इजरायली हमलों के जख्म, ईरान में सैन्य कमांडरों और वैज्ञानिकों को लाखों लोगों ने दी अंतिम विदाई
Iran Israel War: 12 दिन के युद्ध के बाद ईरान और इजरायल के बीच में संघर्षविराम हो गया है लेकिन दोनों ही देश अब अपने शहीदों को याद कर रहे हैं। शनिवार को ईरान में मारे गए सैन्य कमांडरों और परमाणु वैज्ञानिकों को अंतिम विदाई दी गई।

इजरायल और ईरान के बीच चला 12 दिन का युद्ध अब थम गया है। युद्ध के खत्म होने के बाद अब दोनों तरफ से ही मारे गए लोगों की अंतिम संस्कार किए जा रहे हैं। शनिवार को तेहरान की सड़कों पर भी लाखों लोगों ने इजरायली हमलों में मारे गए अपने रिवोल्यूशनरी गार्ड के प्रमुख और अन्य वरिष्ठ सैन्य कमांडरों समेत कई परमाणु वैज्ञानिकों को अंतिम विदाई दी। इन लोगों के ताबूतों को ईरान की राजधानी की सड़कों से गुजारा गया, जहां आस-पास खड़े लोगों ने अमेरिका मुर्दाबाद और इजरायल मुर्दाबाद के नारे लगाए।
इन मारे गए लोगों में ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड के प्रमुख जनरल हुसैन सलामी, इसके बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के प्रमुख जनरल आमिर अली हाजीजादेह प्रमुख थे। जनरल सलामी और हाजीजादेह दोनों 13 जून, यानी युद्ध के पहले दिन ही मारे गए थे, जब इजराइल ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नष्ट करने के उद्देश्य से व्यापक सैन्य अभियान शुरू किया था। इस अभियान में सैन्य कमांडरों, वैज्ञानिकों और परमाणु प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया।
सरकारी मीडिया ने बताया कि शव यात्रा में 10 लाख से अधिक लोग शामिल हुए, जिसकी स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हो सकी है, लेकिन तेहरान के मुख्य मार्ग और पूरा 4.5 किलोमीटर लंबा मार्ग लोगों से भरे हुए थे। शव यात्रा के टेलीविजन प्रसारण में ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई नजर नहीं आए। युद्ध शुरू होने से पहले से वह सार्वजनिक रूप से नहीं दिखे हैं।
ईरानी सरकारी टेलीविजन के अनुसार, इस शव यात्रा में ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची, रिवोल्यूशनरी गार्ड की विदेशी शाखा कुद्स फोर्स के प्रमुख जनरल इस्माइल कानी और खामेनेई के सलाहकार जनरल अली शामखानी भी शामिल हुए। शामखानी इजराइल के पहले हमले में घायल होने पर अस्पताल में भर्ती हुए थे। सरकारी टेलीविजन के टेलीग्राम चैनल पर प्रसारित एक वीडियो में शामखानी को छड़ी के सहारे चलते देखा गया।
भीड़ में शामिल कई लोगों ने रोष व्यक्त किया।
सरकारी मीडिया ने तेहरान के विशाल बहेश्त-ए-ज़हरा कब्रिस्तान की एक खुली कब्र की तस्वीरें प्रकाशित कीं, जहां सेना प्रमुख जनरल मोहम्मद बाघेरी, जो युद्ध के पहले दिन मारे गए थे, को उनके भाई के बगल में दफनाया जाना था। उनके भाई 1980 के ईरान-इराक युद्ध के दौरान मारे गए थे और वह एक कमांडर थे।
ईरान बातचीत के लिए तैयार विदेश मंत्री ने क्या कहा
शनिवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में, अरागची ने संकेत दिया कि ईरान बातचीत के लिए तैयार हो सकता है। उन्होंने लिखा, ‘‘अगर (अमेरिका के) राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप वाकई समझौता करना चाहते हैं, तो उन्हें ईरान के सर्वोच्च नेता, अयातुल्ला खामेनेई के प्रति अपमानजनक और अस्वीकार्य लहजे को छोड़ देना चाहिए और उनके लाखों सच्चे अनुयायियों को चोट पहुंचाना बंद कर देना चाहिए।’’
कौन हैं ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड?
ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड का गठन 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद हुआ था। अपनी स्थापना के बाद से यह एक अर्द्धसैनिक, घरेलू सुरक्षा बल से एक अंतरराष्ट्रीय बल के रूप में विकसित हुआ है जो सीरिया और लेबनान से लेकर इराक तक, तेहरान के सहयोगियों की सहायता के लिए पहुंचा है। यह देश की मौजूदा सशस्त्र सेनाओं के जैसे ही काम करता है और ईरान के बैलिस्टिक मिसाइलों के पूरे जखीरे को नियंत्रित करता है, जिसका इस्तेमाल उसने गाजा पट्टी में इजराइल-हमास युद्ध के दौरान दो बार इजराइल पर हमला करने के लिए किया था।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।