बुलेट ट्रेन कॉरिडोर को लेकर खुशखबरी, महाराष्ट्र में पहला फुल स्पैन बॉक्स गर्डर लॉन्च; जानें खासियत
फुल स्पैन प्री-स्ट्रेस्ड कंक्रीट एक ऐसी तकनीक है जिसमें कंक्रीट को पहले से मजबूत करने के लिए उसमें तनाव डाला जाता है। इसमें स्टील के तार या रॉड्स को खींचकर कंक्रीट में डालते हैं, जिससे कंक्रीट में दबाव बनता है। यह तरीका पुलों, बीम्स और स्लैब्स को बिना टूटे लंबे समय तक मजबूत रखता है।

नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) ने मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के महाराष्ट्र सेक्शन में पहला फुल स्पैन प्री-स्ट्रेस्ड कंक्रीट (PSC) बॉक्स गर्डर इस्तेमाल किया है। यह 40 मीटर लंबा है। महाराष्ट्र खंड की लंबाई 156 किलोमीटर है, जिसमें बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में भूमिगत स्टेशन, बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स और ठाणे के शिलफाटा के बीच 21 किमी लंबी सुरंग शामिल है। शिलफाटा से झारोली गांव (महाराष्ट्र-गुजरात सीमा) तक 135 किमी का निर्माण कार्य भी इसका हिस्सा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस एलाइनमेंट में 124 किमी का वायडक्ट और 2.3 किमी स्टील ब्रिज शामिल हैं। ठाणे, विरार और बोइसर में 1.3 किमी के तीन बुलेट ट्रेन स्टेशन भी होंगे। प्रत्येक 40 मीटर लंबा PSC बॉक्स गर्डर लगभग 970 मीट्रिक टन वजनी है, जो भारत के निर्माण उद्योग में सबसे भारी है। इन्हें 390 क्यूबिक मीटर कंक्रीट और 42 मीट्रिक टन स्टील का उपयोग करके मोनोलिथिक यूनिट के रूप में बिना जोड़ के ढाला जाता है। फुल-स्पैन गर्डर का उपयोग बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में इसलिए किया जाता है क्योंकि यह सेगमेंटल गर्डर की तुलना में 10 गुना तेजी से निर्माण कार्य को आगे बढ़ाता है। इन गर्डरों को स्वदेशी भारी मशीनरी जैसे स्ट्रैडल कैरियर्स, ब्रिज लॉन्चिंग गैन्ट्री, गर्डर ट्रांसपोर्टर्स और लॉन्चिंग गैन्ट्री का इस्तेमाल करके स्थापित किया जा रहा है। बिनी रुकावट के आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए गर्डरों को पहले से ढाला और कास्टिंग यार्ड में रखा जा रहा है।
बेहद खास है यह तकनीक
पुणे के शिलफाटा और गुजरात-महाराष्ट्र सीमा के बीच एलानमेंट में कुल 13 कास्टिंग यार्ड की योजना है, जिनमें से 5 वर्तमान में कार्यरत हैं। यह तकनीक अप्रैल 2021 से बुलेट ट्रेन परियोजना में उपयोग में है, जिसने गुजरात में 307 किमी वायडक्ट को पूरा करने में योगदान दिया है। हाल की उपलब्धियों में विरार और बोइसर स्टेशनों पर पहली स्लैब कास्टिंग शामिल है। यह प्रोजेक्ट भारत के बुनियादी ढांचे के विकास में एक अहम कदम है जो तेज, सुरक्षित और आधुनिक रेल यात्रा की दिशा में प्रगति को दर्शाता है। फुल स्पैन बॉक्स गर्डर का इस्तेमाल होने से बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को जल्द पूरा करने में मदद मिलेगी।