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इंडिपेंडेंट वुमन हैं तो जीवनसाथी चुनते वक्त किस तरह की बातों का ख्याल करना है जरूरी

मन की उलझन को लेकर हम सबके पास ढेरों सवाल होते हैं, बस नहीं होता जवाब पाने का विश्वसनीय स्रोत। इस कॉलम के जरिये हम एक्सपर्ट की मदद से आपके ऐसे ही सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करेंगे। इस बार आपके सवालों के जवाब दे रही हैं मनोविशेषज्ञ डॉ. गगनदीप कौर

Aparajita हिन्दुस्तानFri, 27 June 2025 04:20 PM
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इंडिपेंडेंट वुमन हैं तो जीवनसाथी चुनते वक्त किस तरह की बातों का ख्याल करना है जरूरी

जीवन के दौर में कई बार हम ऐसे दोराहे पर खड़े होते हैं जहां किसी की नेक सलाह बेहद जरूरी होती है। लेकिन अक्सर लोग समझ नहीं पाते कि आखिर सलाह किससे ली जाए। ऐसी ही मन की उलझन को सुलझाने की कोशिश कर रही हैं मनोविशेषज्ञ डॉक्टर गगनदीप कौर।

⦁मेरी उम्र 38 साल की सफल कामकाजी महिला हूं। मेरा अपना घर है और मैं आर्थिक रूप से पूरी तरह आत्मनिर्भर हूं। पर, मेरे आसपास के अधिकांश लोग मुझे कहते हैं कि अपनी आर्थिक आत्मनिर्भरता की वजह से ही मैं अभी तक सिंगल हूं। जिन पुरुषों से मैं मिलती हूं, उनकी अपेक्षा होती है कि उनके लिए मैं अपनी जीवनशैली से लेकर तौर-तरीके तक सब पूरी तरह से बदल दूं? क्या जीवनसाथी पाने के लिए मुझे खुद को पूरी तरह से बदलना पड़ेगा?

- अनुपमा तिवारी, लखनऊ

आपका सवाल पढ़कर मुझे कई और लोगों की कहानी याद आ गई। यह आज के समय में आर्थिक रूप से सशक्त अधिकांश महिलाओं की कहानी है। शायद हमारा समाज ऐसी महिलाओं को देखकर डर जाता है। जो व्यक्ति आपसे शादी करने के लिए पहले से ही बदलाव का शर्त रख रखा है, मुझे नहीं लगता ऐसे व्यक्ति से शादी करने के बाद आप खुश रह पाएंगी। एक मजबूत औरत को एक मजबूत साथी की जरूरत होती है, न कि ऐसे व्यक्ति की जो पहले से ही असुरक्षा के भाव में डूबा हुआ हो। आपको दुनिया की बातों में आकर खुद की क्षमताओं पर शक नहीं करना चाहिए। अपने दम पर आप आज यहां तक पहुंची हैं, तो अपनी काबिलियत की इज्जत कीजिए। अगर आप एक सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ेंगी और लोगों से मिलेंगी, तो आपको अपने मनमाफिक जीवनसाथी जरूर मिलेगा। इस बात को समझिए कि रूढ़िवादी सोच वाले लोगों के साथ जीवन बिता पाना मुश्किल होता है। हम शादी अपनी खुशियों में बढ़ोतरी के लिए करते है, न कि इसलिए कि हमारी जिंदगी जंजीरों में बंधकर रह जाए। मेरी राय होगी कि खुद की क्षमताओं पर शक करने के बजाय अपने लिए जीवनसाथी की तलाश को जारी रखें। सही लोगों से मिलें। अगर अपने किसी खास स्वभाव की वजह से जीवनसाथी मिलने में दिक्कत आ रही है, तो उस स्वभाव को बदलें। कभी-कभी हम जीवनसाथी की तलाश के अपने दायरे को बहुत सीमित कर लेते हैं। इस दायरे को थोड़ा बढ़ाएं। किसी खास प्रोफेशन, जाति या इलाके के व्यक्ति को ही जीवनसाथी के रूप में चुनने जैसी अगर कोई बंदिश आपने लगा रखी है, तो उस बंदिश को हटाएं। सकारात्मक सोच के साथ ऐसे व्यक्ति को जीवनसाथी के रूप में चुनें, जिसके साथ आपका मन मिले। खुद की क्षमताओं से जुड़ी किसी भी तरह की शंका को अपने मन से पूरी तरह से निकाल दें।

⦁मैंने अपने परिवार वालों की सलाह को दरकिनार करते हुए फैशन और मॉडलिंग की दुनिया में करियर बनाने का फैसला लिया था और इस वजह से घर भी छोड़ दिया था। पर, अब कुछ ही माह में मुझे यह अंदाजा हो गया है कि मैं यहां करियर नहीं बना पाऊंगी। यहां से वापस कैसे लौटूं और किस तरह से घरवालों का सामना करूं?

नमिता अग्रवाल, मेरठ

अपनी इच्छाओं और करिअर से जुड़े अपने सपनों को पूरा करने के लिए आगे बढ़ने में कोई खराबी नहीं है। हां, यह सही बात है कि कई बार हमें लगता है कि परिवार वाले करिअर से जुड़े मुद्दों को नहीं समझ रहे हैं और सफलता के बाद वे हमें समझने लगेंगे। पर, इस बात को समझिए कि आपके परिवार वाले आपके पैदा होने से लेकर अब तक आपसे प्यार करते हैं। आपका सफल करियर आपके लिए उनके प्यार का पैमाना नहीं है। वे आपसे पहले चाहे कितने ही नाराज क्यों न थे, पर वे हमेशा से आपकी भलाई ही चाहते थे और चाहते हैं। इसलिए, थोड़ी हिम्मत जुटाकर घर वालों से पहले फोन पर बात कर उन्हें सारी बातें बताइए और फिर घर आकर आमने-सामने उनसे बात कीजिए। उन्हें बताइए कि कैसे शायद आपने अपने करिअर से जुड़ा जो निर्णय लिया था, वह ठीक साबित नहीं हुआ। आप अपनी जिंदगी की शुरुआत दोबारा से करना चाहती हैं और यह काम परिवार वालों के साथ के बिना संभव नहीं है। घरवालों को बताइए कि आपको इस बात का अहसास हो गया है कि आपकी जिंदगी में उनकी क्या अहमियत है और आपकी गुजारिश है कि वो सब आपको माफ कर दें। ये बातें अपने घरवालों को कहिए। कई बार हम मन-ही-मन में बहुत सारी बातें सोचकर अपनी उलझन को और बढ़ा लेते हैं। जबकि असलियत में सामने वाले को एक फोन कॉल कर लेने भर से सारी चिंताएं दूर हो जाती हैं। ऐसा करने मात्र से बहुत सारी मुश्किलें दूर हो जाती हैं। यह मानकर चलिए कि परिवार वाले चाहे कितने भी नाराज क्यों न हों, वे हमेशा अपने बच्चे का भला ही चाहते हैं। और कहावत है कि सुबह का भूला अगर शाम को घर लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते। तो बेहतर होगा कि आप सही निर्णय लें, अपने परिवार के पास वापस लौटें। एक गलती को छुपाने के लिए और कई सारी गलतियां करना कभी भी समझदारी नहीं होती।

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