यात्रीगण कृपया ध्यान दें, एक जुलाई से बढ़ सकता है रेल किराया; किस क्लास की यात्रा कितनी महंगी
Indian Railway: रेलवे के मुताबिक, एसी फर्स्ट क्लास, एसी टू-टियर, थ्री-टियर और चेयर कार जैसे प्रीमियम एसी क्लास कुल यात्री राजस्व में 54 प्रतिशत का योगदान करते हैं। उनकी यात्री संख्या केवल 4.8 प्रतिशत है।

Indian Railway: ट्रेन यात्रा एक जुलाई से महंगी हो सकती है। रेल मंत्रालय राजस्व बढ़ाने के लिए जल्द ही किराए में बढ़ोतरी करने जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, एसी, स्लीपर और सेकंड (जनरल) क्लास के किराए में मामूली वृद्धि की जा सकती है। हालांकि लोकल ट्रेनों और मासिक सीजन टिकट धारकों को राहत मिल सकती है, क्योंकि उनके किराए में कोई बदलाव नहीं होगा। सूत्रों के मुताबिक, 1 जुलाई 2025 से नई दरें लागू हो सकती हैं। प्रस्ताव के अनुसार, एसी क्लास के लिए प्रति किलोमीटर 2 पैसे, स्लीपर क्लास के लिए 1 पैसा और जनरल क्लास (500 किमी से अधिक दूरी पर) के लिए 0.5 पैसा प्रति किलोमीटर की बढ़ोतरी की जाएगी।
रेल मंत्रालय का मानना है कि इससे वित्त वर्ष 2025-26 की शेष अवधि में 700 करोड़ और पूरे वित्त वर्ष में ₹920 करोड़ से अधिक का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हो सकता है। रेलवे के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2025-26 में यात्री संख्या में वृद्धि के अनुमान के साथ कुल यात्री राजस्व ₹92,800 करोड़ तक पहुंच सकता है। वर्ष 2024-25 में लगभग 736 करोड़ यात्रियों ने रेल यात्रा की थी, जिससे रेलवे को ₹75,215 करोड़ की आमदनी हुई थी।
रेलवे की कुल आय का लगभग 65 प्रतिशत हिस्सा माल ढुलाई से आता है, जबकि यात्री खंड से 30 प्रतिशत और शेष राशि अन्य स्रोतों से प्राप्त होती है।
एसी क्लास से सबसे ज्यादा कमाई
रेलवे के मुताबिक, एसी फर्स्ट क्लास, एसी टू-टियर, थ्री-टियर और चेयर कार जैसे प्रीमियम एसी क्लास कुल यात्री राजस्व में 54 प्रतिशत का योगदान करते हैं। उनकी यात्री संख्या केवल 4.8 प्रतिशत है। इसके उलट, स्लीपर और जनरल क्लास मिलकर 37 प्रतिशत यात्रियों को ढोते हैं। लोकल ट्रेनें सबसे अधिक57 प्रतिशत यात्रियों को ले जाती हैं, लेकिन इनसे आय बहुत कम होती है।
जनवरी 2020 में हुआ था आखिरी किराया संशोधन
रेलवे ने आखिरी बार जनवरी 2020 में यात्री किराए में बढ़ोतरी की थी। उस समय नॉन-एसी मेल/एक्सप्रेस (स्लीपर क्लास) के किराए में 2 पैसे प्रति किमी और एसी क्लास में 4 पैसे प्रति किमी की वृद्धि की गई थी। 80 किमी तक की लोकल यात्रा और सीजन टिकट की दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया था।
सब्सिडी का बोझ बढ़ा रहा घाटा
संसदीय समिति की रिपोर्ट बताती है कि रेलवे अपनी यात्री सेवाओं पर भारी सब्सिडी देता है। उपनगरीय सेवाएं जहां केवल 30% लागत वसूल करती हैं, वहीं नॉन-एसी यात्रा 39% और एसी यात्रा मात्र 3.5% लाभ दे रही है।
संसदीय समिति की सिफारिश
दिसंबर 2024 में रेलवे पर बनी स्थायी समिति ने सिफारिश की थी कि एसी क्लास से प्राप्त राजस्व को उसकी लागत से जोड़ा जाए ताकि घाटे को कम किया जा सके। समिति ने यह भी कहा कि जनरल क्लास की यात्रा आम लोगों के लिए सस्ती बनी रहनी चाहिए, लेकिन प्रीमियम वर्गों से वाजिब कीमत वसूल की जानी चाहिए।