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ब्रह्मोस से लेकर राफेल तक तैनात, अभेद्य है ‘चिकन नेक’ की सुरक्षा; आंख उठाकर नहीं देख सकता बांग्लादेश

  • 2017 के डोकलाम गतिरोध के दौरान चीन द्वारा भूटान की सीमा में सड़क निर्माण की कोशिश को भारतीय सेना ने सफलतापूर्वक रोका था। यह घटना 'चिकन नेक' की रणनीतिक महत्ता को उजागर करती है।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 4 April 2025 09:31 AM
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ब्रह्मोस से लेकर राफेल तक तैनात, अभेद्य है ‘चिकन नेक’ की सुरक्षा; आंख उठाकर नहीं देख सकता बांग्लादेश

भारत ने पश्चिम बंगाल में स्थित सिलीगुड़ी गलियारे को मजबूत करने के लिए बड़े पैमाने पर कदम उठाए हैं। इस गलियारे को 'चिकन नेक' के नाम से भी जाना जाता है। यह संकीर्ण भू-भाग है जो भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है। बांग्लादेश और चीन की इस रणनीतिक गलियारे पर बढ़ती दिलचस्पी ने भारत को अपनी सुरक्षा तैयारियों को और मजबूत करने के लिए प्रेरित किया है। दरअसल हाल ही में बांग्लादेश को क्षेत्र में ‘‘महासागर का एकमात्र संरक्षक’’ बताते हुए मोहम्मद यूनुस ने चीन से बांग्लादेश में अपना आर्थिक प्रभाव बढ़ाने की अपील की थी और उल्लेख किया था कि भारत के पूर्वोत्तर राज्यों का चारों ओर से जमीन से घिरा होना इस संबंध में एक अवसर साबित हो सकता है। भारत ने भले ही आधिकारिक तौर पर यूनुस के बयान का कोई जवाब नहीं दिया हो, लेकिन वह अपने रणनीतिक हितों को नजरअंदाज नहीं कर रहा है।

भारतीय सेना की तैनाती और तैयारियां

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय सेना ने इस कॉरिडोर की सुरक्षा को लेकर बहुस्तरीय रणनीति अपनाई है। भारतीय सेना ने 'चिकन नेक' के इलाके में राफेल और मिग की तैनाती की है। हाशिमारा एयरबेस पर राफेल लड़ाकू विमानों की तैनाती की गई है। ब्रह्मोस मिसाइल रेजिमेंट भी एक्टिव है। सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की एक पूरी रेजिमेंट क्षेत्र में तैनात है। दुश्मन के हवाई हमलों से बचाव के लिए S-400, MRSAM और आकाश मिसाइलें तैनात हैं। इसके अलावा, सुकना स्थित त्रिशक्ति कोर द्वारा लगातार युद्ध अभ्यास किए जाते हैं, जिनमें T-90 टैंकों के साथ लाइव फायर ड्रिल्स भी शामिल हैं।

क्षेत्रीय समीकरण और रणनीतिक सतर्कता

बांग्लादेश के कार्यकारी प्रमुख मुहम्मद यूनुस द्वारा दिए गए हालिया बयानों और चीन की ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ के तहत बांग्लादेश में बढ़ती भागीदारी ने भारत की चिंता को बढ़ा दिया है। सुरक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि ढाका की बीजिंग से बढ़ती नजदीकी सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा के लिहाज से चुनौतीपूर्ण हो सकती है।

इसी संदर्भ में भारत ने क्षेत्र में अपने रक्षा ढांचे को और मज़बूत किया है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने हाल ही में उत्तर बंगाल का दौरा कर सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने अग्रिम चौकियों का निरीक्षण किया और सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सुरक्षा रणनीति पर विचार-विमर्श किया।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और भविष्य की तैयारी

2017 के डोकलाम गतिरोध के दौरान चीन द्वारा भूटान की सीमा में सड़क निर्माण की कोशिश को भारतीय सेना ने सफलतापूर्वक रोका था। यह घटना इस 'चिकन नेक' की रणनीतिक महत्ता को उजागर करती है। तब से भारत लगातार इस क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति और आधारभूत संरचना को मजबूत करता आ रहा है। भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह गलियारा उसकी सबसे मजबूत सैन्य उपस्थिति वाला क्षेत्र है, न कि कोई कमजोरी। पश्चिम बंगाल, सिक्किम और उत्तर-पूर्व से सैनिकों की त्वरित तैनाती संभव है और किसी भी चुनौती का करारा जवाब देने के लिए सेना पूरी तरह तैयार है।

क्या है 'चिकन नेक'?

यह पश्चिम बंगाल में स्थित एक संकरा गलियारा है, जो भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों को मुख्य भूमि से जोड़ता है। इसके चारों ओर नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और चीन स्थित हैं, जिससे इसकी भौगोलिक और रणनीतिक संवेदनशीलता और बढ़ जाती है। इसकी चौड़ाई सबसे कम हिस्से में केवल 22 किलोमीटर है। यह पूर्वोत्तर के आठ राज्यों—अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा—को शेष भारत से जोड़ता है। नेपाल, बांग्लादेश, भूटान और चीन से घिरा यह क्षेत्र अपनी सामरिक स्थिति के कारण बेहद संवेदनशील है। इसकी वजह से यह गलियारा भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक केंद्रीय भूमिका निभाता है।

जैसे-जैसे क्षेत्रीय समीकरण बदलते जा रहे हैं, भारत ‘चिकन नेक’ की सुरक्षा को लेकर किसी भी स्थिति से निपटने के लिए चौकस और पूरी तरह तैयार है। प्रधानमंत्री मोदी की थाइलैंड यात्रा इस कूटनीतिक पृष्ठभूमि में और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है।

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मोदी-यूनुस की हो सकती है मुलाकात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय थाइलैंड यात्रा पर BIMSTEC शिखर सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे हैं। प्रधानमंत्री मोदी आज शुक्रवार को यहां बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के साथ बातचीत कर सकते हैं। पिछले साल अगस्त में प्रधानमंत्री शेख हसीना के देश छोड़कर भारत आने के बाद मोदी-यूनुस के बीच यह पहली मुलाकात होगी। दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन से इतर होने की संभावना है। मोदी की यूनुस से मुलाकात इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि हसीना के सत्ता से बाहर होने और उस देश में अल्पसंख्यकों पर हमलों के बाद से भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों में खटास आई है। यह मुलाकात यूनुस की हाल की चीन यात्रा की पृष्ठभूमि में भी अहम है, जहां उन्होंने पूर्वोत्तर क्षेत्र के बारे में कुछ टिप्पणियां की थीं, जो भारत को पसंद नहीं आईं।

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