दिल्ली हाईकोर्ट का एमपी के पत्रकार को सुरक्षा देने का आदेश, पुलिस से धमकी का दावा
दिल्ली हाईकोर्ट ने एमपी के एक पत्रकार को सुरक्षा देने का निर्देश दिया है। पत्रकार ने दावा किया कि भिंड के पुलिस अधीक्षक की ओर से उसके कार्यालय में कथित रूप से की गई पिटाई के बाद उनकी जान को खतरा है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को एमपी के एक पत्रकार को सुरक्षा देने का आदेश दिया। पत्रकार का आरोप है कि भिंड के पुलिस अधीक्षक की ओर से उनके कार्यालय में कथित तौर पर पिटाई की गई। अब उसकी जान को खतरा है। जस्टिस रवींद्र डुडेजा ने दिल्ली पुलिस को एमपी निवासी पत्रकार को दो महीने के लिए सुरक्षा दिए जाने का निर्देश दिया।
अदालत ने अपने आदेश कहा कि इस बीच पीड़ित (आगे कानूनी उपाय पाने के लिए) संबंधित हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है। इसके साथ ही अदालत ने याचिका का निपटारा करते हुए याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि वह दिल्ली में उस पुलिस थाने का विवरण प्रस्तुत करें जिसके अंतर्गत पत्रकार रह रहा है।
साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि पीड़ित का नंबर बीट अधिकारी और थाना प्रभारी के साथ साझा किया जाए। हालांकि दिल्ली पुलिस के वकील ने याचिका का विरोध किया। बता दें कि इस महीने की शुरुआत में भिंड जिले के तीन पत्रकारों ने आरोप लगाया था कि पुलिस अधीक्षक के कार्यालय के अंदर उनके साथ मारपीट की गई और उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया।
हालांकि पुलिस अधिकारी ने इस आरोप से इनकार किया था। पत्रकारों ने जिलाधिकारी को सौंपी शिकायत में आरोप लगाया कि एक मई को उनके साथ मारपीट की गई। एक ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया कि वह भिंड में पुलिस द्वारा की गई हिंसा से बचकर दिल्ली आए हैं। उनकी हत्या की जा सकती है। ऐसे में वह मध्यप्रदेश लौटने में असमर्थ हैं।
याचिकाकर्ता का कहना है कि वह हाल ही में चंबल नदी में रेत माफिया और स्थानीय पुलिस की मिलीभगत से किए जा रहे अवैध रेत खनन की गतिविधियों के बारे में रिपोर्टिंग कर रहा था। इससे नाराज होकर पहली मई को पुलिस अधीक्षक असित यादव ने याचिकाकर्ता को अपने कार्यालय में चाय पीने के लिए बुलाया। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उसके साथ मारपीट की गई।
याचिका में दावा किया गया कि आधा दर्जन से अधिक अन्य पत्रकार भी पुलिस अधीक्षक के कक्ष में मौजूद थे। इन सभी के साथ मारपीट की गई और उनके अंडरवियर तक उतार दिए गए थे। आखिरकार पीड़ित 19 मई को दिल्ली आए और भारतीय प्रेस परिषद तथा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई।