संस्कृत थोपने की साजिश, हिंदी सिर्फ मुखौटा; केंद्र सरकार पर अब क्यों भड़के स्टालिन?
उत्तर और दक्षिण भारतीय भाषाओं को लेकर जारी घमासान के बीच तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने मंगलवार को केंद्र की भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि भारतीय जनता पार्टी का असली मकसद संस्कृत थोपना है और हिंदी महज एक मुखौटा है। स्टालिन ने हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है संस्कृत भाषा के प्रचार के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं जबकि तमिल और अन्य दक्षिण भारतीय भाषाओं को कुछ नहीं मिलता है।
गौरलतब है कि हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट में हाल ही में दायर किए गए एक RTI का हवाला देते हुए यह खुलासा किया गया कि केंद्र सरकार ने 2014-15 और 2024-25 के बीच संस्कृत के प्रचार-प्रसार पर करीब 2500 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। वहीं दूसरे पांच शास्त्रीय भारतीय भाषाओं, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और ओडिया पर करीब 147 करोड़ रुपए ही खर्च किए गए हैं। ऐसे में संस्कृत पर 17 गुना अधिक पैसे खर्च किए गए हैं।
रिपोर्ट को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर करते हुए द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) नेता ने लिखा, “संस्कृत को करोड़ों रुपए मिलते हैं, तमिल और अन्य दक्षिण भारतीय भाषाओं को मगरमच्छ के आंसू के अलावा कुछ नहीं मिलता।”
इससे पहले मार्च में भी स्टालिन ने केंद्र सरकार पर ऐसे ही आरोप लगाए थे। स्टालिन ने कहा था, "हम हिंदी थोपे जाने का विरोध करेंगे। हिंदी मुखौटा है, संस्कृत छिपा हुआ चेहरा है।" बता दें कि तमिलनाडु सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत तीन-भाषा फॉर्मूले को अनिवार्य बनाने का विरोध कर रही है।