधिक संख्या के कारण रिजर्व्ड कोचों में बिना कन्फर्म टिकट वाले यात्री भी चढ़ जाते थे, जिससे कोचों में भारी भीड़ और अव्यवस्था होती थी। नई नीति इस गड़बड़ी को रोकने में मदद करेगी।”

जोनल रेलवे को मिली छूट

रेल मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, प्रत्येक जोनल रेलवे को यह अधिकार दिया गया है कि वह अपने क्षेत्र के ट्रेनों में बुकिंग और कैंसिलेशन के पैटर्न को देखते हुए वेटिंग टिकट की सीमा तय कर सकता है। इससे ट्रेनों की प्रकृति और यात्रियों की मांग के अनुसार लचीलापन भी रहेगा। यह नई व्यवस्था न केवल यात्रियों को असमंजस से बचाएगी, बल्कि ट्रेनों में अनधिकृत भीड़ को भी कम करने में मदद करेगी। इससे बोर्डिंग प्रक्रिया अधिक व्यवस्थित होगी और आरक्षित डिब्बों में यात्रा करने वाले यात्रियों को बेहतर अनुभव मिलेगा।

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