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अमेरिका ने कर दिया बड़ा अटैक, पर अब भी आगे नहीं आए ईरान के साथी; जंग में ना कूदने की क्या वजह?

इजरायल-ईरान के बीच शुरू हुई जंग में अमेरिका भी कूद चुका है। ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका ने महाबम बरसाए हैं। इस बीच ईरान के लिए एक प्रश्न यह भी है कि जंग के बीच उसके साथी कहां हैं?

Jagriti Kumari एपी, बेरूतMon, 23 June 2025 08:39 AM
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अमेरिका ने कर दिया बड़ा अटैक, पर अब भी आगे नहीं आए ईरान के साथी; जंग में ना कूदने की क्या वजह?

Israel Iran War: इजरायल और ईरान के बीच चल रहे संघर्ष में अमेरिका की साधी एंट्री हो गई है। अमेरिकी विमानों ने ईरान पर शक्तिशाली बम बरसाए हैं जिसके बाद तनाव चरम पर पहुंच गया है। ईरान ने इन हमलों के बाद अमेरिका को कड़ी चेतावनी दी है। हालांकि ईरान खुद पर आई मुसीबत से दृढ़ता से लड़ रहा है, इस बीच यह सवाल बार-बार उठ रहे हैं कि ईरान के वे साथी कहां हैं, जिन्हें बरसों तक ईरानी हुकूमत का साथ मिला है?

ईरान के इन साथियों में यूं तो हिजबुल्लाह, हमास और हुती जैसे कई नाम हैं, लेकिन लंबे समय से हिजबुल्लाह को इजरायल के साथ युद्ध की स्थिति में ईरान का पहला डिफेंस लाइन माना जाता रहा है। हालांकि जब से इजरायल ने ईरान पर हमले शुरू किए हैं, लेबनान स्थित हिजबुल्लाह इस जंग से दूर ही रहा है। रविवार को अमेरिकी हमलों के बाद भी हिजबुल्लाह अब तक संघर्ष में नहीं कूदा है। वहीं इराक में मौजूद ईरान समर्थित शक्तिशाली मिलिशिया का नेटवर्क भी शांत रहा है।

विशेषज्ञों की माने तो इसके कई कारण है। ईरान के करीबी सहयोगी खुद आंतरिक परेशानियों से जूझ रहे हैं। घरेलू राजनीतिक चिंताओं के साथ-साथ हालिया क्षेत्रीय संघर्ष ने ईरान के सहयोगियों को पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया है।

हिजबुल्लाह पर दबाव

हिजबुल्लाह ने ईरान पर इजरायली और अमेरिकी हमलों की निंदा की है। अमेरिकी हमलों के बाद समूह ने एक बयान जारी कर इस्लामी देशों और दुनिया के दूसरे देशों से ईरान के साथ खड़े होने की अपील की है। हालांकि समूह ने यह नहीं कहा कि हिजबुल्लाह जंग में कोई कार्रवाई करेगा। जानकारी के मुताबिक लेबनानी सरकार के अधिकारियों ने भी समूह पर संघर्ष से बाहर रहने का दबाव डाला है। उनके मुताबिक लेबनान एक और विनाशकारी युद्ध नहीं झेल सकता है।

हुती विद्रोही भी शांत

हुती विद्रोहियों की बात करें तो समूह ने अमेरिका के साथ एक समझौता किया था कि वे लाल सागर में अमेरिकी जहाजों पर हमले नहीं करेंगे, बदले में अमेरिका यमन पर अपने हमले रोक देगा। समूह ने धमकी दी है कि अगर अमेरिका ईरान-इजराइल युद्ध में शामिल हुआ तो वे लाल सागर में एक बार फिर हमले शुरू कर देंगे। हालांकि समूह ने ऐसा नहीं किया है। वहीं इराक के कताइब हिजबुल्लाह मिलिशिया ने अमेरिकी हमले से पहले कहा था कि अगर अमेरिका जंग में उतरा तो वह पूरे क्षेत्र में अमेरिकी लोगों को निशाना बनाएगा। हालांकि रविवार को भी हमलों के बाद से यह समूह भी चुप है।

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मदद की स्थिति में नहीं हिजबुल्लाह

किंग्स कॉलेज लंदन में सैन्य विश्लेषक और एसोसिएट प्रोफेसर एंड्रियास क्रिग के मुताबिक हिजबुल्लाह दूसरों की मदद की स्थिति में नहीं है। उन्होंने कहा, "सीरिया में सप्लाई चेन से कट जाने के बाद हिजबुल्लाह रणनीतिक स्तर पर कमजोर हो गया है।” उन्होंने यह भी कहा कि हुती और इराकी मिलिशिया के पास इजरायल के खिलाफ रणनीतिक हमला करने की अधिक क्षमता है ही नहीं, जो कभी हिजबुल्लाह के पास हुआ करती थी।

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