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दादी-नानी के समय से आजतक रसोई में टिके हैं ये किचन टूल्स, क्या आप जानते हैं इनके नाम?

Traditional Indian Kitchen Tools: दादी-नानी के समय से आज तक यानि मॉडर्न किचन में भी रखे मिल जाते हैं ये किचन टूल्स। क्या आप इन टूल्स के नाम जानते हैं। अगर नहीं तो जान लें और साथ ही इन टूल्स के काम के बारे में भी हम बताएंगे।

Aparajita लाइव हिन्दुस्तानSat, 21 June 2025 02:45 PM
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दादी-नानी के समय से आजतक रसोई में टिके हैं ये किचन टूल्स,  क्या आप जानते हैं इनके नाम?

रसोई में रखी कुछ चीजों के बारे में मां हमें जरूर बताती है कि ये सामान उनकी मां या दादी ने दिया है। दरअसल, हर घर की रसोई में रखे सामान का नाता पुराने समय से जरूर होता है। भले ही मॉडर्न किचन में चॉपिंग से लेकर मसाला पीसने वाले नए गैजेट्स मौजूद हों। लेकिन कुछ टूल्स ऐसे हैं जो दादी-नानी के समय से चले आ रहे हैं और भूले-बिसरे ट्रेडिशनल टूल्स में खाने को पकाने की तैयारी की जाती है उनका स्वाद भी बिल्कुल अलग होता है। दरअसल ये किचन टूल्स केवल खाना बनाने का प्रोसेस नहीं होते थे बल्कि इनका सीधा कनेक्शन सेहत और स्वाद से जुड़ा होता था। ऐसे ही 5 किचन टूल्स जो पूरी तरह से ट्रेडिशनल हैं और मॉडर्न किचन में भी अपनी जगह बनाए हुए हैं।

खल और बट्टा

अंग्रेजी में बोले तो जिसे आजकल मोर्टार और पेस्टल बोला जाता है। इसे पुराने समय में खल बट्टा या कुछ जगहों पर खल दस्ता भी कहते हैं। मसालों को पीसने के लिए भारी-भरकम पत्थर से तैयार किया गया ये टूल मसालों के तेल और महक को बरकरार रखता है। अगर इसमे लहसुन और अदरक का पेस्ट बनाकर खाने में डाल दिया तो पूरे खाने का टेस्ट अपने आप ही चेंज हो जाता है। वहीं इस खल और बट्टे में बनी खास तरह की चटनी भी लाजवाब होती है।

पानी के मटके

पहले के समय में जब फ्रिज नहीं होते थे तो गर्मी में पानी को ठंडा रखने के लिए इन्हीं मिट्टी के मटकों का इस्तेमाल किया जाता था। एक बार फिर लोग इन्ही मटकों में रखे पानी को पीकर हेल्थ बेनिफिट्स ले रहे हैं और सर्दी-जुकाम जैसी समस्या से भी बच रहे हैं। क्योंकि फ्रिज का ठंडा पान कई बार गले में खराश पैदा कर देता है।

खल चट्टी

काले स्टोन से बना ये टूल ज्यादातर साउथ इंडिया की रसोई में देखने को मिलता है। जिसमे सांभर, रसम जैसे फूड बनाए जाते हैं। ये एक तरह का पत्थर का पॉट होता है जिसमे खाना बनाने पर लंबे टाइम तक गर्म बना रहता है और स्वाद भी बरकरार रहता है। सबसे खास बात कि पत्थर का बर्तन होने की वजह से इसमे रसम और सांभर जैसे खाने की खट्टास नहीं खराब होती है।

सिल बट्टा

सिल बट्टा नॉर्थ इंडिया के सारे घरों में जरूर मिल जाएगा। चटनी से लेकर मसालों को पीसने के लिए इस पत्थर के टूल का इस्तेमाल किया जाता है। सबसे खास बात कि सिलबट्टा केवल किचन का टूल ही नहीं है बल्कि ये एक परंपरा है जिसे शादी-विवाह के रस्मों में भी शामिल किया जाता है।

चिरवा या कोकोनट स्क्रैपर

साउथ इंडियन घरों में नारियल को घिसने के लिए कोकोनट स्क्रैपर का यूज किया जाता है। जिसे चिरवा कहते हैं। ये टूल आज भी घरों में मौजूद है। लेकिन पुराने समय में इसे घर की जमीन में गाड़कर फिक्स कर दिया जाता था।

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